शादी, जन्मदिन दावत और एक मृत्यु / जयप्रकाश चौकसे

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शादी, जन्मदिन दावत और एक मृत्यु
प्रकाशन तिथि :28 फरवरी 2018


दिल्ली में मारवाह परिवार का एक व्यवसाय फिल्म प्रशिक्षण संस्थान संचालित करना भी है। बोनी कपूर की बहन मारवाह परिवार की बहू है। फरवरी के तीसरे सप्ताह में सौर मंडल में जाने ग्रहों की दशा क्या थी कि इतनी खुशी और गम के योग धरती पर बने। श्रीदेवी की मौत की कहानी ऐसे उलझ गई मानों उनके बालों की कोई बेशउर लट कहीं उलझ गई हो। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में श्रीदेवी के शरीर में शराब पाए जाने पर मध्यम वर्ग के नैतिकता के दोहरे मानदंड की चदरिया में छेद पड़ गए हैं और चादर की जगह वह छलनी बन गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बयालीस प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं। श्रेष्ठि वर्ग और जनजातियों में स्त्री-पुरुष सभी शराब पीते हैं। केवल मध्यम वर्ग छद्‌म जीवन मूल्यों के निर्वाह के लिए शापित है। जो काम श्रेष्ठि वर्ग और जनजातियां खुले आम करते हैं, वे ही काम मध्यम वर्ग को झीने परदे की आड़ में करने होते हैं। कहीं-कहीं ये परदे टाट के होते हैं। परदों के कपड़े का चयन व्यक्ति की आर्थिक दशा के साथ उसकी रुचि पर भी निर्भर करता है। बेपरदगी भी मजबूरी हो सकती है। सआदत हसन मंटो के मामले में कहेंगे कि वह उनका साहस था कि समाज के नासूर में वे अपनी कलम से सुराख करते थे और बाहर बहते मवाद को अपनी कलम के लिए स्याही की तरह इस्तेमाल करते थे। मुंशी प्रेमचंद की कलम उनके अपने रक्त में डूबी होती थी। लेखकों में कमतरी की जमात बॉलपेन से लिखती है।

श्रीदेवी शराब पर सवारी करती थीं और उन्होंने कभी शराब को अपने पर सवार नहीं होने दिया अन्यथा तीन सौ फिल्मों में अभिनय नहीं कर पातीं। अपने चौपन वर्ष के जीवन में लगभग पच्चीस वर्ष तो उन्होंने स्टूडियो सेट्स या लोकेशन पर बिताए। बाथरूम के टब में डूबने से मृत्यु जिम मॉरिसन की भी हुई थी। अमेरिका की प्रसिद्ध पॉप गायिका व्हिटनी ह्यूस्टन की मृत्यु भी बाथरूम में हुई थी। सनसनी पैदा करने को समर्पित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बहुत गहरी धुंध रच रहा है और कहा जा रहा है कि श्रीदेवी को बहुत तनाव था। गौरतलब यह है कि हम सभी हमेशा तनाव में ही जीते हैं। जीवन की चक्की बड़ा महीन पीसती है। श्रीदेवी को कोई असामान्य तनाव नहीं था। तमाम फिल्मवाले अपनी हर फिल्म के प्रदर्शन के पूर्व तनाव में रहते हैं। सारी सृजन प्रक्रियाओं में तनाव होता है। उपनिषद में कथन है कि पिता व पुत्र का रिश्ता जैसे तीर और कमान का रिश्ता। पिता रूपी कमान की प्रत्यंचा पर चढ़ा पुत्र रूपी बाण तनाव के कारण ही निशाने पर लगता है। याद रहे कि श्रीदेवी की तीन सौ फिल्में प्रदर्शित हुई हैं। अत: तीन सौ शुक्रवार तनाव में गुजरे होंगे। उनके पति बोनी कपूर ने पैंतीस फिल्मों का निर्माण किया है। उनके प्रदर्शन का तनाव भी श्रीदेवी ने सहा था। अवाम हमेशा तनाव में रहता है कि आज का दिन कैसा गुजरेगा। स्कूली बसों में घर लौटने वाले सारे बच्चों के परिवार बच्चे के घर लौटने तक तनाव में रहते हैं।

सच तो यह है कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में माता-पिता इस तनाव में रहते हैं कि कहीं उनका बच्चा मोबाइल पर नीले फीते का जगह तो नहीं ग्रहण कर रहा है। अभद्र, अश्लील फिल्मों को 'नीले फीते का जहर' कहा जाता है। तनाव जीवन का अविभाज्य हिस्सा है। अत: श्रीदेवी की मृत्यु को उनके तनाव में रहने या पति के साथ किसी मतभेद से जोड़ना अनुचित है। मरे हुए को मारना कायराना है।

तीव्र तनाव तो अब श्रीदेवी के परिजन भोग रहे हैं। उनके पति बोनी कपूर पर क्या बीत रही होगी? वे दुबई में दफ्तर-दर-दफ्तर भटक रहे हैं। बोनी कपूर का जन्म नाम अचल है परंतु इस समय वे कितने विचलित होंगे?

बहरहाल, श्रीदेवी की मृत्यु से हुकूमत को यह राहत मिलती है कि उनकी बदइंतजामी एवं बैंकों में लगातार हो रहे घपलों पर से ध्यान हट गया है। स्मरण आता है कि तिलचट्‌टे मवाद की गिज़ा पर जीते हैं, फलते-फूलते हैं। यह तिलचट्‌टों का स्वर्णकाल है।