शिवाजी की बहन / बलराम अग्रवाल

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शिवाजी की बहन

पात्र—

शिवाजी

चार मराठा सैनिक

चार मुगल सैनिक

चार कहार

मुगल दुल्हन


परदा धीरे-धीरे हटता है। मंच पर अभी अंधकार है। नेपथ्य से आवाजें आनी शुरू होती हैं-होई-हो, होई-हो...होई-हो, होई-हो...

इस आवाज़ के साथ ही मंच पर प्रकाश फैलने लगता है। एक पालकी को उठाए हुए चार कहार और उसको घेरकर चलते हुए कुछ मुगल सैनिक मंच पर प्रवेश करते हैं।

पालकी के आगे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के पीछे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के आगे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के पीछे वाले दोनों कहार—होई-हो...

इस तरह बोलते हुए कहार और पालकी के साथ वाले सैनिक मंच के दूसरी ओर निकल जाते हैं, लेकिन उनकी आवाजें लगातार आती रहती हैं तथा धीमी होते-होते समाप्त हो जाती हैं। आवाजों के धीमी होते-होते दूसरी ओर से शिवाजी अपने चार मराठा सैनिकों के साथ प्रवेश करते हैं।

सैनिक 1—रुककर सुनिए महाराज…मुझे कुछ लोगों के पैरों की आवाजें सुनाई दे रही हैं।

शिवाजी (ध्यान से सुनते हुए)मुझे तो उनके कुछ बोलते हुए इधर आने का आभास हो रहा है।

शेष तीनों (ध्यान से सुनते हुए)आप ठीक कह रहे हैं महाराज।

शिवाजी—यह रास्ता आगे जाकर पंढरपुर की घनी पहाडि़यों के नीचे से गुजरता है। इस पीछे वाले रास्ते से हमें तुरन्त उन पहाडि़यों पर पहुँच जाना चाहिए।

''यों कहते हुए शिवाजी तुरन्त पीछे की ओर घूम जाते हैं और मंच से बाहर की ओर भागते हुए अपने साथी सैनिकों से कहते हैं—

शिवाजी—जल्दी करो, आओ।

सभी सैनिक उनका अनुसरण करते हुए तेजी से चले जाते हैं। मंच के दूसरे द्वार से पालकी लिए हुए कहार और उसको घेरकर चलते हुए सैनिक पहले की तरह ही प्रविष्ट होते हैं—

पालकी के आगे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के पीछे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के आगे वाले दोनों कहार—होई-हो...

पालकी के पीछे वाले दोनों कहार—होई-हो...

इस तरह बोलते हुए कहार और पालकी के साथ वाले सैनिक मंच के दूसरी ओर निकल जाते हैं, लेकिन उनकी आवाजें लगातार आती रहती हैं और धीरे-धीरे सुनाई देनी बंद हो जाती हैं। उनके पीछे-पीछे ही शिवाजी और उनके साथी सैनिक भी प्रवेश करते हैं।

सैनिक 3—हमारे छिपने के लिए बस यही जगह ठीक है महाराज। अगले चक्कर में वे लोग इस पहाड़ी के नीचे से गुजरेंगे। हम अचानक कूदकर उन पर हमला कर देंगे और उन्हें लूटकर या मारकर भाग जायेंगे।

शिवाजी—ठीक कहते हो गंगाराव। लेकिन हमारा मुख्य उद्देश्य लूटमार और मारकाट नहीं हैं। हमारा मूल उद्देश्य अपनी इस मातृभूमि को मुगलों के चंगुल से मुक्त कराना है।

यों कहते हुए शिवाजी उस धरती से मिट्टी उठाकर अपने माथे पर मलते हैं। उनके साथी भी उनका अनुसरण करते हुए कहते हैं—

सभी साथी सैनिक—आप निश्चिंत रहे महाराज। जब तक एक भी मराठा के सीने में साँस है, आपकी तलवार के साये में वो अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए लड़ता रहेगा।

शिवाजी (भरपूर जोश के साथ हाथ में थाम रखी तलवार को हवा में ऊपर उठाकर)तलवार नहीं है...साधारण तलवार नहीं है शिवाजी के हाथ में...माँ भवानी का आशीर्वाद है...साक्षात् भवानी है ये।

सभी साथी सैनिक—माँ भवानी हमारे उद्देश्य को अवश्य सफल करेंगी महाराज।

उनके बातें करते-करते ही जैसे दूर से आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं

