समय / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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'नैनी, तुम्हारी बहुत शिकायतें आ रही हैं। तुम दिन भर घर से बाहर रहती हो। तुम्हारे छोटे भाई बहन कितने अकेले पड़ जाते होंगे? तुम पहले तो ऐसी न थी। तुम्हारी मम्मी और बहन बहुत तारीफ किया करती थीं।'

'मैम, मेरे पापा डांटते रहते हैं। चीखना-चिल्लाना, गाली-गलौज बहुत करते हैं। खासकर मुझ पर तो। मुझे देखते ही जाने क्यों उनके चेहरे की सोफ्टनेस गायब ही हो जाती है। जबकि दिवा और देव को कुछ नहीं कहते।'

'वे बच्चे हैं। यू अर नाओ अ कॉलेज गोइंग गर्ल, बेटा। तुम बड़ी हो। समझदार हो, जिम्मेदार हो।'

'मैम, मम्मी के जाने के बाद घर में मन नहीं लगता। जी घुटता है। इसलिए मैं सवेरे आठ बजे से रात आठ बजे तक घर से बाहर खुद को व्यस्त रखती हूँ-क्लास, लाइब्रेरी, ट्यूशन, कॉफी हाउस, फ्रेंंड्स के साथ मौज मस्ती में।'

'पापा इसीलिए तो तुम्हें डांटते हैं।'

'मैम, घर में ज़्यादा रही तो ज़्यादा डांट पड़ेगी। फिर दिवा भी मेरे साथ मिस बिहेव करती है। कल ही किया।'

'पता है, तुम्हारी गाड़ी स्लिप हो गई. तुम्हें चोट आई. वह वैसा कह गई. क्योंकि उसे तुम्हारी चिंता थी। वह आज मेरे सामने सॉरी फील कर रही थी। वह अभी छोटी है। आजकल बहुत उदास रहती है।'

'मैम, उसकी छोड़ो। अपने पापा पर मुझे ज़रा भी विश्वास नहीं है। ना ही उनके लिए मन में इज्जत है। उनमें कभी पापापन दिखा ही नहीं। वे भी तो पूरे दिन घर से बाहर ही रहते हैं। कहाँ है उनके पास हमारे लिए समय?'

मन हुआ, समझाऊँ इसे कि तुम तीन बच्चे पढऩे वाले हो। खर्च कितना होता है। क्या तुम अनजान हो? काम नहीं करेंगे तो तुम्हें कैसे पढ़ाएंगे? कैसे घर का खर्च चलाएँगे? कैसे तुम्हारी शादियाँ करेंगे। पर मैंने उसे कहा-'बेटा एक बात याद रखना। आज जो भाव, जो विचार तुम्हारे मन में अपने पापा के लिए हैं वे कल तुम्हारे भाई बहनों के मन में तुम्हारे लिए होंगे। क्योंकि कमोबेस तुम भी उसी रास्ते पर हो जिस पर तुम्हारे पापा चल रहे हैं। यह ऐसा रास्ता है जो सीधा चलता है, मुड़ता कभी नहीं। यह वक्त कभी लौटकर नहीं आएगा। ऐसे में दिवा और देव कल जब तुमसे सवाल करेंगे तब उनके जवाब तुम कभी नहीं दे पाओगी। तुम्हारे पापा के बाहर रहने के कारण बहुत होंगे, लेेकिन तुम्हारे पास एक भी नहीं। बहुत पछताओगी। बहुत देर हो चुकी होगी। अभी समय है संभलने-संभालने का।'

आजकल दिवा और देव खुश रहते हैं। अब मैम को नैनी की कोई शिकायत नहीं मिलती।