आजकल बड़ा अजीब शोर है आस-पास.....रह रह कर चीखता है....चिल्लाता है....डराता है...सन्नाटा है शायद। हाँ ! सन्नाटा ही है।........क्योंकि सन्नाटा ही तो डरता है ; आवाजें कहाँ डरातीं थीं ? ....वे तो गुनगुनातीं थीं....गीत गातीं थीं....बचपन की हँसी के जैसे खिलखिलातीं थीं।