सबक जिसको याद हुआ, उसको छुट्टी न मिली / जयप्रकाश चौकसे

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सबक जिसको याद हुआ, उसको छुट्टी न मिली
प्रकाशन तिथि : 02 दिसम्बर 2019


उड़ती खबर है कि अमिताभ बच्चन अभिनय से संन्यास ले रहे हैं। कहा जाता है कि उनके डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। अतः यह संभव है कि कुछ महीनों के विश्राम के बाद तरोताजा होकर वे अभिनय क्षेत्र में वापसी करें। 'कुली' की शूटिंग के समय लगी चोट का इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ और एक समय ऐसा आया कि उनका बचना अत्यंत कठिन हो गया। परंतु जुझारू अमिताभ बच्चन मृत्यु से आंखें चार करके वापस आ गए। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, अमिताभ बच्चन को मिलने ब्रीच कैंडी अस्पताल आई थीं। पहली बार एक देश की प्रधानमंत्री किसी अभिनेता की सेहत की कामना करने अस्पताल आई थीं। उस संकट के समय विदेश से दवाइयां लाने का काम फिल्मकार यश जौहर ने किया था। दर्द की सेज पर पड़े-पड़े अमिताभ बच्चन ने अंग्रेजी भाषा में एक कविता भी लिखी थी। कविता का हिंदी अनुवाद भी उन्होंने ही किया था।

अमिताभ ने अपने जीवन में अनेक व्याधियों से मुकाबला किया है। कलकत्ता में नौकरी करते समय उनके बाएं कंधे के पीछे वाले हिस्से की शल्यक्रिया करके एक मोटी गठान निकाली गई थी। वह हिस्सा आज भी दबा हुआ है और उनके कोट में विशेष पैडिंग की जाती है। वे 'माइसेन्थिया ग्रेविस' नामक बीमारी से भी जूझ रहे हैं। शराब और मांस-मछली का सेवन बंद किए उन्हें कई दशक हो चुके हैं।

'कौन बनेगा करोड़पति' के अंतिम एपिसोड की शूटिंग के समय उनकी गर्दन में दर्द हो रहा था। बहरहाल इसी कार्यक्रम की आयोजन टीम की सदस्य सुजाता संघमित्रा ने बताया कि मात्र 1 दिन का आराम करके अमिताभ, अयान मुखर्जी की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की शूटिंग करने के लिए शिमला जा चुके हैं। अगर 'करोड़पति' का एंकर अन्य व्यक्ति हो तो कर्मवीर श्रेणी में अमिताभ बच्चन को प्रतियोगी की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। अपनी स्कूली शिक्षा के समय अमिताभ बच्चन ने एक नाटक में अभिनय किया था, जिसके लिए उन्हें जैफरे केन्डल पुरस्कार दिया गया था। ज्ञातव्य है कि केन्डल परिवार शेक्सपियर के नाटकों का मंचन शिक्षा संस्थानों में करते रहे। उनकी पहली भारत यात्रा में पृथ्वीराज कपूर के परामर्श पर उन्होंने शशि कपूर को अपने साथ लिया था। अमिताभ और शशि कपूर की पहली मुलाकात केन्डल पुरस्कार वितरण समारोह में हुई थी। इसके वर्षों बाद निर्माता श्यामसुंदर शिवदासानी की फिल्म 'पाप और पुण्य' के सेट पर शशि कपूर ने देखा कि अमिताभ चोबदार की मामूली भूमिका कर रहे हैं। उन दिनों अमिताभ बच्चन संघर्ष कर रहे थे। शशि कपूर ने उन्हें कहा कि इस तरह चोबदार जैसी मामूली भूमिका नहीं करें और सही अवसर का इंतजार करें। संघर्ष के दौर में धन की आवश्यकता होने पर शशि कपूर उनकी सहायता करेंगे। अपने प्रति अभिव्यक्त इसी भावना के कारण सफल होने पर अमिताभ बच्चन निर्माताओं से इसरार करते थे कि उनके भाई की भूमिका शशि कपूर करेंगे। अपने संघर्ष के समय वे हास्य कलाकार महमूद के घर भी रहे। महमूद का भाई अनवर, अमिताभ बच्चन का गहरा मित्र रहा। महमूद ने अपनी फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में अमिताभ बच्चन को एक भूमिका भी दी थी।

इंदिरा गांधी की सिफारिश पर ख्वाजा अहमद अब्बास ने अमिताभ बच्चन को अपनी फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में अवसर दिया था। इसी फिल्म की शूटिंग में टीनू आनंद से उनकी दूसरी भेंट हुई थी। पहली भेंट कलकत्ता में हुई थी जब टीनू आनंद, सत्यजीत राय के सहायक थे और टीनू आनंद ने अमिताभ बच्चन को नजदीक से शूटिंग देखने की सुविधा प्रदान की थी। इसी का शुकराना अदा करने के लिए अमिताभ बच्चन ने अपने शिखर के दिनों में टीनू आनंद की 'कालिया' में अभिनय किया। दरअसल फिल्म उद्योग में कोई सेवानिवृत्त नहीं होता और पेंशन की सुविधा भी नहीं है। दर्शक के पास ही नियुक्त और सेवानिवृत्त करने का अधिकार होता है। अमिताभ बच्चन प्रतिभाशाली और परिश्रमी हैं। अपने 50 वर्ष के अभिनय में वे कभी शूटिंग पर देर से नहीं पहुंचे। वे अपने कर्तव्य के प्रति जितने सजग हैं, उतने ही जागरूक अपने मेहनताने के लिए भी हैं। एक पाउंड कम नहीं और एक पैनी अधिक नहीं। इसी पाउंड-पेनी नामक वाक्य पर आधारित एक उपन्यास भी है। हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा बड़े साहस और ईमानदारी से लिखी है, परंतु अमिताभ बच्चन आत्मकथा लिखने में रुचि नहीं रखते। आजकल 'ब्लॉग' लिखा जाता है। अमिताभ बच्चन के हाथ में कर्म करते रहने की रेखा लंबी है। फिल्म उद्योग में कार्यरत सभी लोगों के जीवन का मंत्र है, 'जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां।'