सबसे बैस्ट मिठाई / रश्मि
भाई - दीदी! मम्मी ने आपको मैसेज करने के लिए कहा है। मम्मी कह रहीं हैं कि आप रक्षाबंधन पर घर ज़रूर आना।
बहन - क्यों! तू नहीं चाहता कि मैं आऊँ?
भाई - ऐसा क्यों कह रही हो आप! मैं चाहता हूँ कि आप आएँ ....सच्ची।
बहन - फिर ऐसा क्यों कहा कि ‘मम्मी ने कहा है’
भाई - आप मुझसे नाराज़ हैं न इसलिए। मुझे लगा कि शायद मेरे बुलाने से आप न आएँ।
बहन - मैं तो रोज़ तुझे ऑनलाइन देखती थी और सोचती थी कि तू आज बात करेगा ...आज बात करेगा। लेकिन तूने बात ही नहीं की।
भाई - तुमने भी तो नहीं की दीदी।
बहन - मुझे लगा कि तू नाराज़ है, पता नहीं मुझसे बात करेगा कि नहीं।
भाई – सच में दीदी मुझे भी यही लगा कि तुम मुझसे नाराज़ हो। मैने उस दिन सबके सामने तुम्हें पलटकर जवाब दे दिया था ...सॉरी दीदी
बहन - कोई बात नहीं पगले! तू मेरा भाई है। हम भाई-बहन के अटूट रिश्ते से बंधे हुए हैं। लेकिन तुम्हें उम्र का लिहाज़ तो करना ही पड़ेगा मेरे भाई। आखिर मैं तुमसे बड़ी हूँ। तुम्हें सबके सामने मुझसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी। यदि वही बात तुम मुझे अकेले में कहते, फिर चाहे बेशक लड़ ही क्यों न लेते, मुझे इतना बुरा न लगता।
भाई - सॉरी दीदी
बहन - सुमित! हम अपने आपस की बातें जितने अधिक लोगों के बीच ले जाएँगे, हमारा रिश्ता उतना ही कमज़ोर होता जाएगा। मैं तुमसे उम्र में बड़ी हूँ, इस नाते यदि तुम सबके सामने मुझे सम्मान दोगे तो तुम्हें भी सम्मान ही मिलेगा।
भाई – आप एकदम सही कह रही हैं दीदी। बाद में मुझे भी बहुत पछतावा हुआ था। लेकिन तब तक आप जीजू के साथ जा चुकीं थीं ...आय एम वैरी सॉरी दीदी।
बहन – अच्छा अब सॉरी बोलना बंद कर और बता कि मैं इस बार तेरे लिए कौन-सी मिठाई लाऊं? ...और तू मुझे क्या गिफ्ट दे रहा है?
( भाई रो पड़ा। काफी देर तक ऑनलाइन तो रहा लेकिन कुछ न लिख सका। आज की व्हाट्सअप चैट ने दोनों के दिलों की नाराज़गी मिटा दी थी। ये चैट दोनों को फिर करीब ले आई। )
बहन - सुमित!
तू कोई जवाब क्यों नहीं दे रहा?
???
अब क्या हो गया?
सुमित???
भाई - कुछ नहीं दीदी। आज मेरे दिल का सैलाब आँखों के बाँध पार कर गया। तुम बस जल्दी से आ जाओ। तुम्हारा भाई अपनी सूनी कलाई लिए बैठा तुम्हारी राह ताक रहा है। तुम्हारा आना ही मेरे लिए दुनिया की ‘सबसे बैस्ट मिठाई’ है ...मिस यू दीदी।
बहन - ओह! सुमित मिस यू टू मेरे छोटू। मैं जल्दी से आ रही हूँ।
(अब बहन की आँखों से सैलाब फूट पड़ा था। भाई-बहन का रिश्ता होता भी तो ऐसा ही है। दोनों बचपन से ही लड़ते-झगड़ते हँसते-खेलते हुए बड़े होते हैं लेकिन मज़ाल है कि उनके दिलों में रत्तीभर भी मलाल आ जाए।)