शुभदा / शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय / पृष्ठ 2

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हम हलूदपुर गांव के ज़िले के नाम का उल्लेख करना इसलिए आवश्यक नहीं समझते; क्योंकि वह इस प्रकार उपेक्षित स्थान है कि कुछ भी देखने योग्य न होने के कारण, आज तक वहीं कभी किसी ने जाने का नाम नहीं लिया। फिर भी, हम इस स्थान का इतना विवरण प्रस्तुत कर देगे कि पाठकों की उत्सुकता की निवृत्ति के लिए पर्याप्त होगा। यह गांव कभी संपन्न लोगों ने बसाया था। इसे मानने में कोई कठिनाई इसलिए नहीं; क्योंकि एक, यह गांव गंगाजी के किनारे पर स्थित है, दूसरे, पुराने जीर्ण-शीर्ण अथवा खण्डहर हो गये दो-चार शिवमन्दिर और बाग़-बग़ीचे इसके प्राचीन वैभव की गवाही देते हैं। आज भी सूखे पोखरों के पक्के घाटों को देखकर यह अनुमान लगाना उचित प्रतीत होता है कि कभी यह गांव अत्यन्त विकसित रहा होगा।

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