शेक्सपियर : साहित्य और सिनेमा की पाठशाला / जयप्रकाश चौकसे

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शेक्सपियर : साहित्य और सिनेमा की पाठशाला
प्रकाशन तिथि : 23 अप्रैल 2020


विलियम शेक्सपियर का जन्म 23 अप्रैल 1564 को हुआ और मृत्यु 23 अप्रैल 1616 को हुई। 52 वर्ष की आयु में लगभग 30 नाटक और 154 कविताएं लिखने वाले विलियम के जन्म के कुछ वर्ष पश्चात इंग्लैंड में प्लेग महामारी में अनेक लोग मर गए। शेक्सपियर के छोटे भाई-बहन की मृत्यु भी प्लेग महामारी से हुई। शेक्सपियर के पिता चमड़े के दस्ताने बनाने का काम करते थे और किंवदंती है कि एक दौर में शेक्सपियर ने कसाई का काम भी किया। शेक्सपियर ने नाटक ऐसे लिखे कि सभी वर्ग के दर्शक आनंद ले सकें। सादगी और सामाजिक सोद्देश्यता की आनंद देने वाली फिल्मों की परंपरा चार्ली चैप्लिन से प्रारंभ होकर राज कपूर तथा ऋषिकेश मुखर्जी को प्रभावित करते हुए अब राजकुमार हिरानी तक आ पहुंची हैं।

शेक्सपियर के दौर में रंगमंच पर नारी पात्र भी पुरुष कलाकार ही अभिनीत करते थे। ज्ञातव्य है दादा साहब फालके की फिल्म में भी स्त्री पात्र पुरुषों ने अभिनीत किए और पहले ऐसे कलाकार का नाम अन्ना सालुंके था। शेक्सपियर की कविताओं में अनजान स्त्री में प्रेम और विरह के साथ ही कमसिन वय के किशोर की ओर भी संकेत है। जब शेक्सपियर मात्र 18 वर्ष के थे तब उन्होंने 26 वर्षीय एने हेथवे से विवाह किया। इस पर विवाद है कि क्या एने हेथवे वही स्त्री है, जिनसे शेक्सपियर को प्रेम था। शोध करने वालों का विचार है कि वह एक अन्य स्त्री थी। जिसका नाम एने था, परंतु सरनेम कुछ और था। स्वयं शेक्सपियर के हस्ताक्षर में उनके खुद के नाम की स्पेलिंग अलग-अलग पाई गई है। इसी कारण यह विवाद भी उठा कि शेक्सपियर के नाटक उनके किसी घोस्ट लेखक ने रचे हैं। बहरहाल, शेक्सपियर को लैटिन भाषा का ज्ञान था। उनके नाटकों के विषय लैटिन भाषा में रचे साहित्य से प्रेरित हैं, परंतु शेक्सपियर का अंदाज ए बयां ही और था। मौलिकता से अधिक महत्वपूर्ण है अंदाज ए बयां।

एक बार वह थिएटर जल गया था जहां शेक्सपियर के नाटक प्रस्तुत किए जाते थे। उसका पुन: निर्माण किया गया था। हमारे फेमस स्टूडियो और आर.के.स्टूडियो जलने के बाद दोबारा नहीं बनाए गए। हम हमेशा अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उदासीन रहे हैं। आज भी इंग्लैंड आए पर्यटक शेक्सपियर के जन्म स्थान पर जाते हैं, जिसे बड़े जतन से अपने मूल स्वरूप में सुरक्षित रखा गया है। दुनिया के सभी फिल्म बनाने वाले देशों में शेक्सपियर के नाटकों से प्रेरित फिल्में बनी हैं। भारत में छत्तीसगढ़ में जन्मे किशोर साहू ने ‘हैमलेट’ बनाई थी, जिसके संवाद पद्य में रचे थे जैसे की मूल रचना में हैं। विशाल भारद्वाज ने ‘मैकबेथ’ से प्रेरित ‘मकबूल’ , हैमलेट से प्रेरित ‘हैदर’ बनाई और ‘ऑथेलो’ से प्रेरित ओमकारा बनाई। शेक्सपियर का ऑथेलो श्वेत योद्धा है जो गोरों के राज्य की रक्षा करता है परंतु जब एक गोरी कन्या अश्वेत योद्धा से प्रेम करने लगती है तब गोरे उसके खिलाफ षड्यंत्र रचने लगते हैं। विशाल भारद्वाज का ‘ओमकारा’ योद्धा नहीं है। वह तो डाके डालता है। हमारे मन में योद्धा के लिए आदर की भावना होती है। एक डाकू के लिए सहानुभूति नहीं होती। ‘ओमकारा’ में भी यही भारी त्रुटि है। संभवत: विशाल भारद्वाज राजे-रजवाड़े रचने में धन खर्च नहीं करना चाहते थे।

‘मकबूल’ काबिले तारीफ फिल्म है। शेक्सपियर के ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ से प्रेरित ‘दो दूनी चार’ और ‘अंगूर’ बनाई गई। फिल्म ‘आन’ ‘टेमिंग ऑफ द श्रु’ से प्रेरित। ज्ञातव्य है कि जावेद अख्तर ने भी इसी से प्रेरित फिल्म सनी देओल अभिनीत ‘बेताब’ लिखी। रांगेय राघव पहले भारतीय लेखक थे, जिन्होंने शेक्सपियर का अनुवाद किया। हरिवंशराय बच्चन ने भी अनुवाद किया है। शेक्सपियर के इतिहास प्रेरित नाटकों से प्रेरणा लेकर ही टी.एस.इलियट ने ‘मर्डर इन द कैथेड्रल’ लिखी। इसी कथा से प्रेरित ‘बैकेट’ महान फिल्म है। साहित्य में शेक्सपियर के दुखांत नाटकों को अधिक सराहा गया है, परंतु फिल्मकारों ने हास्य नाटकों से प्रेरित फिल्में अधिक संख्या में बनाई हैं। शेक्सपियर के नाटक ‘ग्लोब’ नामक थिएटर में मंचित किए जाते। इसी के डिजाइन से प्रेरणा लेकर जेनिफर शशि कपूर कैंडल ने मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की है। शेक्सपियर ने भाषा में भी नए मुहावरे गढ़े और नाटकों के संवाद आज भी दोहराए जाते हैं।