समोसे गेल चटणी के कई पैटक ले आया कर / नवीन रमण
जय दादी सती की
देख मेरे पै पीसे कोनी होते नहीं तै इबकै मेरी घणी जी करया सै तेरे तै नए साल कार्ड देण का। एक दो कार्ड तै मन्नै आपणी डराइंग की सीट के बी बणाए सै। पर वा बात सी कोनी बणी जूणसी उन कारड़ा मैं हो सै। वैं तो कती कसुत्ते हो सै।
अरै जब तू मेरे तै मिलण आवै सै। तू के लाकै आया करै। घणी कसुत्ती खुसबू आती रह सै। अर जब मन्नै कोळी मे लेवै सै तो मन्नै इसा लाग्गै जणू खुसबू नै मेरी कोळी भर ली। वा खुसबू आगले दिन तक मेरे गात मैं कै आए जा सै। मन्नै आपणी मनियारी तै कही थी अक बढ़िया सा सैंट ल्याइये इबकै। पर वा तै इतना भूंडा ल्याहरी थी। अक बूझै मत।
आज तो मां नै तड़के तीन बजे ठा दी। गाजरपाक बणाणा था। भाई धोरै होस्टल मैं भेजणा सै। मां नू कहवै थी छोरा कती माड़ा होग्या। बाहर का खाणा-पीणा तो इसा-ए होवै सै।
अर तन्नै पता सै के होया। मां चूल्हे मैं आग बाळण खात्तर कागज ढूंढै थी। अर वो तेरा दिया होया लैटर किताब मैं तै बाहर लिकड़ रहया था। जणू मेरे कनी जीभ दिखाता हो। मां नै तो उसकी जीभ-सी पकड़ कै खींच ली। अर सीधा चूल्हे मैं। ओ तो मन्नै देख लिया अर उसका पकड़ कै कान-सा खींच लिया। माड़ा-सा कूणा-ए जल्या था।
छोरी तै खूब जलै सै आग मैं। आज लैटर बी जळ ग्या होता। यो बढ़िया-सा अक मां नै पढ़ना-लिखणा कोनी आता। नहीं तै यैं सारे लैटर जलाणे पड़ते। पर भाई जब होस्टल मैं तै आवै सै उसतै पहल्या मैं सारे जला देऊं सूं। उसनै बी पक्का पुलिस आळा मान लिए। सारी हाण तलासी लिए जा सै।
जब जी नी लाग रहया हो तो यैं लैटर पढ़-पढ़ कै टैम काट ल्यूं सूं। अर आज जब मिलण आवै तो समोसे जरूर लाइये। चटणी के दो पैटक फालतू ले आया कर। थोड़ी रह ज्या सै। मां तो खाण नी देंदी। नू कहवै अक यैं खाएं तो तोळी सुवासण हो ज्यागी।
तेरी ...