शान्ति और सुरक्षा / ईसप
गिलबर्ट मरे के अनुसार ईसप कवि नहीं था, खास ढंग की कहानियों का लेखक था। उसने जानवरों की कहानियाँ लिखी हैं, जो किसी-न-किसी नैतिक मान्यता पर आधारित हैं। वह छठी शताब्दी (ई.पू.) में एक विदेशी गुलाम के रूप था। ‘हितोपदेश’ की कहानियों से प्रभावित होकर उसने लिखना शुरू किया था।
दो चूहे थे। एक गाँव में रहता था, दूसरा शहर में। दोनों में बहुत दोस्ती थी। गाँव के चूहे ने शहर के चूहे को अपने यहाँ निमन्त्रित किया।
शहर के चूहे ने उसका निमन्त्रण स्वीकार कर लिया। गाँव का चूहा स्वभाव से बहुत सादा, रूखा और मितव्ययी था। फिर भी उसने अपने मित्र के सम्मान में अपना दिल और भण्डार खोल दिया। उसने मटर, पनीर और दूसरी कई चीजें इकट्ठी कीं। फिर भी वह डर रहा था कि अपने मित्र के मन की चीजें जुटा पाएगा या नहीं? गाँव का चूहा छोटे-छोटे ग्रास खा रहा था, तभी शहर के चूहे ने उसका मजाक उड़ाते हुए घमण्ड से कहा, “मित्र, तुम कैसी आलसी और साधारण जिन्दगी जीते हो? तुम कूप-मण्डूक की तरह यहाँ रह रहे हो, न यहाँ गाड़ियाँ हैं, न आदमियों की भीड़। मेरे सम्मान में तुम व्यर्थ समय नष्ट कर रहे हो। तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें शहर की जिन्दगी दिखाऊँगा।” गाँव का चूहा उसके शानदार व्यवहार और सुन्दर शब्दों से बहुत प्रभावित हुआ। दोनों साथ-साथ शहर के लिए चल दिये। वे रात में शहर पहुँचे। वहाँ एक बहुत बड़ा मकान था। उसी में शहर का चूहा रहता था। वहाँ मखमली गद्दे थे। हाथी दाँत का सामान था और आराम की सारी चीजें थीं। शहर के चूहे ने अपने मित्र का शानदार स्वागत किया। उसे अच्छी-से-अच्छी चीजें खिलायीं और उसे सोने के लिए अच्छा बिस्तर दिया। गाँव का चूहा बहुत प्रभावित हुआ। उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि उसने जिन्दगी का एक नया रास्ता दिखाया है। अचानक दरवाजा खुला। कमरे में घर के लोग आ गये। वे बाहर से मनोरंजन करके आये थे। चूहे डरकर भागे और एक कोने में छिप गये। कुछ देर बाद जैसे ही वे फिर बाहर निकले कि बहुत से कुत्ते भौंकने लगे। अब वे पहले से भी अधिक डर गये। जैसे-तैसे शान्ति हुई। गाँव का चूहा अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला और शहर के चूहे से बोला, “अच्छा मित्र, नमस्ते। मैं यहाँ नहीं रह सकता। यह जगह उन्हीं के लिए अच्छी है, जो यहाँ के आदी हैं। इस भय और सावधानी के पकवानों से शान्ति और सुरक्षापूर्वक मिलने वाली सूखी रोटी ही अच्छी है।”