सफेद घोड़ा काला सवार / हृदयेश / पृष्ठ 1

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समीक्षा


जिस उपन्यास का जिक्र यहां नहीं आया वह है हृदयेशजी का उपन्यास 'सफेद घोड़ा काला सवार'। भारतीय न्याय-व्ववस्था पर इससे बढ़िया उपन्यास कोई नहीं आया। हृदयेशजी कचहरी में काम करते थे। वहां के अनुभवों के उपर आधारित यह उपन्यास भारतीय न्याय-व्ववस्था के बारे में तमाम बाते बताता है। यह सच है कि हृदयेशजी की शिक्षा-दीक्षा शायद मात्र इन्टरमीडियेट तक हुई लेकिन इससे उनकी कहानी कला कहीं प्रभावित नहीं हुयी। छोटे शहर के बड़े लेखक के रूप में जाने जाने वाले हृदयेश जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ।

अनूप शुक्ला