संगीत गुफा, संगीत बैंक और एलेक्सा / जयप्रकाश चौकसे

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संगीत गुफा, संगीत बैंक और एलेक्सा
प्रकाशन तिथि : 22 जून 2019


आज अपने मोबाइल और लैपटॉप पर अपना मनचाहा गीत सुन सकते हैं। 'एलेक्सा' आदेश प्राप्त होते ही गीत प्रस्तुत कर देती थी। बार-बार उपयोग करने वालों को एलेक्सा बखूबी पहचान लेती है और उनका मनपसंद गीत उनके फरमाइश करने से पहले ही प्रस्तुत कर दिया जाता है। आज कोई भी व्यक्ति स्वयं के अकेलेपन का राग या वह घिसी पिटी बात कि 'मैं और मेरी तन्हाई' नहीं अलाप सकता। एलेक्सा हमेशा उपलब्ध है। एक दौर में रेडियो सिलोन पर सबसे अधिक फरमाइशें झुमरी तलैया से आती थीं।

कभी-कभी अन्य शहरों के लोग भी अपने पत्र में झुमरी तलैया लिख देते थे। उद्घोषक अमीन सयानी को सितारा हैसियत प्राप्त थी। झुमरी तलैया का भौगोलिक अस्तित्व भी रिकॉर्ड फरमाइश के कारण विस्तृत हो गया। शहरों की सरहदें फैलती और सिकुड़ती हैं। जिसमें म्यूनिसिपल कमेटी या नगर निगम का कोई योगदान नहीं। भिंड, मुरैना, चंबल क्षेत्र अपने डाकुओं के कारण अवाम के अवचेतन में जम गए हैं। कभी-कभी व्यंजनों से भी शहरों की पहचान बन जाती है। जैसे बिरयानी के लिए हैदराबाद और गिलौटी कबाब के लिए लखनऊ प्रसिद्ध हो गए है। मालवा दाल बाफले के लिए जाना जाता है।

कंप्यूटर संगीत संग्रहालय में सब कुछ मौजूद है। विगत दिनों 'एलेक्सा' से निवेदन करने पर खय्याम साहब और जनाब साहिर लुधियानवी के 'फिर सुबह होगी' के गीत इतनी बार सुने की अब एलेक्सा को संबोधित करते ही गूंज उठता है 'चीनो अरब हमारा, रहने को घर नहीं है, कहने को सारा जहां हमारा' इस तरह फिल्म संगीत की गुफा पर 'खुल जा सिम सिम' की जगह 'एलेक्सा' ने ले ली है। सदियों पहले अरेबियन नाइट्स में 'खुल जा सिम सिम' का जिक्र हुआ और आज के दौर में कंप्यूटर और मोबाइल में भी एक 'सिम' का ही प्रयोग होता है। अरेबियन नाइट्स और आधुनिक विज्ञान जाने कैसे एक-दूसरे से सिम द्वारा जुड़ जाते हैं। एक दौर में श्रीलंका की पहचान रेडियो सिलोन बन गया था और एशिया के सभी देश सानद सुन रहे थे। अमेरिका को किसी भी क्षेत्र में किसी और का अग्रणी होना पसंद नहीं आता। श्रीलंका में 'वॉइस ऑफ अमेरिका' की स्थापना की योजना बनाई गई। रूस चिंतित हो गया और उसने भारत से गुहार लगाई कि वॉइस आफ अमेरिका को श्रीलंका में स्थापित करने से रोका जाए। यह सर्वविदित है कि आम अमेरिकन विदेश में मारे जाने से डरता है। वियतनाम और कोरिया के अनुभव ने उसे विचलित कर दिया। उस समय श्रीलंका में लिट्टे आंदोलन अंकुरित की हो रहा था। भारत में बोफोर्स खरीदी के कमीशन के एवज में लिट्टे को हथियार दिए गए। जिस कारण लिट्टे की मारक शक्ति में इजाफा हुआ। कालांतर में लिट्टे विकराल होता गया तो उसे नियंत्रण में रखने के लिए हमारा फौजी दस्ता वहां गया। इस कदम की प्रतिक्रिया में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई। इस पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा फिल्म 'मद्रास कैफे' में प्रस्तुत किया गया है। 'मद्रास कैफे' फिल्म एक राजनैतिक दस्तावेज जिस का ऐतिहासिक महत्व है। भारत में ध्वनि को रिकॉर्ड करने का पहला प्रयास 'टुविन' नामक कंपनी ने किया। एक अन्य कंपनी ने जंगल जाकर जानवर और पक्षियों की आवाज भी रिकॉर्ड की। जिम कॉर्बेट प्रेमातुर शेरनी की आवाज बजाकर शेर को अपनी मांद से बाहर निकालने में सफल हुए और निशाने पर आकर मारे गए। उदय हुआ 'हिज मास्टर्स वॉइस' नामक कंपनी का।

दशकों तक फिल्म संगीत पर एकाधिकार रहा इस कंपनी का। एकाधिकार को तोड़ने के लिए 'पोलिडोर' कंपनी का निर्माण हुआ पोलिडोर को यह जानकर झटका लगा कि तमाम पार्श्व गायक 'हिज मास्टर्स वॉइस' से अनुबंध कर चुके हैं और अन्य कंपनी के लिए गाने को स्वतंत्र नहीं हैं। इस क्षेत्र में गुलशन कुमार ने टी-सीरीज की स्थापना की। टी-सीरीज संगीत अधिकार के लिए इतना अग्रिम धन देने लगी कि उससे पूरी फिल्म बन जाए। आज गुलशन कुमार के पुत्र भूषण कुमार के पास गीतों का बैंक है। भूषण फिल्म संगीत अधिकार खरीदने के साथ ही रेडीमेड गीत भी फिल्मकार को देते हैं। इस एकाधिकार के कारण नए गीतकारों और संगीतकारों को अवसर ही नहीं मिल रहे हैं। गीतों के बैंक ने उभरती प्रतिभा के सारे द्वार ही बंद कर दिए हैं। अब कोई शैलेंद्र नहीं आ सकता। कारपोरेट की शैली में देश चलाया जा रहा है तो संगीत संसार में कारपोरेट राज का विरोध नहीं किया जा सकता।