श्रद्धा नहीं तो बेड़ा गर्क / विनोबा भावे
Gadya Kosh से
एक साधु था। उसने अपने चेले से कहा, "राम-नाम जपने से मनुष्य हर संकट से पार हो सकता है।" गुरु-वाक्य पर शिष्य को श्रद्धा तो थी, लेकिन पूरा-पूरा विश्वास नहीं था कि राम-नाम चाहे जिस संकट से उबार देगा।
एक बार उसे नदी पार करनी थी। वह बेचारा अर्धश्रद्धालु राम-नाम रटता हुआ नदी पार करने लगा। जैसे-जैसे गले तक पानी में गया और वहां से गोते खाता हुआ बड़ी मुश्किल से वापस आ गया। गुरु से कहने लगा, "लगातार नाम-स्मरण किया, लेकिन पानी कम नहीं हुआ। सब अकारथ गया।"
गुरु बोला, "अनेक बार नाम-स्मरण किया, इसलिए अकारथ गया। अगर नाम-स्मरण में श्रद्धा थी तो एक बार किया हुआ नाम-स्मरण तुझे काफी क्यों नहीं लगा? श्रद्धा कम थी इसीलिए तूने बार-बार नाम-स्मरण किया और इसीलिए गोते खाये।"