सबको सन्मति दे भगवान / जयप्रकाश चौकसे
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प्रकाशन तिथि : 25 दिसम्बर 2012
फिल्म उद्योग में अनेक क्रिश्चिएन हैं। अरबाज की पत्नी मलाइका, कैटरीना कैफ, रितेश देशमुख की पत्नी जेनिलिया, हेलन, 'बर्फी' की सहनायिका इलेना डी क्रूज क्रिश्चिएन हैं, परंतु बबीता, करिश्मा और करीना क्रिश्चिएन नहीं होते हुए भी हमेशा क्रिसमस की रात बांद्रा के चर्च में आयोजित मॉस में हिस्सा लेती हैं और विगत वर्ष करीना के आग्रह पर सैफ अली खान भी मॉस में शरीक हुए थे। इस वर्ष भी ये लोग आधी रात चर्च में होंगे। इस कपूर खानदान की कन्याओं के नियमित रूप से चर्च जाने का संभवत: कारण यह है कि उनकी नानी एक फ्रेंच महिला हैं और बबीता ने ही यह संस्कार उन्हें दिए हैं। दरअसल आजकल एक विज्ञापन शृंखला चल रही है, जिसका संदेश है कि हमें सभी धर्मों की प्रार्थनाओं में शामिल होना चाहिए और यह परस्पर सम्मान ही समाज में शांति स्थापित कर सकता है। अनेक बोहरा, खोजा, पारसी और मुस्लिम समुदाय के लोग मुंबई में अपने घर गणपति उत्सव पर पूजा-अर्चना करते हैं।
'मुगल-ए-आजम' के कृष्ण जन्म पर गीत 'मोहे पनघट पर नंदलाल' के नृत्य निर्देशन के लिए आए बिरजू महाराज ने बताया था कि यह गीत-संगीत रचना वाजिद अली शाह की है और उनके राजमहल में कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर वाजिद अली शाह स्वयं इसको प्रस्तुत करते थे। हिंदुस्तान की संस्कृति में अनेक धर्म के मानने वालों ने योगदान दिया है और इसकी समग्रता आज खतरे में है, क्योंकि नफरत की शक्तियों ने जहर उगला है और मिथ्या प्रचार किया है, जिसे अनेक लोग सच मानने लगे हैं।
करीना और सैफ ने अपने-अपने धर्म के निर्वाह की स्वतंत्रता की शर्त पर ही रजिस्टर्ड मैरिज की है और पुश्तैनी हवेली में अंगूठियों का आदान-प्रदान करके विवाह किया है और सैफ के इंग्लैंड से आए मित्रों की मौजूदगी में विवाह हुआ है। इस्लाम में धर्म-परिवर्तन की इजाजत नहीं है, परंतु अनेक जन्म से अन्य धर्म को मानने वालों ने इस्लाम ग्रहण किया है। हिंदू धर्म लचीला है और कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से इस धर्म को स्वीकार कर सकता है।
यह गौरतलब है कि क्रिश्चिएनिटी और इस्लाम में महत्व बाइबिल और कुरान का है। सिख धर्म में भी गुरु का ग्रंथ ही धर्म स्वरूप ग्रहण किया जाता है और ग्रंथ साहब में कबीर, रहीम इत्यादि अनेक महान कवियों की रचनाएं शामिल हैं। इन तमाम धर्मों में अपनी-अपनी किताब ही सत्य के रूप में स्थापित है और इसी अवधारणा को लेकर जब अंग्रेज भारत में राज करने लगे तो उन्हें हिंदू धर्म की एक किताब की तलाश थी, जो इस समुदाय की धार्मिक विश्वास की प्रतिनिधि रचना के रूप में स्वीकार हो और इसी आवश्यकता के तहत गीता को स्वीकार किया गया। हिंदू धर्म के उपनिषद, वेद इत्यादि मुंह से बोले गए श्लोक हैं और गुरु से सुनकर चेले ने उन्हें आत्मसात किया और अपने शिष्य को दिया। इस परंपरा के तहत वे विचार आगे आए हैं, अत: उनके प्रकाशित संस्करणों में अंतर है और किसे शुद्ध शास्त्रीय मानें इस पर दुविधा है। विद्वानों का मत है कि मूल महाभारत में आठ हजार श्लोक हैं, परंतु चौबीस हजार श्लोक वाले संस्करण भी उपलब्ध हैं। स्पष्ट है कि मूल पाठ में बहुत कुछ जोड़ा गया है। दरअसल धर्म में किताब का महत्व प्रतीकात्मक तौर पर ज्ञान की पूजा है, परंतु धर्म से जुड़े अंधविश्वास व कुरीतियां ज्ञान को समाप्त कर देती हैं।
ये तो धार्मिक किताबों की बात हुई। साहित्य क्षेत्र में भी कबीर द्वारा बोले गए दोहों में कुछ मिलावट हो गई और ज्ञानियों ने विशुद्ध को खोजने में पूरा जीवन लगा दिया है।
बहरहाल क्रिश्चिएन प्रतीकों का भारतीय फिल्मों में बहुत इस्तेमाल हुआ है और कुछ फिल्में क्रिश्चिएन भावना से ओत-प्रोत हैं। हॉलीवुड ने क्रिश्चिएनिटी से प्रेरित अनेक महान फिल्मों की रचना की है और कुछ धर्म के विरुद्ध फिल्में भी बनी हैं, जिन्हें बिना किसी हुड़दंगी रुकावट के देखा गया है।
दशकों पूर्व 'मिरेकल' नामक फिल्म में चर्च परिसर में स्थित अस्पताल भी है और युद्ध के समय एक घायल योद्धा की सेवा करते हुए एक नन को उससे प्यार हो गया। जिस दिन दोनों भागे, परिसर के मध्य में लगी मरियम की मूर्ति अदृश्य हो गई। प्रेमी जोड़ा कुछ दिन जंगल में भागता रहा, परंतु योद्धा प्रेमी की मृत्यु हो जाने पर नन वापस आ गई और उसी दिन मूर्ति भी वापस आ गई। दरअसल नन के भाग जाने वाले दिनों में मूर्ति ने नन का रूप ग्रहण किया था और एक नन के भाग जाने की बात कभी किसी को उजागर ही नहीं हुई, अत: नन के लौटते ही मूर्ति वापस आ गई। बहरहाल मनुष्य स्वयं धर्म नहीं चुनते। उसके माता-पिता का धर्म ही उसका धर्म माना जाता है। अत: सभी अन्य धर्मों के प्रति सम्मान का भाव आवश्यक है।