शूटिंग पर बिछड़े प्रेमियों का मिलना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :24 फरवरी 2016
अनुराग बसु की 'जग्गा जासूस' की शूटिंग रणबीर कपूर और कटरीना कैफ ने प्रारंभ कर दी है। उनके अलगाव की सुर्खियों से अभी स्याही सूखी भी नहीं है और वे साथ-साथ अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं। एक दौर में मधुबाला और दिलीप कुमार का इश्क अपने उफान पर था और किसी गलतफहमी के कारण वह प्रेम कहानी शादी की मंजिल तक नहीं पहुंची। कुछ लोगों का खयाल था कि दिलीप अपने स्वभाव के अनुरूप हर फैसला लेने में देर करते हैं और हैमलेट की ग्रंथि के शिकार रहे हैं, 'टू बी ऑर नाट टू बी!' महान शेक्सपीयर ने मनुष्य के निर्णय की दुविधा को हैमलेट के माध्यम से अनुभूति की इस गहराई से प्रस्तुत किया है कि इसे हैमलेट कॉम्प्लेक्स कहा जाने लगा है। सच तो यह है कि खूब विचार करने के बाद फैसला करना अक्लमंदी है परंतु सोच-विचार में 'ट्रेन नहीं छूट जाए' इसका खयाल रखना होता है।
मधुबाला-दिलीप प्रेमकथा में अदृश्य में रहे हैं प्रेमनाथ, जिन्होंने दिलीप के कान भरे कि मधुबाला उनसे दगा कर रही हैं और वे प्रेमनाथ को भी बढ़ावा दे रही हैं। यह सरासर झूठ था। बहरहाल, कौन-सी प्रेमकथा कैसे टूटी यह हमारा आज का विषय नहीं है। अनेक बार प्रेमकथा में गरीबी खलनायक होती है और यह कम्बख्त गरीबी ऐसी अमरबेल है कि सदियों से प्रयास के बाद भी कम नहीं होती। सच तो यह है कि गरीबी चतुराई से गढ़ा गया प्रोडक्ट है ताकि साधन-संपन्न लोगों को उनकी सेवा के लिए दास मिलते रहे। पृथ्वी की इतनी विपुल सम्पदा है कि किसी को गरीब होने की आवश्यकता नहीं परंतु उस सम्पदा पर कुछ लोग कब्जा जमाए बैठे हैं।
बहरहाल, दिलीप और मधुबाला के बीच अबोला था परंतु उन्होंने व्यवसायी पारंगत कलाकारों की तरह 'मुगल-ए-अाजम' की शूटिंग पूरी की और अपनी व्यक्तिगत समस्या से फिल्म को नुकसान नहीं पहुंचाया। सच तो यह है कि फिल्म में उनके प्रेम दृश्य इतने सजीव बन पड़े हैं कि यकीन करना कठिन है कि उन दिनों शॉट देने के बाद दोनों मेकअप रूम में चले जाते थे और उनके बीच कोई वार्तालाप नहीं था। इसी तरह मीना कुमारी अपने पति कमाल अमरोही को छोड़कर चली गईं थीं परंतु 'पाकीज़ा' की शूटिंग में कोई बाधा नहीं आई। सच तो यह है कि 'पाकीज़ा' की शूटिंग के समय मीना कुमारी की सेहत इतनी खराब थी कि परफेक्ट शॉट देने के बाद वे अपने मेकअप रूम में कटे वृक्ष की तरह गिर जाती थीं परंतु कैमरे के सामने आते ही जाने कैसे उनकी ऊर्जा लौट आती थी। क्या कैमरे और सच्चे कलाकार का रहस्यमय रिश्ता ऐसा है कि अनजाने से स्रोत से कलाकार को शक्ति मिल जाती है? अभिनेता राजकुमार शूटिंग करते रहे और किसी को मालूम भी नहीं पड़ा कि उन दिनों वे कैन्सर से पीड़ित थे।
अत: रणबीर कपूर और कटरीना कैफ फिल्म उद्योग की परम्परा के अनुरूप अनुराग बसु की 'जग्गा जासूस' पूरी करना चाहते हैं। ज्ञातव्य है कि रणबीर कपूर इस फिल्म के नायक होने के साथ ही सह-निर्माता भी हैं। बहरहाल, इस तरह के व्यावहारिक फैसलों का एक लाभ यह भी है कि साथ काम करने पर हृदय के नीचे कहीं दबे प्रेम के शोले फिर भड़क सकते हैं और शूटिंग वह सेतु सिद्ध हो सकती है, जिस पर रूठे हुए प्रेमियों में फिर प्रेम अगन जाग सकती है। लंबे समय तक विवाह बंधन में बंधे लोग जानते हैं कि आपसी मनमुटाव के बाद फिर एक होने पर प्रेम का अावेग पहले से कहीं अधिक वेग और गहराई से होता है। इस नज़रिये से देखें तो प्रेमियों और विवाहितों के बीच कभी-कभी कलह जरूरी है और होती ही है, क्योंकि दो लोग हमेशा एक-सा नहीं सोचते। कुदरत का करिश्मा है कि हर व्यक्ति की हाथ की रेखाएं अौर आंख की पुतली का रंग अलग-अलग होता है। ऊपर वाला एक ही फरमे से अनेक लोग नहीं गढ़ता। उसकी मौलिकता विलक्षण है? कुछ राजनीतिक दल जरूर अपने सभी सदस्यों को एक ही रंग में रंगते हैं और एक-सी सोच उनके लिए अनिवार्य कर देते हैं। वे प्रोग्राम्ड खिलौने गढ़ रहे हैं। कभी-कभी ये चाभी भरे खिलौने आपस में सर फुटव्वल भी करते हैं।
अनुराग बसु इस तरह के फिल्मकार हैं कि जब तक वे फाइनल संपादन नहीं करते तब तक फिल्म के अंश देखकर कोई कुछ आकलन नहीं कर सकता। जिंदगी भी असंपादित फिल्म की तरह अबूझ पहली है। प्रेम ही इसका अदृश्य संपादक है, जो इन बिखरी रीलों को सार्थक फल्म में बदल सकता है। शायर का नाम याद नहीं, "यहां किसी को भी कुछ हस्बे आरजू न मिला, किसी को हम न मिले और हमें तू न मिला"