समझदार / दीपक मशाल

Gadya Kosh से
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मोहल्ले के इकलौते प्राइवेट स्कूल की चौथी कक्षा में साथ पढ़ने वाली मुन्नी के साथ मुन्ना की अच्छी जमती। मुन्नी पढ़ाई में तेज़ तो थी ही, स्कूल की और भी कई प्रतियोगिताओं में अब्बल आती। मुन्ना और मुन्नी ज्यादातर साथ ही देखे जाते। कई बार पढ़ाई में वो मुन्नी की मदद भी ले लेता। पर मुन्ना की समझ में ना आता कि उन दोनों की पक्की दोस्ती को सारे मास्टर बड़े अजीब तरीके से क्यों देखते थे? कई बार उसे लगता कि वो इशारों में ही मुन्नी से दूर रहने के लिए कहते हों। फिर भी खुल कर कोई कुछ ना कहता।

पर अभी कुछ दिनों से मुन्ना खुद ही मुन्नी से दूर भागने लगा था। कक्षा में अपने बैठने की जगह भी बदल दी थी। अब ना तो उसके साथ खेलता, ना खाना खाता और ना ही उससे सवाल का हल पूछता। मास्टर जी ने भी उसके पिता से कहा कि 'आपका मुन्ना अब समझदार हो गया है।'

अब होता भी क्यों ना मुन्ना ने इतवार को सुबह जल्दी नींद खुलने पर मुन्नी को उसके अम्मा-बापू के साथ सड़क पर झाड़ू लगाते जो देख लिया था।