शादी का वायरस हो रहा है वायरल / जयप्रकाश चौकसे

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शादी का वायरस हो रहा है वायरल
प्रकाशन तिथि : 24 दिसम्बर 2020


दशकों पूर्व समाज चिंतक राम मोहन रॉय के प्रयास से विवाह सादगी और किफायत से संपन्न किए गए। हमारे भीतर छुपा आडंबर इस लहर के ऊपर उठा और शादियों में वैभव का अभद्र प्रदर्शन प्रारंभ हुआ। इसका प्रचार हुआ फिल्मों से। सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में पांच दिवसीय रंगारंग कार्यक्रम था। देवर के साथ अवाम भी दीवाना हुआ। आदित्य चोपड़ा की ‘दिलवाले दुल्हनिया...’। फिर ‘तनु वेड्स मनु’ के दो भाग बने।

राज शेखर के अनुसार अफीम खाकर आडंबर की नुमाइंदगी करते हुए रंगरेज पूछे, तूने कौन से पानी में कौन सा रंग घोला है? एक फिल्म संस्था ने विवाह केंद्रित इतनी फिल्में बनाईं कि उन्हें टाइटल कम पड़ने लगे। अत: उन्होंने ‘एक विवाह...’ के बाद सोचा कि अगली फिल्म का नाम ‘चार बटे चार’ रखेंगे। फ़िल्मकार हबीब फैजल ने फिल्म ‘दो दूनी चार’ आडंबर के लिए एक सार्थक फिल्म बनाई। अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह ने ‘बैंड बाजा बारात’ में शादी आयोजन संस्था के विकास का इतिहास ही रच दिया। अत: एक नए धंधे के उदय के साथ शादियां बेरोज़गारी की समस्या का निदान बन गईं। ‘मानसून वेडिंग’ भी रची गई। बड़े शहरों के होटल शादी समारोह की अग्रिम बुकिंग ऐसे कर रहे हैं कि कई शहरों में सभी होटल आरक्षित हो चुके हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग और वेडिंग प्लानर शब्द आम आदमी की भाषा में शामिल हो गए हैं। शादी के लिए ‘ए सूटेबल बॉय’ वेब सीरीज के रूप में बनी और हमारी नैतिकता की फोर्स देर से जागी। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप लगाए जाने के प्रयास हो रहे हैं। नतीजा यह हो सकता है कि इस तरह की सारी फिल्में न्यूजीलैंड में शूट करके ओ.टी.टी को सीधे फीड कर दी जाएंगी। न्यूजीलैंड के फिल्म तकनीशियन भारतीय शादी के ताप से चमक उठेंगे। ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना-मस्ताना हो जाएगा।’ दौर ये चलता रहे आडंबर पूर्ण शादियां किसके रोके रुकेगीं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में गंधर्व विवाह की सहूलियत है कि वर-वधू एक-दूसरे के गले में मात्र फूल मालाएं डालकर पवित्र बंधन में बंध जाएंगे। एक समूह में शादी के एजेंट्स विवाह योग्य युवाओं की तस्वीरें और परिवार की बेलेंस शीट तक साथ लेकर चलते हैं। वे दिए जाने वाले दहेज़ का 10% कमीशन पाते हैं दलाली और कमीशन हर कालखंड में लिए-दिए जाते रहे हैं। वर्तमान में तो शादी की वय में पहुंचे युवा नया जुगराफिया उठाकर रूरीटेनिया की खोज करते हैं। शादी के समय फोटोग्राफ लेकर साज-सज्जा वाला एलबम बनाया जाता है। जब शादियां टूटने की कगार पर पहुंचती हैं तब इस एलबम से धूल झाड़कर उसे पुनः देखने पर बात बन सकती है। विवाह पूर्व वर-वधू की कुंडलियों में गुणों की गणना की जाती है। रिश्वत लेकर कुंडलियां देखने वाला कहता है कि 36 के 36 गुण मिलते हैं। रवींद्र जैन का गीत है कि ‘गुण-अवगुण का डर भय कैसा, जाहिर हो जा भीतर है जैसा, सारी मुश्किल तो यही है कि कोई कभी पूरी तरह उजागर ही नहीं हो पाता।’ हम सारा जीवन स्वयं से छुपते-छुपाते, बचते-बचाते सुविधा की गलियां खोज लेते हैं। शादियां इतनी खर्चीली हो गई हैं कि ₹500 का आमंत्रण पत्र भी बनवाया जाता है। गोया की शादी वायरस बनकर वायरल हुई जा रही है।