शूटिंग / सुरेश सौरभ

Gadya Kosh से
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" पुताई सही नहीं है, पेंटिंग सही नहीं है। किताबें भी कम हैं। कामन गर्ल्स रूम पर, कामन गर्ल्स रूम लिखा नहीं है। यह देखो कितना यहाँ गंदा लिखा है। यह क्या लिखा रखा है? बढ़िया-बढ़िया लिखाइए ताकि लगे आप महाविद्यालय चला रहे हैं। ऐसे हौच-पौच चलाने से अच्छा है कि आप न ही चलाएँ?

तीन सरकारी अध्यापिकाएँ वित्तविहीन महाविद्यालय के प्रबंधक और प्राचार्य पर बहुत जोर-जोर से भड़क रही थी, वे विश्वविद्यालय के पैनल में स्थाई मान्यता के लिए महाविद्यालय में निरीक्षण कर रही थीं। प्रबंधक-प्राचार्य उनकीं बड़ी चिरौरी कर रहे थे, पर वे तमाम कमियाँ निकाल-निकाल कर लगातार उन्हें झाड़े जा रहीं थीं और मान्यता न देने की बात कर रही थीं। उनमें से सबसे उम्रदराज तेजतर्रार अध्यापिका तैश में बोलीं-आगे सब सही कराइएगा तब स्थाई मान्यता के लिए हम लोग आएंगे और तभी फोटोग्राफी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। इस समय कुछ नहीं होगा। टका-सा जवाब देकर वे सब चली ही थीं, तभी प्राचार्य ने उन्हें रोककर सब कुछ सात दिन में सही कराने का समय मांगा, बड़ी खुशामद की, तब उन्होंने समय दे दिया था।

सात रोज के बाद वे तीनों देवियाँ उस महाविद्यालय में फिर प्रकट हुईं। चारों ओर सब कायाकल्प हो चुका था। गजब का रंग-रोगन हो चुका था, पराई मांगी-जांचीं चीजों से महाविद्यालय नया-नया दुल्हन-सा चमक-दमक रहा था। जिसे देखकर तीनों देवियाँ खुश हुईं फिर फटाफट फोटोग्राफी वीडियोग्राफी शुरू हो गई. कुछ समय बाद शूटिंग पूरी हो गई. वे सब चलने को तैयार हो गईं और अपनी-अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ने लगी तभी प्रबंधक और प्राचार्य उनकीं ओर दौड़े तब बड़ी दीनता से प्रबंधक और प्राचार्य की ओर वे तीनों देवियाँ देखने लगीं तब प्रबंधक ने उनकी दीनता को ताड़ते हुए, थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा-मैडम जी आप लोग ज़रा 10 मिनट के लिए कार्यालय में आ जाएँ। ' देर हो रही है, देर हो रही है यह कहते हुए, तीनों देवियाँ दो महापुरुषों के पीछे ऐसे तेजी भागी जैसे पतंग के पीछे डोर भागती है। बाहर खड़े महाविद्यालय के सारे कर्मचारी इस देवयात्रा की वापसी देखने को अधीर थे और प्रश्नवाचक दृष्टि से एक-दूसरे को ताक रहे थे। कोई दस मिनट के बाद प्रसन्नता से खिलखिलाते हुए कार्यालय के बाहर वे निकलीं। अब उनके चेहरों पर दीनता और किसी शिकायत का भाव न था। क्योंकि अब उन्हें शूटिंग का भुगतान किया जा चुका था और इसी भुगतान के आधार पर मान्यता की पिक्चर तैयार होगी। भड़-भड़-भड़ करने वाली देवियो ने इन सात दिनों के बीच में प्रबंधक के बार-बार फोन करने पर कालेज को सजाने-संवारने की तरतीब बता चुकी थीं, जिससे यह पिक्चर पूरी हो सकी।