संगठन सेॅ समपार तक / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Gadya Kosh से
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मरलोॅ धान में पानी पड़ला पर किसान जेना उमताय जाय छै ओन्हैं 10 जनवरी 1997 केॅ भोरेे-भोर ढोलाही, केॅ आवाज सुनी केॅैॅें लोग अकबकाय गेलै। आखिर कोनची कैॅ ढोलाही पड़ी रहलोॅ छैै। जानतें-जानतें जानलकै कि ढोलाही मैॅ नथूनी रविदास बोललोॅ जाय रहै कि आय 12 बजे सेॅ ब्रहम स्थान मेॅ गाँव के विकास लेली आम सभा बोलैलौॅ गेलौॅ छै। एकरा मेॅ सब पंचायत वासी ज़रूर जुटिहोॅ।

असल मेॅ भागलपुर आरोॅ मुंगेर जिला के विभाजन रेखा पर बसलॉ घौनों आबादी वाला साधन-विहीन लम्बा-चौड़ा टापूनुमा गाँव जेकरा छोटी चम्बल के नाम सेॅ सम्बोधित करै रहै बी0बी0सी0. खड़िया, जहॉ देश दुनिया केॅ हालचाल जानै लेॅली रेडियो के सिवा कोय उपाय नै। डोलाही सुनी केॅ गॉव के लोग काम-धाम अधकीचडों छोड़ी कैॅ आम-सभा में जुटी गेलै कुछ बड़ौॅ-बुजुर्ग कैॅ अलग सेॅ आदमी भेजी कैॅ बोलैलोॅ गेलै। सभा के दिन तरह-तरह के गप-शप, आरोप पत्यारोप सें सुरसूरी बढी गेलै। जेना गरमैलों बोरसी में सूखलोॅ मिरचाय चल्लोॅ गेलौॅ रहेॅ। भोला बाबू हिन्ने-हून्ने बैठलोॅ लोग सेॅ दरी-त्रिपाल पर आबी केॅ बैठै केॅ हकारोॅ देलकैै। आम सभा अध्यक्ष कैॅ चुनाव कैॅ साथ शुरु भेलै। अध्यक्ष बतैलकै कि बैठक कथी लेली बोलैलौॅ गेलोॅ छै। बात चीत ष्शुरू भेलै। तू-तू, में-में के साथें अलग-अलग विकास के मुद्वा उठलै। कोय ईन्दरा आवास ज़रूरी बताबै, कोय कुईया, कोय नाला, कोय स्कूल, कोय बिजली, कोय टेलीफोन। माने जत्तैॅ मू, करीब-करीब ओतनें ओतने बात, ओतने समस्या। राजो भाय कहलकै ऐना नै होथौन।

सबसें पहिनें एगो समिति बनावोॅ आरोॅ समिति के ही निर्णय लै के अधिकार दहो। है बातों पर करीब-करीब आम सहमति बनी गेलै आरो होय गेलै पंचायत विकास समिति के गठन। जेकरोॅ अध्यक्ष-अवकास प्राप्त प्रधानाध्यापक श्री जगदीश प्र0 सिंह, सचिव-विनय कु0 झा आरोॅ कोशाध्यक्ष-अशोक कुमार के बनैलो गेलै। हेकरों अलावे सब टोला मिलायकेॅ 11 ठो प्रमुख सदस्य चुनैलै।

समिति के अध्यक्ष आपस में बात विचार करी कैॅ निर्णय लेलकै कि सब के मांग जायज छै, मगर सबसे ज़रूरी आबै-जाय के समस्या छै। रास्ता सें रेलवे द्वारा लगैलो बैरियर हटबैलो जाय, आरो बढ़िया रकम सड़क बनी जाय ते आधा दुख दरिदर ऐन्है पार होय जैतै। यहा लेली प्रस्तावित सब काम कैॅ रोकी केॅ सबसें पहिनें आवागमन बास्तें सड़क केे निर्माण ज़रूरी छै। हेकरा लेली बात आगू बढ़ैलोॅ जाय। एक जूट होय कैॅ तन-मन

धन सैॅ समिति के सहयोग करै के बात ध्वनि मत सैॅ पारित होलै आरो ताली के गड़गड़ाहट से ब्रहमस्थान के विशाल पीपल के गाछ भी उर्जा बर्साय देखकै।

19 अप्रैल 1998 के दर्जनो गाँव के, हजारो लोग पुल संख्या 184 के पूरब आठ घंटा तक रेल रोको अभियान चलैलकै। इ अभियान में आन्दोलन कारी के अलावे रेल पर सवार सब मुसाफिर, चालक, गार्ड के बीच चूड़ा-गूड़ पानी समिति के तरफ से बाँटलो गलै। घोरघट के लोग बोरिंग चलाय के पानी के उपाय करलै। इन्कलाव-जिन्दावाद, हमारी माँगें पूरी करो। रेल प्रशासन जल्दी आओ, बैरियर हटाओ, हाल्ट बनाओ. सँाझ तक रेल प्रशासन बैरियर हटाय लेलकै अरो रस्ता साफ होय गेलै। फेरू हॉल्ट बनाबै के माँग भारत सरकार तक ले गेलै समिति के पदाधिकारी।

