शास्त्रीय राग द्वारा कोरोना उपचार / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 26 मार्च 2020
संजय लीला भंसाली रणवीर सिंह और अालिया भट्ट के साथ ‘बैजू बावरा’ बनाने जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि फिल्मकार विजय भट्ट की फिल्म की कहानी रामचंद्र ठाकुर ने लिखी तथा पटकथा और संवाद जिया सरहदी ने लिखे थे। फिल्म में मीना कुमारी और भारत भूषण ने अभिनय किया था। इस फिल्म की सफलता का श्रेय संगीतकार नौशाद को दिया जाता है। संगीत रचना में राग पुरिया, धनाश्री, दरबारी और मालकौंस ध्वनित होते हैं। आज सौ करोड़ की आय प्राप्त करने वाली फिल्म सुर्खियों में आ जाती है। विजय भट्ट की ‘बैजू बावरा’ ने सन् 1952 में एक करोड़ रुपए की आय अर्जित की थी, तब रुपए का मूल्य डॉलर के बराबर था। आज एक डॉलर के 76 रुपए देने होते हैं। इस फिल्म के सारे गीत लोकप्रिय हुए, परंतु ‘मन तड़पत हरि दर्शन’ शिखर पर रहा।
ज्ञातव्य है कि भारत भूषण पहले सितारे थे, जिन्हें किताबें पढ़ने का बहुत शौक था और उनके वाचनालय में बहुमूल्य पुस्तकों को सहेजकर रखा गया था। जब उन्हें काम मिलना बंद हो गया, तब उन्होंने अपनी किताबें बेचकर जीवन गुजारा। गोयाकि उम्र के हर पड़ाव पर किताबों ने उनका साथ दिया। क्या कोरोना प्रकोप के कारण अपने घरों में बंद लोग किताबें पढ़ने लगेंगे? आजकल कम्प्यूटर पर भी किताब पढ़ी जा सकती है। किताबें ऑडियो में भी उपलब्ध हैं।
कार्लोज रूज जैफान नामक लेखक के उपन्यास का नाम है ‘शेडो ऑफ विंड’ जो मुझे शिवदत्त शुक्ला ने पढ़ने को दिया था। कथा सार इस तरह है कि एक वाचनालय में काम करने वाले व्यक्ति का 10 वर्षीय बालक कभी-कभी अपने पिता से मिलने वाचनालय आ जाता है। एक किताब का चुम्बकीय आकर्षण उसे बार-बार वाचनालय लाता है। कुछ वर्ष पश्चात वह उस किताब को पढ़ता है। उस किताब ने उसके जीवन को नई दिशा और सार्थकता प्रदान की। युवा होने पर वह उस किताब के लेखक के बारे में जानकारी प्राप्त करता है और उसकी तलाश में निकल पड़ता है। लंबी तलाश के बाद लेखक उसे एक पागलखाने में मिलता है। किसी भी क्षेत्र में नए क्षितिज खोजने वाले प्राय: पागलखाने भेज दिए जाते हैं। गौरतलब है कि ‘प्यासा’ के नायक को भी पागलखाने भेजा गया था। एक दृश्य में हंसोड़ जॉनीवॉकर उसे पागलखाने से आजाद कराता है। यूरोप का एक कवि अमेरिका गया था, जहां उससे एक गैरइरादतन अपराध हो गया। उसे जेल भेजा गया। विश्व के प्रख्यात साहित्यकारों ने अमेरिका की सरकार से प्रार्थना की कि उस असाधारण प्रतिभाशाली कवि को मुक्त किया जाए। अमेरिका की व्यवस्था ने सोच-समझकर पहले डॉक्टरों से उसके पागल हो जाने का प्रमाण-पत्र लिया। कुछ समय बाद पागलखाने से मुक्त कर उसे यूरोप भेजा गया। एक प्रश्न के उत्तर में उसने कहा कि पूरा अमेरिका ही एक पागलखाना है।
बहरहाल, भंसाली की बैजू बावरा का संगीत भी फिल्मकार स्वयं रच रहा है। उनकी फिल्में रंग और ध्वनि की ऑरजी की तरह होती हैं। कुछ भोजन प्रेमी जमकर भोजन करते हैं। कुछ समय पश्चात गले में अंगुली डालकर उल्टी करते हैं, ताकि पुन: भोजन कर सकें। इस प्रक्रिया के लिए बावरा बैजू अभिनीत करना कठिन नहीं होगा और आलिया भट्ट यह मानकर अभिनय करें कि 1952 वाली बैजू बावरा उनके वंश के पुरोधा विजय भट्ट ने बनाई थी। परिवार की परंपराएं इस तरह भी चलती हैं और परिवार के ऋण भी चुकाए जाते हैं। हम संजय लीला भंसाली से यह आशा करें कि वे अपनी फिल्म विजय भट्ट को समर्पित करें। संगीत रिकॉर्ड करने के लिए भारतीय पारंपरिक वाद्ययंत्र वादक कहां से खोजकर लाएंगे? कम्प्यूटर जनित ध्वनियों में वह बात नहीं बन पाती। ज्ञातव्य है कि शापुरजी पालनजी ने ‘मुगलेआजम’ को रंगीन करते समय पूरा संगीत स्टीरियो में करने के लिए नौशाद से बात की। नौशाद को दक्षिण भारत से वादक बुलाना पड़े। कम्प्यूटर जनित ध्वनियां नायलॉन हो सकती हैं, हाथ करघे पर बनाई खादी नहीं हो सकती।
एक प्रयोग यह किया गया था कि पौधे रोपने के बाद उनके सामने शास्त्रीय संगीत वादन किया गया। प्रयोग का परिणाम यह है कि संगीत वादन जहां किया गया, वहां फूल जल्दी खिले और अधिक मात्रा में खिले। संगीत के द्वारा उपचार भी किया गया है। संगीत प्राण बचाने वाली विधा है। क्या आज कोई संगीतकार यह ज्ञान प्राप्त कर सकेगा कि किस राग के सुनने से कोरोना रोग से मुक्त हुआ जा सकता है। शंकर-जयकिशन का प्रिय राग भैरवी रहा है, परंतु ‘जाने कहां गए वो दिन’ शिवरंजनी है। शिवरंजनी कोरोना से मुक्त करा सकता है। स्मरण रहे कि शिव को नीलकंठ कहकर भी प्रार्थना की जाती है। सारा जहर वे कंठ में रख लेते थे। जहां कोई दवा या दुआ काम न करे, वहां संगीत का सहारा लेना चाहिए। कोविड मरीजों या संभावित मरीजों को जिन अस्पतालों में रखा गया है, वहां शास्त्रीय गायन के टेप बजाए जाना चाहिए। ज्ञातव्य है कि इंदौर कैंसर अस्पताल के संस्थापक डॉ. मधुसूदन द्विवेदी ने अस्पताल में चौबीस घंटे संगीत टेप बजाना प्रारंभ किया था।
मध्य प्रदेश के मैहर में शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जाती थी। पंडित रविशंकर को ‘भारत रत्न’ दिया गया और पांच बार ‘ग्रेमी’ पुरस्कार प्राप्त हुआ। मैहर घराने का पुनरुद्धार आवश्यक है। क्या पाठ्यक्रम में संगीत को एक ऐच्छिक विषय की तरह नहीं रखा जा सकता? ज्ञतव्य है कि बिल गेट्स ने 2015 में ही कोरोना रोग फैलने की आशंका व्यक्त की थी।