संजय दत्त बायोपिक में रणबीर कपूर / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
संजय दत्त बायोपिक में रणबीर कपूर
प्रकाशन तिथि :05 दिसम्बर 2015


राजकुमार हीरानी और उनके लेखकों ने संजय दत्त बायोपिक का पहला संस्करण बना लिया है और उसमें सतत सुधार कर रहे हैं। संजय दत्त ने हीरानी से मुन्ना भाई शृंखला के निर्माण के समय अपने जीवन की घटनाओं और परिवर्तन का वर्णन किया था। हर व्यक्ति अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन अपने दृष्टिकोण से करता है और इस वर्णन को पूरा सच नहीं माना जा सकता। यह अपनी मनगढ़ंत छवि का उसका वर्णन भी हो सकता है। राजकुमार हीरानी की अभी तक बनी फिल्मों का नायक सरल और ईमानदार व्यक्ति है और वह अपनी भीतरी बुराइयों पर विजय प्राप्त करता है। वे अब जीवन में पहली बार एक 'खलनायक' की कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं और यह संभवत: उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। संजय दत्त की सजा समाप्त होते ही इस फिल्म की शूटिंग अगले वर्ष शुरू होगी और उन्होंने रणबीर कपूर को अनुबंधित किया है। दोनों के व्यक्तित्व में कोई समानता नहीं है परंतु रणबीर कपूर इतना प्रवीण अभिनेता है कि वह संजय का पात्र निर्देशक के आकल्पन के अनुरूप अभिनीत करेगा। अफवाहें हैं कि राजकुमार हीरानी अपनी 'पीके' रणबीर कपूर के साथ बनाना चाहते थे परंतु पुराने मित्र आमिर खान की जिद के कारण उन्होंने उनके साथ ही बनाईं। शायद इसलिए 'पीके' के अंतिम दृश्य में अंतरिक्ष में नए आने वाले व्यक्ति का दृश्य उन्होंने रणबीर कपूर पर फिल्माया।

इस प्रकरण से अपरोक्ष रूप से जुड़ी बात पर गौर करें। कहा जाता है कि जोड़ियां ऊपर तय होती हैं और धरती पर उनका निर्वाह होता है। यह भी संभव है कि कुछ जोड़ियां धरती पर बनती हैं और संभवत: उनका निर्वाह ऊपर होता हो। मसलन राज कपूर और नरगिस की अंतरंगता नौ वर्ष तक कायम रही और उन्होंने दर्जन से अधिक फिल्में साथ अभिनीत कीं। यहां तक कि आरके फिल्म निर्माण संस्था का लोगो भी उनकी अभिनीत 'बरसात' के एक दृश्य से प्रेरित है, जिसमें राज कपूर के एक हाथ में वायलिन है और दूसरी बांह में नरगिस हैं। बाद के वर्षों में इस 'लोगो' पर बने चेहरों के सपाट कर दिया गया। एक तरह से यह राज कपूर का परिचय भी है कि उन्हें संगीत और नारियों से प्रेम रहा है। नारी स्वयं एक दिव्य वाद्य यंत्र की तरह है, जिससे जीवन का संगीत प्रवाहित होता है या यह कहें कि मधुरतम ध्वनियां नारी शरीर के रूप में ढल जाती हैं।

बहरहाल, नरगिस-सुनील दत्त के पुत्र संजय दत्त के बायोपिक को अभिनीत कर रहे हैं राज कपूर के पुत्र ऋषि कपूर के पुत्र रणबीर कपूर गोयाकि नरगिस और राज कपूर के बीच को रहस्यमय रिश्ता अभी तक विविध रूपों में कायम है। क्या ऊपर भी कोई प्रेम तिकोन घटित हो रहा है और राज कपूर, नरगिस और सुनील दत्त वहां मौजूद हैं। अगर धरती पर यथार्थ जीवन में राज कपूर-नरगिस का अलगाव हुआ तो ऊपर भी यह दोहराया जा सकता है। राज कपूर और नरगिस की दूसरी रूस यात्रा में राज कपूर ने अपनी फिल्म के सफल प्रदर्शन पर होटल में आकर कहा 'आई हैव डन इट अगेन' और सुनते ही नरगिस की भाव भंगिमा बदली, क्योंकि अन्य सफल यात्राओं में वे प्राय: कहा करते थे 'यस वी हैव डन इट'। नरगिस के अहंकार कोे चोट लगी, क्योंकि राज कपूर के सारे सृजन की वे प्रेरणा रहीं और कई बार उनके सुझाव भी पटकथा में समाहित किए गए थे, जिसका यह अर्थ नहीं कि वे ही सृजन करती थीं। अगर एेसा होता तो अपने पति सुनील दत्त से वे कुछ महान फिल्में बनवा लेतीं। बहरहाल, दो लोगों के रिश्ते की पूरी हकीकत तीसरे व्यक्ति को कभी नहीं मालूम हो सकती। 'प्रेम की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समाते हैं, वहां गैर तो क्या अपनों के साये भी नहीं आ पाते हैं।'

इसी प्रकरण के इस हिस्से पर गौर करें कि मेहबूब खान ने अपने प्रिय अभिनेता दिलीप कुमार को 'मदर इंडिया' के बिरजू की भूमिका का प्रस्ताव रखा, जिसे दिलीप ने यह कहकर मना किया कि वे जिस नरगिस के साथ प्रेम फिल्में कर चुके हैं, अब उसके बेटे की भूमिका नहीं करेंगे। यह सर्वविदित है कि 'मदर इंडिया' की शूटिंग में सुनील दत्त ने नरगिस को जलने से बचाया था और इसी के बाद उनका प्रेम तथा विवाह हुआ। दूसरी और दिलीप के मन में बिरजू का पात्र ऐसा समा गया कि उन्होंने अपनी 'गंगा-जमुना' में डकैत बिरजू के समान व्यक्ति की भूमिका की और यही बिरजू दो दशक बात सलीम-जावेद की 'दीवार' में महानगरीय परिवेश में प्रस्तुतहुआ। क्या यह संभव है कि संजय दत्त के अवचेतन में भी बिरजू ही है, जिसे 'मदर इंडिया के विपरीत मां ने गोली नहीं मारी वरन् जन्म दिया, पाला पोसा। यह सब एक कल्पना है, यथार्थ कुछ और हो सकता है।