शराबी आलू और कबाबी कफन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 27 दिसम्बर 2018
खबर है कि जिन किसानों ने अपने खेत में आलू बोए हैं, वे किसान फसल पर देशी शराब का छिड़काव कर रहे हैं। वे मानते हैं कि ऐसा करने से शीत ऋतु का प्रभाव फसल पर नहीं पड़ेगा। गोयाकि शराब का ओवरकोट आलू को पहनाया जाता है ताकि उन्हें सर्दी नहीं लगे। क्या इस तरह उपजाए गए आलू को खाने वालों को शराब का नशा चढ़ेगा? सारे धर्म शराब पीने को गलत ठहराते हैं परंतु भांग और गांजा पीना ध्यान लगाने में सहायक माने जाते हैं। प्राय: साधु भांग और गांजे का सेवन करते हैं। भांग का नशा भी धीरे-धीरे चढ़ता है और देर तक बना रहता है। भांग का नशा करने के पश्चात ध्वनियां बार-बार आपके अवचेतन में गूंजती हैं और अनुगूंज का आनंद प्राप्त होता है। मसलन आप 'संगम' का गीत सुन रहे हैं 'बोल राधा संगम होगा कि नहीं' और राधा कहती है होगा जरूर होगा' तो ये पंक्तियां गंजेड़ी के अवचेतन में घंटों गूंजती रहती हैं। गांजे और अफीम की तुलना में शराब का नशा जल्दी उतर जाता है। कहते हैं कि भांग पीने के बाद मीठा खाने की ललक पैदा होती है और मिठाई के सेवन से नशे को धार मिलती है, जबकि मिठाई खाने से शराब का नशा जल्दी उतर जाता है।
महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की कथा 'कफन' विश्व साहित्य में ऊंचा स्थान रखती है। गरीबी नैतिक पतन को जन्म देती है। अधिकांश अपराध भी गरीबी की कोख से जन्म लेते हैं और पूंजीवाद गरीबी को जन्म देता है। विगत दशकों में गरीबी का उत्पाद व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। वह भी भव्य पैमाने पर। बहरहाल 'कफन' में एक स्त्री के कफन के लिए गांव के लोग चंदा करते हैं और ये रकम लेकर मरने वाली का पति और ससुर कफन खरीदने शहर जाते हैं परंतु उस पैसे से वह शराब खरीदते हैं तथा शराब पीकर अलाव पर आलू रखते हैं। वे शराब गुटकते हुए भुने हुए आलू खाते हैं। उन्हें विश्वास है कि मरने वाली स्त्री स्वर्ग जाएगी, क्योंकि उसके कफन के लिए एकत्र चंदे से दो भूख के मारों को भोजन मिल रहा है। गुलजार ने इस कथा से प्रेरित फिल्म दूरदर्शन के लिए बनाई थी।
कहा जाता है कि जिन देशों में आलू उपजाए जाए जाते हैं, उन देशों में भारतीय जाकर जरूर बसते हैं। आलू कई तरह से सुर्खियों में आता रहा है। मसलन बिहार के नेता लालू यादव ने एक बार कहा था कि जब तक समोसे में आलू रहेगा तब तक राजनीति में लालू रहेगा। आजकल चारा घोटाले के अपराध में वे बिहार की जेल में आलू खा रहे हैं परंतु उनके परिवार के युवा आज भी धर्म आधारित राजनीति करने वालों के खिलाफ लड़ाई को जारी रखे हुए हैं।
भारत से कहीं अधिक आलू का उत्पादन रूस में होता है और आलू से ही रूस में वोदका बनाई जाती है। वोदका और रम जांबाज लोगों के प्रिय पेय हैं। इसी तरह क्रिकेट के दर्शक बीयर पीते हैं परंतु फुटबॉल प्रेमी रम पीना पसंद करते हैं। इनका व्यवहार भी इनके प्रिय पेय ही तय करते हैं। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'गोलमाल' में उत्पल दत्त और अमोल पालेकर दोनों ही फुटबॉल मैच देखने जाते हैं और यह यह तथ्य एक दूसरे से छुपाए रखना चाहते हैं। कोलकाता में फुटबॉल जुनून है, यहां तक कि दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी टीमों के प्रशंसकों में शादी का रिश्ता भी नहीं बन पाता। मोहन बागान टीम का प्रशंसक विरोधी टीम को पसंद करने वाली कन्या से विवाह नहीं करता है। इस तरह फुटबॉल का खेल कोलकाता में एक गोत्र बन गया है। संगीतकार राहुल देव बर्मन को फुटबॉल मैच देखने का जुनून इस कदर था कि वे अपनी रिकॉर्डिंग भी स्थगित कर देते थे। उनकी प्रिय टीम की विजय के पश्चात उस नशे में चूर वे मधुर धुन रच लेते थे। उनकी सृजन प्रक्रिया फुटबॉल से जुड़ी हुई थी। क्रिकेट में किवदंती बन जाने वाले सौरव गांगुली भी फुटबॉल प्रेमी हैं।
वर्षा होने पर क्रिकेट का खेल रोक दिया जाता है परंतु फुटबॉल का मैच जारी रखा जाता है। दरअसल बरसते पानी में खेला गया फुटबॉल मैच अत्यंत रोचक हो जाता है। कीचड़ में सनी फुटबॉल भारी हो जाती है, खिलाड़ी कीचड़ में सन जाते हैं। कीचड़ में सने खिलाड़ी के वस्त्र पहचान में नहीं आते जिस कारण फुटबॉल का पास गलती से विरोधी को दे दिया जाता है।
फुटबॉल के निर्णायक मैच में महान खिलाड़ी मैराडोना के हाथ को गेंद ने हल्का-सा स्पर्श किया था जो रेफरी देख नहीं पाया और मैराडोना ने गोल कर दिया। खेल समाप्त होने पर मैराडोना ने कहा कि वह गोल 'एक्ट ऑफ गॉड' था। गोयाकि मानवीय दोष भी ईश्वर के नाम कर दिए जाते हैं। एक मनोरंजक चर्चा यह हो सकती है कि दुनिया बनाने वाले को कौन-सा खेल प्रिय है? चीन को बनाने वाला टेबल टेनिस पसंद करता होगा और बरतानिया को बनाने वाला क्रिकेट पसंद करता होगा परंतु लैटिन अमेरिका, कोलकाता तथा गोवा को बनाने वाले का प्रिय खेल फुटबॉल ही हो सकता है। आज पांच दिवसीय क्रिकेट के लिए बरतानिया बनाने वाले के पास भी समय नहीं होगा। आज कल उसकी सारी शक्ति पाउंड का मूल्य बचाए रखने में खर्च हो रही है। राजनीति के मुहावरे में क्रिकेट साम्राज्यवादी और फुटबॉल सर्वहारा का समाजवादी खेल है। मेहनतकश का कीचड़ में सना होना सुहाना भी लगता है। हुक्मरान का प्रिय खेल शूटिंग है, उसकी गन की रेंज घटती जा रही है।