समुद्री लुटेरे 'हिंदुस्तान के ठग' / जयप्रकाश चौकसे

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समुद्री लुटेरे 'हिंदुस्तान के ठग'
प्रकाशन तिथि : 11 सितम्बर 2018


आमिर खान की फिल्म 'हिंदुस्तान के ठग' का विषय जहाजी लुटेरे हैं और शूटिंग के लिए एक जहाज का निर्माण किया गया है। ज्ञातव्य है कि इस तरह के विषय पर गुरुदत्त ने 'बाज' नामक फिल्म बनाई थी। आमिर खान की फिल्म अमेरिकन फिल्म 'पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन' से प्रेरित है। ज्ञातव्य है कि 'पाइरेट्स' में नसीरुद्‌दीन शाह ने भी काम किया था। सब यह अनुमान लगा रहे थे कि फिल्म उनके बारे में होगी, जो गुलामी के दौर में राहगीरों को लूटकर कत्ल कर देते थे। ब्रिटिश अफसर स्लीमैन ने उनका सफाया किया था। जबलपुर के चंद्रकांत राय ने स्लीमैन की किताब का हिंदी में अनुवाद किया और इसी विषय पर मौलिक लेखन भी किया है। टेलीविजन पर प्रसारित एक कार्यक्रम में चंद्रकांत राय को बतौर विशेषज्ञ आमंत्रित किया जाता था। बंगाल की महेश्वता देवी ने भी ठगों पर रचना की है और उन्हीं के लेखन से प्रेरित होकर एचएस रवैल ने 'संघर्ष' बनाई थी, जिसमें बलराज साहनी, दिलीप कुमार, संजीव कुमार और जयंत इत्यादि कलाकारों ने अभिनय किया था। बहरहाल, आमिर खान जहाजी लुटेरों पर फिल्म बनाकर अपनी छवि में एक और परिवर्तन कर रहे हैं। वे लगातार अभिनय कला में प्रयोग करते रहे हैं। इस फिल्म में जॉनी डेप नायक थे और उसी भूमिका को आमिर अभिनीत कर रहे हैं। इसी प्रक्रिया के कारण वे स्वयं को तरोताजा रखते हैं। इस तरह की फिल्मों की शूटिंग करना कठिन होता है, क्योंकि समुद्र में उठती उत्तुंग लहरों के प्रभाव को उत्पन्न करते समय कैमरे को स्थिर रखने का काम कठिन होता है। मनोज कुमार की फिल्म 'क्रांति' में जहाज पर हाथ-पैर बांधकर रखी हुई हेमा मालिनी पर एक गीत का फिल्मांकन भी किया गया था। उस कसमसाहट को हेमा मालिनी ने बखूबी अभिनीत किया था।

पानी पर तैरते हुए जहाज के साथ यह कहावत भी जुड़ी है कि जहाज का पंछी पुनि पुनि जहाज पर आए। जहाजी यात्राओं में कुछ पंछियों के आने को शगुन भी माना जाता है। अल्बट्रास ऐसा ही पक्षी है इस पर कविताएं भी लिखी गई हैं, जिनमें सबसे अधिक लोकप्रिय है सैमुअल टेलर कोलरिज की 'राइम ऑफ एन्शंट मैरीनर'।

ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं। हवाई जहाज से रेगिस्तान और समुद्र देखने पर उनमें समानता नज़र आती है। जहाज से यात्रा करने वाले और जहाज पर काम करने वाले अपने घर से महीनों दूर रहते हैं। नानावटी ने प्रेम आहूजा की हत्या की थी, क्योंकि ऐसी एक लंबी यात्रा का लाभ उठाकर प्रेम आहूजा ने उसकी पत्नी सिल्विया से अंतरंगता स्थापित की थी। इस कांड पर आरके नय्यर ने फिल्म बनाई थी 'ये रास्ते हैं प्यार के'। कुछ समय पूर्व ही अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म भी इसी कांड पर बनी थी परंतु उसमें जबरन देश प्रेम भावना को ठूंसा गया था, जबकि वह क्राइम पैशन था। लेखक रिचर्ड बर्टन ने 19वीं सदी के अंतिम दशक में उपन्यास लिखा था, 'बॉडी एंड सोल' जिसमे नायक लंबी समुद्री यात्रा पर जाता है। उसे अपनी पत्नी की याद आती है और वह अपनी याद की अलख, भावना की इस तीव्रता से जगाता है कि उसे अपनी पत्नी की सशरीर मौजूदगी का एहसास होता है। वह अपने मित्रों को अपने बिस्तर की चादर की सलवटें दिखाता है, जो दो व्यक्तियों के होने की पुष्टि करती है। यह कुछ वैसा ही है जैसे कोई व्यक्ति खाली हथेली पर स्वर्ण मुद्रा लाकर दिखाए। यहां बात उन ढोंगी बाबाओं को नहीं हो रही है, जो हथेली पर भस्म का आना दिखाते हैं। सारांश यह है कि भावना की तीव्रता भौतिक पदार्थ को जन्म दे सकती है। इतना ही नहीं भौतिक पदार्थ भी मनुष्य के हृदय में भावना का संचार कर सकते हैं। जैसे कभी आलू से भरी कचौरी खाते समय आपको उस मित्र की याद आए, जिसने आपको पहली बार वह कचौरी खिलाई थी। देह पर उभरे कुछ चिह्न भी आपको यादों के सफर पर ले जा सकते हैं। नीरज चौधरी की किताब 'हिंदुइज्म' में राधा कृष्ण प्रेम का वर्णन करते हुए उन्होंने राधा को शरीर पर बन गए चिह्नों के कारण कृष्ण की याद में तल्लीन होते प्रस्तुत किया। गोयाकि देह के पृष्ठ पर लिखी हुई कविता का वर्णन किया। कविता कहीं भी और कोई भी लिख सकता है। भावना एक मात्र आवश्यकता है और बाजार की ताकतें भावना विहीन खरीदारों का संसार रच रही हैं। मेरे सुपुत्र प्रमथ्यु एक कार दुर्घटना में किसी चमत्कार से बचें और शेयर बाजार के गुरु ने लिख दिया 'जब से उसने (ईश्वर) मुझे बचाया, मैंने बचना छोड़ दिया' गोयाकि अब उन्मुक्त होकर भयहीन जीवन जी रहे हैं । समुद्र की सतह पर उत्तुंग लहरें चलती हैं परंतु समुद्र के गर्भ में कोई लहर नहीं चलती। वहां स्थिरता ठुमक कर बैठ जाती है।