सपने / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
एक आदमी ने एक सपना देखा।
नींद से जागकर वह स्वप्नविश्लेषक के पास गया और उससे स्वप्न का अर्थ बताने की विनती की।
स्वप्नविश्लेषक ने उसे बताया, "मेरे पास अपने वे सपने लेकर आओ, जिन्हें तुमने चेतन अवस्था में देखा हो। मैं उन सबका अर्थ तुम्हें बताऊँगा। लेकिन सुप्त अवस्था के तुम्हारे सपनों को खोलने जितनी या तुम्हारी कल्पना की उड़ान को जान लेने जितनी बुद्धि मुझमें नहीं है।"