संजय दत्त का बायोपिक और हीरानी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 18 अप्रैल 2014
प्रिया दत्त चुनाव प्रचार में व्यस्त है। इस क्षेत्र से उनके पिता सुनील दत्त कई बार जीते हैं और स्वयं प्रिया भी तीन चुनाव जीत चुकी हैं परंतु इस बार कड़ा मुकाबला है। उनके भाई संजय दत्त पूना की यरवड़ा जेल में हैं और पत्नी मान्यता की बीमारी के लिए अनेक बार पेरोल पा चुका हैं। अनेक कैदियों के परिवार के सदस्य बीमार रहते हैं परंतु सबको यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। हमारे यहां हर क्षेत्र में माथा देखकर तिलक लगाया जाता है। समान न्याय या दंड विधान के परे सब कुछ होता है। जेल के बाहर समाज जिस अमीर-गरीब के ढांचों में बंटा है, जेल के भीतर भी भेद-भाव कायम है। जैसा बाहरी समाज की दोषपूर्ण व्यवस्था होती है वैसा ही जेल में होता है।
बहरहाल खबर है कि पिछली बार पैरोल पर बाहर निकले संजय दत्त ने राजकुमार हीरानी से प्रार्थना की कि वह उनका बायोपिक निर्देशित करे और ऋषिकपूर से प्रार्थना की कि इस बायोपिक में उनका पुत्र रनबीर कपूर युवा संजय की भूमिका करे। राजकुमार हीरानी की पी.के. तैयार है परंतु आमिर की इच्छा के अनुरूप 19 दिसंबर को प्रदर्शित होगी। यह संभव है कि राजकुमार हीरानी संजय दत्त बायोपिक पर विचार आरंभ करे। संजय दत्त को बचपन में अपनी गैर जिम्मेदार हरकतों के कारण सुनील दत्त ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया था। अपनी अपार ममता के कारण नरगिस दत्त संजय की गलतियों को छुपाने का प्रयास करती थी। जवानी की दहलीज पर संजय लडख़ड़ाते कदमों से आए क्योंकि उन्हें ड्रग्स की लत पड़ गई थी। सुनील दत्त ने लत से छुटकारे के लिए उन्हें अमेरिका ले जाकर इलाज करवाया था। उस समय तक नरगिस को कैंसर हो चुका था और सुनील दत्त ने संजय को लेकर 'रॉकी' की शूटिंग शुरू कर दी थी परंतु प्रदर्शन पूर्व ही नरगिस की मृत्यु हो गई। 'रॉकी' सफल फिल्म नहीं थी परंतु सुभाष घई ने 'विधाता' में संजय दत्त को लिया। उस फिल्म में दिलीप कुमार, संजीव कुमार और शम्मी कपूर जैसे अभिनेता थे।
संजय दत्त ने जिम जाकर अपने शरीर को मजबूत बनाया। राजेंद्र कुमार ने सलीम खान की लिखी फिल्म 'नाम' में कुमार गौरव व संजय दत्त को लिया और उस समय दोनों के कैरियर समाप्त हो गए थे परंतु महेश भट्ट ने इसे सफल फिल्म बना दिया और इस सफलता का श्रेय निर्माता के बेटे कुमार गौरव को नहीं वरन् रिश्ते में उनके साले संजय दत्त को मिला। ज्ञातव्य है कि गौरव का विवाह संजय की बहन के साथ हुआ है। 'नाम' की सफलता के कारण ही संजय को 'सड़क' और 'साजन' मिली तथा वह सितारा बन गया। अफवाह है कि उस दौर में संजय और माधुरी दीक्षित के बीच अंतरंग संबंध थे। सुभाष घई ने भी अपनी 'खलनायक' दत्त और दीक्षित को लिया। जब सब तरफ से सुखद समाचार आ रहे थे तब संजय दत्त टाडा के तहत जेल भेज दिए गए। उन पर संगीन आरोप लगे थे। सुनील दत्त ने बाला साहेब ठाकरे की सहायता लेकर उसे टाडा के बाहर निकाला परंतु अवैध हथियार रखने के आरोप से वे मुक्त नहीं हुए। संजय दत्त अपने जीवन में कभी भी अनुशासित व्यक्ति नहीं थे और अपने निर्माताओं को भी तंग करने के उन पर संदिग्ध आरोप लगते रहे हैं। संजय दत्त के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आए है परंतु वे उदात चरित्र के नायक नहीं लगते। बॉक्स ऑफिस पर भी विगत दशक में राजकुमार हीरानी द्वारा निर्देशित दो फिल्में ही है।
राजकुमार हीरानी विलक्षण प्रतिभा के धनी है और उनके द्वारा निर्देशित तीनों फिल्में अत्यंत सफल रही है। राजकुमार हीरानी जिस तरह की मानवीय संवेदना की फिल्में बनाते रहे है उससे अलग है संजय दत्त का जीवन। उनकी पटकथा में रनवीर कपूर को युवा संजय की भूमिका देना है और रनवीर कपूर भी प्रयोग करते है। अत: दोनों के लिए यह चुनौती है। ज्ञातव्य है कि संजय दत्त की मां नरगिस और रनवीर कपूर के दादा राजकपूर के अंतरंग संबंध सुर्खियों में रहे हैं। अगर हम अपनी कल्पना को जंगल के राजा शेर की तरह स्वच्छंद कर दे। अगर राजकपूर और नरगिस गहरे दोस्तों की जगह पति-पत्नी होते तो क्या उनका पुत्र रनवीर कपूर की तरह होता?
बहरहाल इस वाइल्ड कल्पना को नजरअंदाज कर दे तो यथार्थ यह है कि हीरानी की तीनों फिल्में गांधी से प्रेरित है तो क्या अब वे गन से प्रेरित व्यक्ति का बायोपिक बनाएंगे?