शाहरुख को कोई खतरा नहीं है / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 30 जनवरी 2013
पाकिस्तानी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद ने शाहरुख खान को पाकिस्तान में बसने का निमंत्रण दिया है, क्योंकि शाहरुख खान के एक बयान का उसने यह मतलब निकाला कि शाहरुख स्वयं को भारत में सुरक्षित नहीं समझते। दरअसल शाहरुख ने ऐसी बात नहीं कही है। शाहरुख का सिर्फ यह कहना था कि कभी-कभी उन्हें उन मुसलमानों का प्रतीक मान लिया जाता है, जिनकी सहानुभूति पाकिस्तान के साथ है। कई बार अफवाहें फैली हैं कि शाहरुख को अपने वतन चले जाना चाहिए। शाहरुख के पिता ने भारत की आजादी की जंग में हिस्सा लिया था। कुछ इसी तरह की बेबुनियाद अफवाहें किसी जमाने में दिलीप कुमार के बारे में भी फैली थीं और यह तक कहा गया कि उनके घर ट्रांसमीटर निकला। सच्चाई यह है कि ट्रांजिस्टर भी उनके घर नहीं था।
बहरहाल, हाफिज सईद जानता है कि पाकिस्तान अत्यंत असुरक्षित देश है, जहां तकरीबन रोज ही एक घटक दूसरे पर आक्रमण कर रहा है और मुस्लिम समाज दर्जनों दलों में विभक्त हो चुका है। हमारे यहां तो एक विवादित ढांचा ही टूटा, जबकि पाकिस्तान में अनेक पाक इमारतें आतंकवाद की शिकार हुई हैं। हकीकत यह है कि पाकिस्तान से कहीं अधिक मुसलमान भारत में रहते हैं और यहां सभी कौमें समान रूप से सुरक्षित हैं। सच तो यह है कि वर्तमान कालखंड में कोई कहीं सुरक्षित नहीं है और जरूरी नहीं कि हथियारों से लोग मर रहे हों। हवा में प्रदूषण, भोजन में मिलावट और सड़क दुर्घटनाओं में भी लोग मर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों जगह गहरी आर्थिक खाई है, परंतु भारत की आर्थिक खाई से कहीं अधिक गहरी खाई पाकिस्तान में है। आर्थिक खाई हिंसा और अपराध को जन्म देती है। यह मुमकिन है कि पाकिस्तान में हाफिज सईद और दाऊद इब्राहीम एकदम सुरक्षित हैं। इसके साथ यह भी सही है कि भारत में एक निहायत ही छोटा वर्ग मुसलमानों से नफरत करता है, क्योंकि उन्होंने मौजूदा मुस्लिम समुदाय को तैमूर और महमूद गजनवी का रिश्तेदार मान लिया है। जबकि गजनवी के आने के अनेक शताब्दियों बाद बाबर भारत आया था और उसने अपनी फौज को लूटखसोट से मना कर ऐलान किया था कि वह भारत में बसने आया है। लंबे अरसे तक अमेरिका में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नीग्रो लोगों के खिलाफ संगठित हिंसा हुई है। रेड इंडियंस के खिलाफ हिंसा हुई। दरअसल दुनिया के सभी देशों में धर्म, रंग और जाति के नाम पर भेदभाव हुए हैं और उनके खिलाफ जंग भी हुई है। लिंकन ने तो समानता के लिए अमेरिका में भीषण गृहयुद्ध भी लड़ा था।
दुनिया के तमाम देशों में दूसरी जगहों से आकर लोग बसे हैं और उन्हें नागरिक अधिकार भी दिए गए हैं। अमेरिकी सीनेट और इंग्लैंड की संसद में भारतीय चुने गए हैं। वंशवृक्ष अब कोई नहीं देखता। वर्तमान में केवल आपका काम ही सब कुछ तय करता है। असल वैचारिक आधुनिकता सारी संकीर्णता को खारिज करती है और हाफिज सईद व उसके जैसे अनेक लोगों, चाहे वे सरहद के किसी भी तरफ हों और किसी भी समुदाय के हों, के अवचेतन में सदियों पुरानी ध्वस्त इमारतों का मलबा पड़ा है और दुनिया को भी एक मलबे में बदलना चाहते हैं।
आज चीन के युवा तलघरों में रॉक बैंड बजाते हैं और व्यवस्था से उनका विरोध है। वे गांधीजी को अपना प्रेरणा-स्रोत मानते हैं तथा उनकी पत्रिका के कवर पर गांधीजी की तस्वीर है। इसी तरह पाकिस्तान में रॉक बैंड हैं। वहां का युवा वर्ग जींस पहनता है और आजादी चाहता है। पाकिस्तान में हिंदुस्तानी फिल्मों के लिए अवाम में भारत जैसा ही जुनून है और हमारी फिल्मों की जितनी अवैध डीवीडी वहां बिकती हैं, उतनी तो भारत में भी नहीं बिकतीं। हाफिज सईद चाहे तो इस जुनून को रोकने की कोशिश करके देख ले। लता के गीतों को सुनने के खिलाफ फतवा जारी करके देख ले। हमारे यहां नूरजहां को सुनने पर कोई पाबंदी नहीं है। दरअसल दुनिया के अधिकांश देशों में सच्ची स्वतंत्रता के लिए गजब की बेकरारी है और यह बेकरारी ही दुनिया के लिए उम्मीद की रोशनी है। मनुष्य अपने तमाम आवरणों से मुक्त होकर केवल मनुष्य के रूप में उजागर होना चाहता है। सभी लोग एक-सा सोचें तो आदिम रेजीमेंटेशन की ताकतें शिकस्त खा सकती हैं।
हाफिज सईद को ज्ञात होना चाहिए कि भारत का कोई भी फनकार पाकिस्तान नहीं जाना चाहता, क्योंकि वहां कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि पाकिस्तान के अनेक फनकार यहां आते रहते हैं। एक जमाने में लाहौर आधुनिकता और संस्कृति का केंद्र था। आज वहां सरेशाम सन्नाटा छाया रहता है। अजीब बात यह है कि पाकिस्तान का भारत-विरोधी तबका और भारत का पाकिस्तान-विरोधी तबका एक दूसरे की परोक्ष रूप से सहायता करते हैं। उनकी अमानवीय हरकतें उनकी अपनी जमातों में उनके पूर्वग्रहों को मजबूत करत हैं। दोनों मुल्कों के पास आणविक हथियार हैं, इसलिए जंग को टालने की हर मुमकिन कोशिश दोनों तरफ से की जानी चाहिए, क्योंकि वर्तमान की जंग में किसका ज्यादा या किसका कम नुकसान हुआ, यह मुद्दा ही नहीं है। मुद्दा दोनों के समाप्त होने का है। जिस धर्मनिरपेक्षता ने भारत को पाकिस्तान बनने से बचाया, उस धर्मनिरपेक्षता को खंडित किया जा रहा है। हाफिज सईद को एक हदीस याद दिलाना जरूरी है कि वही सच्चा इस्लाम का मानने वाला है, जिसका पड़ोसी उसके साथ रहने में खुद को सुरक्षित समझे।