शांभवी के सवाल (एक) / एस. मनोज
अंजना मैम की मृत्यु की खबर से संपूर्ण टोले में हाहाकार मच था। परिवार के लोगों का रोते-रोते बुरा हाल था। मृत्यु की पूरी खबर ठीक से पता नहीं चल पा रहा था। केवल इतना पता चला था कि एक्सीडेंट से मैम की मृत्यु हो गई है।
कुछ ही देर में एक नौजवान मोटरसाइकिल से आया और घटना के बारे में बताने लगा-मैम एक मोटरसाइकिल के पीछे वाली सीट पर बैठकर स्कूल जा रहीं थीं। सड़क में एक बड़ा-सा गड्ढा था और सामने दूसरी ओर से एक ट्रक बहुत ही तेजी से आ रहा था। मोटरसाइकिल चालक ने जब तक अपनी गाड़ी को संभाला तब तक उसका अगला चक्का गड्ढे में जा गिरा। गाड़ी अनबैलेंस हुई और मैम पीछे गाड़ी से नीचे गिर गई. ट्रक ड्राइवर ने जब तक ब्रेक लिया मैम पहिए के नीचे दब चुकी थीं। फिर ट्रक के नीचे से मैम की लाश ही निकाली गई.
मोटरसाइकिल वाले नौजवान की संक्षिप्त सूचना के बाद सभी लोग हतप्रभ थे और रोते बिलखते रहे। आठ वर्षीया शांभवी अपनी चाची की मृत्यु से बहुत आहत थी और वह चाची की मृत्यु के बारे में विस्तार से जानना चाह रही थी। दो-तीन दिनों तक घर के लोगों से पूछताछ करती और फिर बाबा से पूछी-बाबा मास्टरनी चाची गाड़ी से कैसे गिर गई?
बाबा बोले-वे मोटरसाइकिल पर दोनों पैर एक ही और करके बैठी होंगी। मोटरसाइकिल पर इस तरह से बैठे लोगों को अपना नियंत्रण बनाने का कोई आधार नहीं मिलता और उनके नीचे गिरने का खतरा बना रहता है। तुम्हारी चाची के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। गाड़ी ड्राइवर गाड़ी पर नियंत्रण ठीक से नहीं कर पाया होगा और वह नीचे गिर गई होंगी।
शांभवी दुखी और भारी मन से अपने बाबा से बोली-चाची दोनों पैर एक ही ओर करके क्यों बैठे होंगी?
बाबा अपनी पोती को समझाते हुए बोले-क्योंकि वह साड़ी पहनी होंगी।
शांभवी ने फिर सवाल किया-वे साड़ी पहन कर क्यों बैठी होंगी?
बाबा बोले-महिलाओं के घर से निकलने में साड़ी पहनकर निकलने का रिवाज है।
शांभवी ने फिर पूछा-अर्थात महिलाएँ गाड़ी पर बैठे तो उनके सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं रहे ऐसा भी रिवाज है?
शांभवी के सवाल पर बाबा चुप रहे।
बाबा की लंबी चुप्पी के बाद शांभवी ने फिर पूछा-अच्छा बाबा, ऐसा रिवाज क्यों है, जिसकी कीमत महिलाओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है?
शांभवी प्रश्न भरी दृष्टि से बाबा की ओर देखती रही और बाबा के चेहरे पर स्तब्ध काली चुप्पी छा गई.