समय की कचरा पेटी मे पड़ा प्रेम / जयप्रकाश चौकसे

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समय की कचरा पेटी में पड़ा प्रेम

प्रकाशन तिथि : 31 जनवरी 2011

फिल्म मंडी में खबर है कि किंगफिशर साम्राज्य के युवराज सिद्धार्थ माल्या फिल्म निर्माण करने जा रहे हैं और इस कॉरपोरेट उद्यम में प्रारंभिक निवेश 40 करोड़ का कर रहे हैं। परंतु यह राशि खूब बढ़ाई जा सकती है। अत: एक नई आर्थिक रूप से अत्यंत संपन्न संस्था उस समय प्रस्तुत हो रही है, जब पहले से कार्यरत कॉरपोरेट असफलताओं के कारण आहत हो चुके हैं।

ज्ञातव्य है कि विगत आईपीएल क्रिकेट तमाशे में सिद्धार्थ की बेंगलुरु टीम की शुभकामना सदस्य दीपिका पादुकोण थीं। अच्छे नतीजों के लिए कुछ लोगों को शुभ माना जाता है और उन्हें मोटा मेहनताना दिया जाता है। आजकल हर कार्यक्रम को सौंदर्यमंडित करने के लिए सितारों को मुंहमांगा धन देकर आमंत्रित किया जाता है। बहरहाल, उन दिनों दीपिका पादुकोण आहत थीं क्योंकि रणबीर कपूर से उनका मनमुटाव चल रहा था। सिद्धार्थ माल्या खूबसूरत, धनाढ्ïय और कुंआरे हैं। दीपिका और सिद्धार्थ का मेल-जोल प्रारंभ हुआ और अब दोस्ती इतनी मजबूत हो गई है कि वे हर जगह साथ-साथ जाते हैं।

इस तथाकथित प्रेम-प्रकरण के द्वारा दीपिका अपने भूतपूर्व प्रेमी रणबीर कपूर को बता रही हैं कि तुमसे अधिक अमीर उनका दीवाना है। यह अजीब बात है कि कुछ लोग प्रेम को भी बदला लेने के हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं और अपनी सहूलियत के लिए सदियों पुराना जुमला जड़ देते हैं कि मोहब्बत और जंग में सब जायज है। नाजायज और अनैतिक साधनों से प्राप्त विजय शांति स्थापित नहीं करती। नैतिक मुद्दे के अभाव में युद्ध व्यक्तिगत गुस्सा और अंधी हिंसा का बहाना बन जाता है। बहरहाल, दीपिका का मंतव्य कुछ भी रहा हो, वे निरंतर सिद्धार्थ के साथ हैं।

शायद दीपिका की नजदीकी से प्रेरित होकर सिद्धार्थ फिल्म जगत में बतौर निर्माता प्रवेश करना चाहते हैं। उनकी किंगफिशर का आर्थिक आधार इतना ठोस है कि युवराज सौ करोड़ भी झोंक दें, तो क्या फर्क पड़ता है। कंपनी का केंद्रीय व्यवसाय तो शराब का निर्माण है, गोयाकि नशा बेचते हैं। पूरे देश में तमाम शराब के शौकीन जब मिल-बैठकर 'चीयर्स' कहते हैं तो समझ लें कि माल्या आपकी दावत में अदृश्य रूप से शामिल हैं और शराब सेवन करने वालों की बढ़ती हुई संख्या उनके लिए शुभ है।

इस समय जितनी भी तारिकाएं जिन-जिनसे प्रेम कर रही हैं, वे सभी अमीरजादे हैं। हिंदुस्तानी सिनेमा में अनेक दशकों से गरीब लड़का-अमीर लड़की या अमीर लड़का और गरीब लड़की की प्रेम कथाएं रची जा रही हैं और इस फॉर्मूले को काफी समय तक सुरक्षित माना गया।

दरअसल सितारा प्रेम कथाओं में बदला लेना या अहंकार प्रदर्शन की भावना स्पष्टï नजर आती है। प्रेम के लिए कोई प्रेम नहीं कर रहा है। समाज में रिश्ते-नाते, गोत्र, बैंक बैलेंस इत्यादि देखकर जोडिय़ां बनाई जा रही हैं। निम्न आर्थिक वर्ग में भी अनेक बाहरी कारण हैं। अत: इस दौर में प्रेम के लिए प्रेम या प्रेम के लिए विवाह कम होता जा रहा है और जिंदगी की शतरंज पर यह पवित्रतम रिश्ता भी एक मोहरा बन गया है।