सपना / विवेक मिश्र

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या आपने भी कभी एक सपने के भीतर दूसरा सपना देखा है, जैसे एक समय में एक फ़िल्म के भीतर दूसरी फ़िल्म चलती हो और पहली फ़िल्म के बंद हो जाने पर भी दूसरी चलती रहे और हम उसे देखते रहें, एक सपने की तरह और हमारी नींद न टूटे। सपने के बाहर कोई जागता हुआ हमारे करवट बदलने को सिर्फ़ नींद में करवट बदलना ही समझे, चाहे हम गिर रहे हों किसी खाई में करवट बदलने के साथ ही और वह जागता हुआ आदमी कमरे का दरवाजा बंद करके चला जाए बाहर, हमें नींद में डूबा हुआ छोड़ कर, अनजाने ही, दोहरा सपना देखने के लिए.

सपने के भीतर वाले दूसरे सपने में हो चाहे घोर संकट। काला, गाढ़ा, पिघले हुए कोलतार-सा, जिसमें पाँव रखते ही धँसकर चिपक जाएँ जूते और उन्हें निकालने की कोशिश में लग जाए तारकोल हाथों में और चिपक जाएँ हाथ आपस में, न हों किसी तरह अलग एक दूसरे से। फिर कोई धीरे-धीरे कई टंकियाँ उड़ेल दे पिघले हुए गर्म तारकोल की और वह आ पहुँचे हमारे गले तक, जिसमें फँसे हुए हम करें कोशिश बाहर निकलने की, छटपटाएँ निकलने को और हिल भी न सकें। जैसे गाढ़ी चासनी में फँसी हो कोई मक्खी, खूब भिनभिनाए और भिनभिनाती रहे तब तक, जब तक मर न जाए, ऐसे ही तारकोल में फँसे बुलाते रहें किसी को आखिर तक...,

और इस सपने से बाहर एक और सपना चलता हो, जिसमें से बढ़ाते हों कई लोग अपने हाथ पिघले तारकोल से हमें निकालने के लिए. तभी एक जोरदार सॉयरन बजने लगे। दोनो सपनों में से गुजरता हुआ। मौत का सॉयरन। ...और टूट जाए एक सपना और नींद एक साथ। फिर सपने के भीतर चलते दूसरे सपने में तारकोल में धँसे रह जाएँ हमेशा के लिए, रह जाएँ अकेले मरने के लिए. सपने से बाहर बजता हो घड़ी का अलार्म और फैक्टरी का सॉयरन एक साथ, फिर जागने पर धड़कता रहे दिल बड़ी देर तक जोर-जोर से..., तब तक जब तक सचमुच बजना बंद न हो जाए सॉयरन और अलार्म। ...फिर अपने ही दोहरे सपने में मरने की खबर छुपाते हुए उठें और सँभल-सँभल कर चलें शहर की काले तारकोल वाली सड़कों पर और लगे कि हम जागते हुए भी कोई सपना देख रहे हैं। कई पर्तों वाला सपना, जिसमें पिघल रही है, सड़कों की तारकोल और चिपक रहे हैं आने-जाने वालों के जूते, कभी भी धँस सकते हैं पाँव, पर नींद है कि टूटती ही नहीं।

मैं जगाता हूँ साथ चलते आदमी को, जो चलते-चलते सो रहा है, बताता हूँ उसे कि दरसल हम सोते-सोते चल रहे हैं। कई पर्तों वाला सपना देखते हुए. वह मुस्कराता है मेरी बात सुन कर... फिर अपने भीतर वाले किसी सपने में चला जाता है।