सत्यनारायण सोनी / परिचय

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डॉ. सत्यनारायण सोनी

जन्म - 10 मार्च 1969

जन्म स्थान- ग्राम- परलीका, जिला-हनुमानगढ़ (राजस्थान)

प्रमुख कृतियां- घमसाण, धान-कथावां (राजस्थानी कहानी संग्रह), राजस्थानी उपन्यास साहित्य : विविध आयाम (आलोचना), हिन्दी में बाल-साहित्य की तीन पुस्तकें।

विविध : संपादन- राजस्थानी कथा केन्द्रित तिमाही पत्रिका 'कथेसर', राजेराम रा दूहा।

पुरस्कार-सम्मान-

कहाणी संग्रै 'घमसाण' पर मारवाड़ी सम्मेलन-मुम्बई का घनश्याम दास सराफ सर्वोत्तम राजस्थानी पुरस्कार-1996, ज्ञान भारती-कोटा का गौरीशंकर 'कमलेश' स्मृति पुरस्कार-1997 और राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर का पैली पोथी पुरस्कार-1997। राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) कैलिफोर्निया की ओर से राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया समृति प्रथम अंतरराष्ट्रीय भाषा सेवा सम्मान-2012, जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, जोधपुर की ओर से अभिनन्दन-2012। 2002 से 2007 तक साहित्य अकादेमी-नई दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल में भागीदारी। दैनिक भास्कर-श्रीगंगानगर रै दैनिक कॉलम 'आपणी भाषा आपणी बात' का लेखन और संयोजन। कई कहानियां अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनूदित।

संप्रति : राजस्थान शिक्षा सेवा के अन्तर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, परलीका (हनुमानगढ़) में प्राध्यापक-हिन्दी पद पर कार्यरत।


कथाकर्म पर एक टिप्पणी-

राजस्थानी के युवा और अत्यंत प्रतिभावान महत्वपूर्ण कहानीकारों में सत्यनारायण सोनी का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। चूंकि सोनी गांव में रहते हुए एक पारखी, सजग और यथार्थवादी दृष्टि से गांव और वहां होने वाले निरंतर बदलावों को देखते हैं, इसलिए उनकी कहानियों में ग्रामीण परिवेश का कड़वा-तीखा सच उजागर होता है। उनकी कहानियां आसपास के ग्रामीण परिवेश में फैली विसंगतियों और विद्रूपताओं को बहुत खूबसूरती के साथ बयान ही नहीं करतीं, बल्कि पाठक को बुरी तरह झिंझोड़ डालती हैं। सोनी की कहानियों को पढ़ते हुए लगता है जैसे वे किसी भी साधारण घटना को अपने रचनाकौशल और गहरी अन्तर्दृष्टि से एक नायाब कहानी बना देने का अद्भुत हुनर रखते हैं।

-प्रेमचंद गांधी, 'प्रेम का दरियाÓ ब्लॉग से साभार.

पता: परलीका (हनुमानगढ़)335504, दूरभाष : 01555-282048, 09460102521