शिवाजी—देखो, उनकी आवाजें नजदीक आनी शुरू हो गयी हैं। पहले यह परख करो कि हमें इन पर हमला करना है या नहीं। याद रखो—केवल हमला करना, मार डालना और भाग जाना ही शिवाजी का उद्देश्य नहीं है।

सैनिक 4—आपका हर आदेश हमें याद है महाराज। हमें केवल मुगल सैनिकों और उनके धन को ही अपना निशाना बनाना है।

शिवाजी—बाबूराव, तुम उस ऊपर वाली पहाड़ी पर चढ़कर उन लोगों का जायजा लो।

बाबूराव एक ऊँची जगह पर चढ़कर दूर तक देखता है और शिवाजी को बताता है—

बाबूराव—उधर से एक पालकी को कंधों पर लादे ला रहे चार कहार और पालकी को घेरकर चल रहे चार मुगल सैनिक आ रहे हैं महाराज।

शिवाजी (चिंतापूर्वक)पालकी आ रही है ? पालकी पर तो हम हमला नहीं करेंगे बाबूराव।

बाबूराव—क्यों महाराज ?

शिवाजी—जिस समूह में स्त्रियाँ हों उन पर हमला न करें, ऐसा हमारी पूजनीया माता जीजाबाई का आदेश है मित्रो।

गंगाराव—माताजी का आदेश हममें से कौन टाल सकता है महाराज। लेकिन यह भी तो सोचिए कि मुगलों ने कहीं इसी आदेश की आड़ में अपना धन और अस्त्र-शस्त्र पालकियों में रखकर ले जाना न शुरू कर दिया हो।

शिवाजी—आशंका तो तुम्हारी एकदम उचित है गंगाराव। अब कुछ ऐसा करना होगा कि माताजी के आदेश का उल्लंघन भी न हो और अपना काम भी जिम्मेदारी के साथ हो जाये।

शिवाजी और शेष 3 सैनिक मंच पर इधर-उधर घूमते हुए तरकीब सोचने लगते हैं। बाबूराव अपनी जगह पर बैठा रहता है। आवाजें कुछ और तेज हो जाती हैं जैसे पास आने लगी हों।

शिवाजी—जल्दी सोचो। वे लोग यहाँ शायद पहुँचने ही वाले हैं। (एकाएक चुटकी बजाते हुए) आ गई तरकीब दिमाग में। (ऊपर चढ़े हुए बाबूराव से) उनके साथ सैनिक कितने हैं बाबूराव?

बाबूराव—सैनिक तो केवल चार ही नजर आ रहे हैं महाराज। लेकिन कहारों के हाथ में भी तो एक-एक लाठी पालकी को सहारा देने को है।

शिवाजी—हूँ...हो सकता है कि कहार भी लठैत हों। सुनो, हम पाँच हैं और वो आठ। ऐसा करते हैं कि तुम चारों अचानक ऊपर से कूदकर एक-एक सैनिक की गरदन अपनी बाँहों में जकड़ लोगे और एक-एक कहार की गरदन पर तलवार टिकाकर सबको काबू में कर लोगे। मैं पालकी में देखूँगा। उसमें अगर धन हुआ तो हमारा और उसमें अगर कोई स्त्री हुई तो...

गंगाराव—तो क्या महाराज?

शिवाजी—तो पालकी पर हमला करने के दण्ड स्वरूप हमें प्रायश्चित करना पड़ेगा।

सभी साथी सैनिक—हम सब उस प्रायश्चित में आपके साथ रहेंगे महाराज।

बाबूराव—वे लोग हमारे हमले की हद में आने वाले हैं महाराज।

शिवाजी—तुम तुरन्त नीचे उतर आओ और सब लोग अपनी-अपनी जगह तैनात हो जाओ। मेरा इशारा पाते ही एक साथ हमला बोल देना।

''शिवाजी के बोलते-बोलते ही कहारों की आवाजें निकट आनी शुरू हो जाती हैं। शिवाजी और उनके साथी हमले की मुद्रा में मंच पर बिखर जाते हैं। पालकी लिए हुए कहार ‘हई-हो’ बोलते हुए और उनको घेरकर चलते मुगल सैनिक मंच पर प्रवेश करते हैं। जैसे ही वे लोग मंच के बीच में पहुँचते हैं, शिवाजी के सैनिक हमला करके योजना के अनुसार सब को काबू में ले लेते हैं। शिवाजी कूदकर पालकी के निकट पहुँच जाते हैं—

