शुक्र है कि श्वास पर टैक्स नहीं है / जयप्रकाश चौकसे

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शुक्र है कि श्वास पर टैक्स नहीं है
प्रकाशन तिथि : 11 अक्टूबर 2018


फिल्मकार संगठन का निर्णय यह है कि मनोरंजन कर जिन प्रांतों में वसूला जाता है, उन प्रांतों में वे फिल्में प्रदर्शित नहीं करेंगे। नतीजा यह हुआ कि मध्य प्रदेश में फिल्में प्रदर्शित नहीं हो पा रही हैं। इस प्रांत के सरहदी क्षेत्रों के सिनेमा प्रेमी पड़ोसी प्रांत में जाकर फिल्म देख रहे हैं। ये सिने प्रेमी रेलगाड़ी में बिना टिकट यात्रा कर रहे हैं और टिकट चेकर को रेल टिकट के बदले सिनेमा टिकट दिखाते हैं और हंसने का माद्दा रखने वाले चेकर टिकट को पंच करने स्वांग करता है। राज कपूर की 'बॉबी' इतनी लोकप्रिय थी कि पंजाब के वितरक वकील सिंह ने गांव के सिने प्रेमियों के लिए बस टिकट खरीदने के समय ही पैसा लेकर फिल्म का टिकट भी दिया। इस तरह पंजाब में बॉबी यात्री हुए हैं और बॉबी बसें भी चलाई जाती रहीं।

ज्ञातव्य है कि 'मुगल-ए-आजम' के मुंबई स्थित मराठा मंदिर सिनेमा में एडवांस बुकिंग की एक अलग खिड़की उन दर्शकों के लिए थी, जो पाकिस्तान से भारत केवल फिल्म देखने के लिए आते थे। उन्हें टिकट लेते समय अपना पासपोर्ट दिखाना होता था। उन्हें वीज़ा दफ्तर में अपनी फिल्म देखने का जुनून प्रमाणित करना पड़ता था।

एक हास्य प्रसंग यह भी बनता है कि अगर मनोरंजन कर लगाया जाता है तो फिल्म के उबाऊ होने पर फिल्मकार को दर्शक को बोर करने के दंड स्वरूप धन देना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो अनेक फिल्मकारों का दिवाला निकल जाता और वह भीख मांग रहे होते। भारत के अवाम के पास असीमित धीरज है। वह भूख व अन्याय, असमानता आधारित व्यवस्था को सदियों से झेल रहा है। स्वतंत्रता के समान ही ऊबते रहना भी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। इन सभी बंदिशों से नेताओं को मुक्ति प्राप्त है। वे चाहे कितना ही झूठ बोले और वादाफरोशी करते रहे।

फिल्में अजीबोगरीब कारणों से भी देखी जाती हैं। एक फिल्म को महाराष्ट्र सरकार ने 99 वर्ष तक मनोरंजन कर से मुक्त किया था तो एक सिनेमाघर में वह प्रतिदिन एक शो दिखाते हुए एक दशक तक चलती रही। मुंबई में ग्रीष्म बारहमासी है, अतः उससे बचने के लिए लोग उस फिल्म का टिकट लेकर वातानुकूलित सिनेमा घर में जा बैठते थे। इस बात का पता चलते ही कुछ वेश्याएं भी सिनेमाघर के पास खड़ी हो जाती थीं और दशक से अपना टिकट खरीदने का निवेदन करती थीं। एक टिकट में दो मजे का प्रलोभन होता था। युवा वर्ग ने भी टिकट लेना पसंद किया। वे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ डबल मजे के लिए फिल्म देखते थे। बाग-बगीचों में तो युवा प्रेमियों को पुलिस वाले को रिश्वत देना पड़ती थी परंतु सिनेमाघर में यह जजिया कर देने से बच जाते थे। एक दलील यह है कि श्वास लेने की तरह ही मनोरंजन पर भी कोई कर नहीं लगाया जाना चाहिए। अगर श्वास पर कर देना पड़े तो मनुष्य श्वास लेने में किफायत करने लगेगा। श्वास पर जीएसटी भी लगाया जा सकता है। अपने हवाई यात्रा में गहरी-गहरी श्वास लेते रहना चाहिए, क्योंकि हवाई जहाज में शुद्ध वायु प्रवाहित रहती है। एकमात्र उड़ते हुए हवाई जहाज में ही सबसे कम प्रदूषण रहता है।

मनोरंजन विविध प्रकार के होते हैं। एक व्यक्ति का मनोरंजन दूसरे को उबा सकता है। शेर का भोजन मनुष्य हो सकता है परंतु नॉन वेजिटेरियन मनुष्य भी शेर का मांस नहीं खा सकता। कुछ बादशाहों और उनकी बेगमों का मनोरंजन इसमें होता था कि वे कैदियों को हाथी द्वारा कुचला जाना देखकर प्रसन्न हो जाती थीं। हिटलर के साथियों को यहूदियों के अंडकोष शल्य क्रिया द्वारा निकाल देना मनोरंजक लगता था। इस तरह एक दुष्ट सर्जन पर मनोरंजक उपन्यास का नाम है 'क्वीन्स कोर्ट सेवन' (क्यू.बी सेवन)। पढ़ना कुछ लोगों का मनोरंजन है पर आज छात्रों को यह दंड सामान लगता है। पाठक भी विभिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ लोग किताबों का इस्तेमाल नींद की गोली की तरह करते हैं। वे पढ़ते हैं ताकि नींद आ जाए। कुछ विरल लोग इसलिए पढ़ते हैं कि सदैव जागते रहें। कुछ लोग किताबें लेकर सार्वजनिक जगहों पर जाते हैं और इस तरह किताब उनका फैशन स्टेटमेंट हो जाती है। इसी तरह कुछ लोग फिल्म देखने जाते हैं तो कुछ लोग सिनेमाघर इसलिए जाते हैं क्योंकि उन्हें अपनी नई पोशाक का प्रदर्शन करना है।

बहरहाल, मध्यप्रदेश सरकार ने 10 रुपए सर्विस चार्ज का अधिनियम प्रकाशित कर दिया। संभवत: वे मनोरंजन कर मुक्ति का निर्णय भी कर चुके हैं और किसी उंघते हुए अधिकारी को उसका प्रकाशन करना याद नहीं रहा। फिल्मकारों के संगठन को समझाया जा रहा है कि चुनाव की आचार संहिता के चलते कोई निर्णय नहीं हो सकता है और वे हड़ताल वापस लें अन्यथा सिनेमाघरों में काम करने वाले हजारों लोग उत्सव मनाना तो दूर सामान्य जीवन भी नहीं जी पाएंगे।