लागलेॅ खड़िया-पीपरा पथ निर्माण के माँग के साथ कागज-पत्तर तैयार करी कैॅ समिति के लोग डी0एम0, मुंगेर के पास पहँुची गेलै। जगदीश बाबू खड़िया-पीपरा-अमैया सड़क के आवेदन टेवुल पर राखी कैॅ खड़ा रहलै। साहेब एक नजर आवेदन पर डाली कैॅ खद्दर धोती कुरता पिन्हे, कंधा पर गमछा जगदीश बाबू के नीचे से उप्पर तक देखलकै।

अचानक कहलकै 'बाहर जाइए'। जगदीश बाबू सर-सर-हम्मे सनीं बीच पन्तर में पड़ी गेलों छीयै सर। साहेब आरों गोसाय गेलै-'आवेदन लिखबाकर दौड़े आते है नेतागिरी करने। बाहर जाइए सब'। पता नै कौन भूत सबार रहै। दरवान बोलाय केॅ तीनोॅ के धकियाय कैॅ बाहर निकाली देलकै। तीनो कैॅ ठकमुरगी लागी गेलै। नै कोय बात, नै कुछ कहा-सुनी। खाली एक दोसरा कैॅ मू ताकतेॅ रहलै। जगदीश बाबू जैतेॅ-जैतेॅ भारी मोन सैॅ कहलकै-डी0एम0 साहेब! हमरा सनी कैॅ ठेली केॅ भगैला सैॅ काम नै चलथौंन आपनें कैॅ हमरोॅ बात मानै लैॅ पड़तै। हम्मे फेरु अैबै, आरौॅ दू-तीन दिना मेॅ अैबै।

सब लोग निराश गाँव लौटलै, बहुत लोग हाल-चाल जानै लैॅली घेरी लेलकै। मतर सबके उतरलोॅ चेहरा देखी कैॅ काना-फूसी हुये लागलै। केन्हों बात निकली गेलै कि डी0एम0 साहेब धक्कियाय के निकाली देलकै सबकैॅ। कोय बात नै सुनलकै। कुच्छू ठिकेदार टाइप के लोग तेॅ डी0एम से मिलना ठट्ठा बुभलकै इ-सब, कही के दाँत बिदोरने ससरी गेलै। मगर मामला गरमाय गेलै।

ठीक दू दिन बाद, 12 जनवरी 1999 के चार-पाँच हजार जनानी-मरदाना, बच्चा-बूढ़ा 'काम हमारा करना होगा। गाँव देखने चलना होगा'। नारा के साथ डी0एम0 के घेराव करलकै। पंचायत विकास समिति के संकल्प शक्ति देखी केॅ साहेब डरलोॅ-सहमलोॅ खड़िया केॅ सब समस्या आपनो आँखी से देखै कैॅ समय आरों तारीख के स्वीकृति दे देलकै।

लोग गाँव आबी के श्रमदान से रस्ता चौरस करलकै, दू गाही तोरण-द्वार, सुन्दर-मंच बनाय के 11 फरवरी 1999 के दिन खड़िया, पीपरा, कटहरा, अमैया, बैजलपुर, घोरघट, गनगनियॉ के लोग उत्साह से लबालब तीन किलो मीटर तक मानव-श्रृंखला बनाय कैॅ साहेब के स्वागत में खड़ा रहलै।

साहब के साथें आरो सब गाड़ी गर्दा उडै़नेॅ खड़िया पहुँचलै। गाड़ी के पीछू-पीछू गर्दा से लेटम-सेट लोग गिरलों पछड़लोॅ मंच तक अैलै। कार्यक्रम शुरू भैलै। गाँव के बच्ची स्वागत-गान गाय के, आरो समिति के लोग माला पिंन्हाय केॅ साहब के स्वागत करलकै। जगदीश बाबू परिचय करैलकै कि-'हिनिये छेकात कलक्टर साहब। देखी लहो अैहिनैॅ होय छै किलिट्टर'।

आजादी के हेत्ते दिन बाद आय हमरा गाँव में पहिलोॅ दफे कोय कलक्टर अैलोॅ छोत्। ऐ लेली आय हमरा सनी के कुछ नै माँगना छै। खाली आपनोॅ साधन सेॅ आदर-सत्कार करना छै। सब लोग ताली बजाय कैॅ आपनोॅ सहमति जताय देलकै।

डी0एम0 साहेब के आँख ढबढबाय गेलै। माइक के पास आबी केॅ बोलै लॅ चाहलकै मतर गल्ला भरियाय गेलै। गिलास में राखलौॅ पानी एक घोंट पीबी केॅ बोललै-"सबसे पहले मैं इस गाँव की धरती को नमन करता हूॅॅँ। आप जनता जनार्दन, माँ-बहनें, भाई को नमन करता हँू और नमन करता हँू, पंचायत विकास समिति के पदाधिकारीयों को जिन्हें हमने विना परखे अपमानित किया। जगदीश बाबू कुछ नहीं मांगने की बात कहके बहुत बड़ी मांग कर दिए. मैं अधिक कुछ कहे बगैर बचन देता हूँ कि खड़िया पंचायत का विकास कल से दिखने लगेगा। एक बार पुनः सबको नमन"।

