शांभवी के सवाल (दो) / एस. मनोज
बाबा-बाबा, पृथ्वी गोल है कि चिपटी?
बाबा-गोल।
शांभवी-अच्छा बाबा, पृथ्वी सूर्य का चक्कर काटती है या सूर्य पृथ्वी का?
बाबा-पृथ्वी सूर्य का।
शांभवी-बाबा, ग्रहण राहु केतु के कारण लगता है या सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के एक सीध में होने के कारण?
बाबा-इन सभी प्रश्नों का उत्तर तो तुम पढ़ी ही होगी?
शांभवी-हाँ पढ़ी हूँ, पर कुछ आप से समझना है। इसलिए एक और प्रश्न बाबा, निर्जला उपवास करना चाहिए या नहीं?
बाबा-क्या बात है, आज कई प्रश्न पूछे जा रही हो?
उदास मुखाकृति लिए हुए शांभवी बोली-जानते हैं बाबा, मेरी एक सहेली है गीता। उसकी दादी निर्जला उपवास की थी। उपवास में उनकी तबीयत बिगड़ गई और जब तक डॉक्टर के यहाँ ले जाया गया, उनकी मृत्यु हो गई. डॉक्टर ने कहा शरीर में पानी की कमी हो जाने के कारण मृत्यु हुई.
बाबा शांभवी की बातें सुन चिंतित हो गए.
शांभवी ने फिर सवाल किया-बाबा, जब विज्ञान के विकास से हम जान गए कि पृथ्वी गोल है। पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा के एक सीध में आने से ग्रहण लगता है तो हम आज तक यह क्यों नहीं समझ सके कि निर्जला उपवास नहीं करना चाहिए. इससे शरीर में पानी की कमी होती है और मृत्यु का खतरा बना जाता है।
बाबा कुछ बोलना चाह रहे थे, किन्तु चुपचाप शांभवी के चेहरे को देखते ही रहे।
शांभवी फिर बोली-बाबा मुझे चिंता होती है, अगले महीने में निर्जला उपवास का व्रत होने वाला है। दादी और मम्मी यह उपवास करतीं है। इस उपवास का कुप्रभाव अपने घर पर नहीं पड़े, इसके लिए हम लोग क्या कर सकते हैं?
शांभवी अपने प्रश्न का जवाब सुनने के लिए बाबा की ओर देखती रही, किंतु बाबा के चेहरे पर मायूस उदासी और चुप्पी छाई हुई थी।