शूटरों की इच्छा / चित्तरंजन गोप 'लुकाठी'
सरकार ने दो शूटरों को बुलाया था ...आंध्रप्रदेश से। वे नील गायों का शिकार करने लगे और देखते-देखते दो सौ से अधिक नील गायों को ठिकाने लगा दिया। खून से मिट्टी भींगी और मौत की विभीषिका से मन भींंग गया। इन जानवरों ने फसलों को नष्ट-भ्रष्ट कर रखा था। किसान तबाह थे। इसलिए उन्होंने कुछ उपाय करने के लिए सरकार से गुहार लगाई थी।
शूटरों के सामने ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई थी। बहुत से किसान भी थे। तभी एक शूटर ने पूछा, "आपके बिहार में हमारे देखने लायक कोई दर्शनीय-स्थल है क्या?"
सब चुप थे।
तभी एक बूढ़ा सामने आया और बोला, "हाँ कई हैं। पर मैं आपसे गुज़ारिश करूंगा कि यहाँ की पवित्र स्थली बोधगया को देख लें। वहींं भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। वहाँ की मिट्टी को एक बार नमन कर लें।"
दूसरे शूटर ने पूछा, "बोधगया? क्या सबको ज्ञान मिलता है वहाँ? क्या (कौन-सा) ज्ञान मिलता है?
बूढ़ा चुप था। उसके पास कोई जवाब नहीं था।