सट्टा संसार में क्रिकेट और सितारे / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :14 अप्रैल 2016
विगत कुछ वर्षों में क्रिकेट का सट्टा खूब खेला जा रहा है और इसकी जांच होने की बात उठी थी परंतु प्रकरण से चोटी के खिलाड़ियों के नाम शक्तिशाली नेताओं ने हटवा दिए। टीम के कुछ िदग्गजों को खेल छोड़ना पड़ता और जेल भी जाना पड़ता परंतु भारतीय शैली में बड़े लोगों को बचा लिया गया और सारी गंदगी की भारी लीपा-पोती कर दी गई। भारत में लोग जुआप्रेमी रहे हैं परंतु इसमें भी चीन इतना आगे हैं कि अंग्रेजी भाषा में मुहावरा है, 'नॉट इवन ए चाइना मैन्स चांस,' तमाम पुरानी संस्कृतियों में जुआ प्रेम का विवरण है। पांचवें और छठे दशक में रतन खत्री का सट्टा पूरे भारत में खेला जाता था और संगठन इतना मजबूत था कि कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी को जीत का पैसा नहीं मिला हो, क्योंकि सभी एजेंट अपने यहां आए खेल का अधिकतम भाग शीर्ष संस्था के पास 'उतार' देते थे तथा उतारने का अर्थ था जोखिम को ऊपर पहुंचा देना। इतना सुचारू संगठन था कि करोड़ों का भुगतान समय पर होता था। रतन खत्री रात 9 बजे ताश की नई गड्डी निकालकर उसमें से राजा, रानी और गुलाम निकालकर हटा देते थे। चित्रहीन पत्तों को फेंटकर कहीं से भी एक-एक करके तीन पत्ते निकाले जाते थे और उनके जमा जोड़ का अंतिम आंकड़ा चुना हुआ अंक माना जाता था परंतु तीनों पत्तों को सही खेलने वाले को एक रुपए के एक सौ चालीस रुपए मिलते थे और इसमें एक जोड़ी होने पर दो सौ रुपए मिलते थे। दूसरी बार अंक रात बारह बजे निकाला जाता था। दोनों बार के छह पत्तों के अंक जीतने वाले को एक रुपए के पांच सौ रुपए मिलते थे। रतन खत्री इन पत्तों को जनता के सामने खोलते थे या ये पत्ते विशिष्ट लोगों की मौजूदगी में खोले जाते थे। यह अवैध धंधा पूरी ईमानदारी से किया जाता था। रतन खत्री की इतनी विश्वसनीयता थी कि बड़े से बड़े 'बुकी' के दबाव में उन्होंने कभी कोई हेराफेरी नहीं की।
एक दौर में रतन खत्री को फिल्म बनाने का चस्का लगा और उन्होंने 'रंगीला रतन' बनाई। रतन खत्री राज कपूर के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन्होंने उनसे भी निवेदन किया था कि वे उनके लिए फिल्म बनाएं। रतन खत्री ने कल्पना के परे धन का प्रस्ताव रखा परंतु राज कपूर ने कभी किसी अन्य निर्माता के लिए फिल्म निर्देशित नहीं की (यहां तक कि मास्को में हुए एक सम्मेलन में शशी कपूर की रूस-भारत सहयोग से बनने वाली 'अजूबा' के निर्देशन के लिए उनसे भरी सभा में निवेदन किया कि दोनों देशों के दिग्गज लोगों के बीच राज कपूर उनका निवेदन अस्वीकार नहीं कर पाएंगे परंतु बड़े भाई तो बड़े भाई ठहरे। उन्होंने पूरी विनम्रता से कहा कि वे नवोदित कलाकारों के साथ 'बॉबी' जैसी फिल्म तो बना सकते हैं परंतु उन्हें भव्य सितारों की तलवारबाजी की फिल्म बनाने का हुनर नहीं अाता। अपने काम में यह सपनों का सौदागर सौदा नहीं करता था। उनका अनाड़ी नायक तो नायिका के जूड़े में फूल गूंथना चाहता था, वह भला तलवार कैसे उठा सकता था।
क्रिकेट का सट्टा भी अत्यंत सुगठित है और पूरी ईमानदारी से करोड़ों का लेन-देन होता है। पुलिस दबिश मारने के पहले बुकी को सूचना देती है, क्योंकि उसे नियमित धन मिलता है। अखिल भारतीय दबिश भी डाली गई है परंतु सारे बुकी समय रहते बैंकाक चले गए थे और वहां बैठकर भी वे सट्टा संचालित करते रहे हैं। समर्थ सट्टा प्रेमी पांच सितारा होटल में कमरा आरक्षित करते हैं और मित्रों के साथ खाने-पीने का दौर चलता है। लतियल सटोरिया इस ओवर में कितने रन बनेंगे इस पर भी बाजी खेलते हैं। हर चौके, छक्के और डॉट बॉल पर भी बाजी लगती है। फिल्म उद्योग के कुछ सितारे और निर्माता करोड़ों रुपए का सट्टा खेलते हैं। एक सुपर सितारे के छोटे भाई ने इस खेल में करोड़ों रुपए का कर्ज लिया। बड़े भाई ने उसके लिए सुपरहिट फिल्म बनाई और उससे वादा लिया कि आइंदा वह सट्टा नहीं खेलेगा। वर्ष में तीन या चार फिल्में करने वाला नायक बड़ी राशि हारा तो बुकी उससे कहा कि नकद भुगतान नहीं करके वह सट्टे की राशि को अपना मेहनताना मानकर उसके लिए एक फिल्म कर दे। यह हुआ और यह बात अलग है कि बुकी को इस घोर असफल फिल्म में भारी हानि हुई परंतु शौकीन बुकी को इसका गिला नहीं है। इस हानि ने उसे फिल्म उद्योग की दावतों में शिरकत करने का अवसर जो दिला दिया।सितारों का चुंबकीय प्रभाव और शानदार दावतों में शामिल होने का लोभ उद्योगपतियों को भी होता है। इन दावतों में चंद दृश्य या एक आइटम करने वाली सुंदरियों का सान्निध्य भी बुकियों को मिल जाता है और उनके बच्चों को भी सितारों के साथ फोटो लेने का अवसर मिल जाता है। जाने कैसे लोग इन बातों पर गर्व करते हैं।
दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में सट्टे को कानूनी व्यवसाय का रूप देकर सरकार लाइसेंस फी में करोड़ों कमाकर अवाम को पानी-बिजली आपूर्ति में मदद करे तो क्रिकेट पर खर्च पानी-बिजली की वसूली हो सकती है। इसमें खतरा यही है कि मंत्री व आला अफसर भी सट्टा खेलेंगे। इस श्रेणी के लोग मवेशी का दूध बेचते हैं, उसका गोबर बेचते हैं और उसका मांस भी बेच खाते हैं। इन अघोरियों को कोई नहीं रोक सकता।