संस्कार / राहुल शिवाय
अच्छा तो तुम अब चोरी करने पर भी उतर आए रोहन। मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे हाथ भी बहकने लगे हैं। तुम बताओ क्या अभी तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूँ। तुम्हे पता है चोरी की क्या सजा होती है? " कहते हुये रामाधीर सिंह ने रोहन का हाथ पकड़ा।
रोहन बिल्कुल चुप था, आखिर वह रंगे हाथ जो पकड़ा गया था।
"क्या कोई कमी रखी है मैंने तुम्हारे परवरिश में? बताओ क्या यही संस्कार दिया है?" यह कहते हुये रामाधीर सिंह ने रोहन को थप्पड जड़ दिया।
रोहन का मन खट्टा हो गया था। उसने अपने पिता से कहा "यह पैसे मैं अपने दोस्त के लिए ले रहा था। उसके एडमिशन के लिए २००० रुपये की आवश्यक्ता थी। वह कल पैसे लौटा देता पापा।"
"अच्छा तो अब तुम्हारे दोस्त तुम्हे चोरी करना सिखा रहे हैं।" रामाधीर सिंह बोले।
यह बात सुनते ही रोहन का क्रोध और बढ़ गया, उसने जोर से कहा—"नहीं आपने सिखाया है। आपने मुझे रंगे हाथ पकड़ लिया पर दादी अनपढ है वह अपने इस शातिर चोर बेटे को नहीं पकड पाती है जो हर महिने उससे अंगूठा लगवाकर पैसे गायब कर देता है।"