सफाई / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
Gadya Kosh से
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
दार्शनिक ने गली के सफाईकर्मी से कहा, "मुझे तुम पर दया आती है, तुम्हारा काम बहुत ही गंदा है।"
मेहतर ने कहा, "शुक्रिया जनाब, लेकिन आप क्या करते हैं?"
प्रत्युत्तर में दार्शनिक ने कहा, "मैं मनुष्य के मस्तिष्क उसके कर्मो और चाहतों का अध्ययन करता हूँ।"
तब मेहतर ने गली की सफाई जारी रखते हुए मुस्कराकर कहा, "मुझे भी आप पर तरस आता है।"