संभोग : अहं-शून्यता की झलक / ओशो
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संभोग : अहं-शून्यता की झलक
अगर हम आग को समझ लें, तो यह दुश्मन नहीं दोस्त है
जीवन एक ऊर्जा है जो स्वयं को पैदा करने के लिए सतत चेष्टा शील है
मृत्यु के धुएँ में अमृत की लौ भी छिपी हुई है
लेकिन काम की शक्ति क्या है?