ठीक दोसरे दिन ईन्जिनियर के टीम, भी0 डी0 यो0 कैमरा के साथ आबी गेलै। सड़क के नाप-जोख करी कैॅ संगठन, आरोॅ तत्कालिक माननीय विधायक श्री जयप्रकाश नारायण यादव जी के 54 लाख के योगदान सेॅ बहुत मजबूत पुल आरो सड़क बनी गेलै। डी0एम0 के बदली के साथें पंचायत के विकास क्रमशः होलोॅ गेलै। आबे आन्दोलन हाँल्ट के मरफ बढ़ी गेलै।

24 दिसम्बर 2002 के भारत सरकार के तत्कालीन माननीय रेल मंत्री श्री नीतीश कुमार (भारत सरकार) के द्वारा खड़िया-पीपरा हाँल्ट के उद्घाटन होलै। पहिलो बेरी कोय भारत सरकार के मंत्री खड़िया के धरती पर पैर राखलकै। आरो विशाल जन समूह के सम्बोधित करी के प्रोग्रामर के किताब अंगिका काव्य घुच्चा 'अंगरथ' के लोकार्पण भी करलकै। आय खड़िया खुशहाल छै। माने सड़क, बिजली, फोन, तालाव, स्कूल, हॉल्ट, चापानल, गली, नाला, नाट्य कला भवन, सामुदायिक भवन, प्रहरी युक्त फाटक (समपार) शेड, बनी कैॅ काम चालू होय गेलोॅ छै। यानी ज़रूरत के करीब-करीब सभ्भे सुविधा।

विकास के इतिहास मेॅ 'संगठन सैॅ समपार तक' के खिस्सा दोसरोॅ गाँव-समाज के अलावेे शासन, प्रशासन आरोॅ सरकार तक खड़िया के संगठन आरोॅ काम के चर्चा करतेॅ रहै छै। संगठन सैॅ समपार तक आय सबके के लिए उदाहरण बनी गेलै।

गाँव समाज के उत्साहित भलमनसो समाज एक विशाल सर्व-भाषा कवि सम्मेलन के आयोजन करी के समिति के तीनो पदाधिकारी जगदीश बाबू, विनय झा आरो अशोक कुमार के क्रमशः ग्राम गौरव, ग्राम विभूति सम्मान से सम्मानित करलकै।

पंचायत विकास समित आरो हॉल्ट निर्माण संघर्ष समिति केॅ सौंसे क्षेत्र के लोग सहयोग करलकै। वोटर लिस्ट मेॅ अंकित सब के सब नाम आपनोॅ-आपनोॅ तरीका से सहयोग करकै। कुछ प्रमुख लोग मेॅः-मणिकांत, राजेन्द्र प्र0, राजेन्द्र कु0, राम, लक्ष्मण, अनुपलाल, सुबोघ, हरिलाल, लोचन, शोभन, दिनेश, संजय, बिमल, बासुदेव, सुनील, सुभास, लक्ष्मी, शत्रुधन, शारदा, अरूण, पंकज, श्यामसुन्दर, सुशील, मनोज, अनिल, पंकज, सहेन्द्र, टेकन, साधुशरण, प्रमोद, रामदेव, रामप्रसाद, प्रकाश, मनीलाल, विलाश, विजय, बब्लू, अजय, अशोक, विभीषण, जालो, राजकिशोर, नरेश, रविन्द्र, भगवान, गजाधर, उमेश, शंकर, गुंजन, राजनंदन, मुकेश, देवन, राजेश, नथुनी, पप्पू, अर्जुन, डब्लू, अवधेश, कमलदीप, राजनीति, खडगधारी, विन्देसरी, अशोक, श्यामानन्द, गिरिश, छोटेलाल, सुरेश ठाकुर, रूपनारायण, सखीचन्द, असिकलाल, शैलेन्द्र, महेश, अशोक, देवकी, सुधीर, सतीश, सीता राम, सरयुग, अरविन्द, राम प्रवेश, बिमल, मृत्युंजय, कविता, रंजू, पूनम, प्रियबंदा, संध्या, मंदाकिनी, कमायनी, ललिता, आरनी। हिनका सनी के प्रयास सेॅ ही पथ प्रणेता जानकी प्र0, बैकुण्ठ मंडल, जगदीश बाबू, महाराज बाबू, राजपति सिंह, बालेश्वर बाबू, भोला बाबू, सरधारी बाबू, बासुदेव बाबू, कार्तिक मंडल, गेनो बाबू, रामरूप बाबू, छोटेलाल झा, रामचन्द्र बाबू, कैलाश बाबू, रामटहल बाबू, भोला बाबू, आरनी के सपना साकार होलै, आरो आकार लेलकै खड़िया पंचायत के सचमुचका विकास।