मराठा सैनिक (मुगल सैनिकों और कहारों से)खबरदार जो किसी ने जरा भी हिलने की कोशिश की।

उनके यह कहते-कहते शिवाजी पालकी का परदा उठाते हैं और चैंककर पीछे हट जाते हैं।

शिवाजी (परेशान आवाज में)गजब हो गया गंगाराव। इस पालकी के आधे हिस्से में धन-दौलत भरी है और बाकी के आधे में कोई नौजवान दुल्हन बैठी है।

गंगाराव—संकोच न करें महाराज। औरतों पर हाथ न उठाने की आपकी कसम की आड़ में मुगल धन-दौलत को औरत के साथ लाने-ले जाने की तरकीब अपना रहे हैं।

बाबूराव—आप इस झाँसे में मत आइए महाराज। दुल्हन को उसकी जगह रहने देकर धन-दौलत को पालकी से बाहर खींच लीजिए।

शिवाजी—नहीं, नहीं बाबूराव। यह अगर झाँसा है तो भी शिवा अपनी कसम तोड़कर माता जीजाबाई के विश्वास को नहीं तोड़ेगा।

शेष दोनों मराठा सैनिक-इन कहारों और सिपाहियों का क्या करना है, हमें वह आज्ञा दीजिए महाराज।

शिवाजी (मुगल सैनिकों से)सुनो दोस्तो, शिवा की माँ ने उसे माँ, बहनों और बेटियों का आदर करना सिखाया है। फिर वे चाहे किसी दुश्मन की ही क्यों न हों। जिस तरह आप जा रहे थे, उसी तरह निडर होकर चले जाइए। (अपने सैनिकों से) अपनी-अपनी तलवारें हटा लो।

सभी मराठा सैनिक अपनी-अपनी तलवारें हटाकर सावधानी के साथ पीछे हट जाते हैं। उनके हटते ही सारे कहार पालकी को जमीन पर रख देते हैं और शिवाजी के कदमों में सिर झुका देते हैं—

कहार 1—महाराज शिवाजी के बारे में जैसा हमने सुना था, वैसा ही पाया।

उसके ऐसा कहते ही चारों मुगल सैनिक भी शिवाजी के कदमों में आ झुकते हैं—

मुगल सैनिक 1—परमात्मा आपकी भुजाओं में हमेशा ताकत बनकर बैठा रहे महाराज। दुश्मन की भी औरत को इतनी इज्जत देने वाला आपके अलावा दूसरा कोई इन्सान हमने आज तक नहीं देखा।

मुगल सैनिक 2—इस दुल्हन को जहाँ पहुँचाना है वहाँ पहुँचाने के बाद हम आप जैसे वादे के धनी इन्सान की खिदमत में रहना पसन्द करेंगे महाराज। आप हमें अपना लेने की आज्ञा दें।

शिवाजी—शिवा के दरवाजे देशभक्त और ईमानदार बहादुरों के लिए हमेशा खुले हैं। आप जब भी आओगे, आपका स्वागत होगा।

उसी दौरान पालकी में से निकलकर दुल्हन बाहर आती है।

दुल्हन (शिवाजी से)पालकी में रखी सारी दौलत को अपनी इस मुगल बहन की ओर से तोहफा समझकर कबूल करो भैया। जो आदमी औरत की इज्जत करना जानता है, यह देश और पूरी कौम उसी के हाथों में महफूज रह सकती है।

शिवाजी—नहीं मेरी प्यारी बहिन, नहीं। शिवा ने अगर यह तोहफा इस समय कबूल कर लिया तो लोग तरह-तरह की बातें बनाने से नहीं चूकेंगे। अपने इस भाई के लिए अल्ला-ताला से सफलता की दुआ करो और अपने घर जाओ। ऊपर वाला तुम्हें सदा सुखी रखे।

दुल्हन—जब तक जियूँगी, मैं यही दुआ करती रहूँगी—हे ऊपर वाले, मेरे शिवा-भाई की बाँहों को जितनी ताकत दे सकता है दे क्योंकि उसकी तलवार कमजोरों पर नहीं जालिमों पर चलती है।

सभी मराठा सैनिक—कमजोरों के रक्षक शिवाजी महाराज की...

सभी कहार, मुगल सैनिक और दुल्हन—जय!

दृश्य समाप्त