सम्राट बनाम रिवाल्वर रानी और कांची / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 22 अप्रैल 2014
अगले शुक्रवार को सुभाष घई की 'कांची' का प्रदर्शन होने जा रहा है जिसका कर्णप्रिय संगीत लोकप्रिय हो चुका है, साथ ही राजश्री कम्पनी की 'सम्राट एंड कम्पनी' और कंगना रनावत अभिनीत 'रिवाल्वर रानी' भी प्रदर्शित हो रही है। सुभाष घई की 'कांची' उनकी अन्य प्रेम कहानियों की तरह है और ब्रान्ड सुभाष घई फिल्म ही है परंतु बडज़ात्या परिवार की पारिवारिक फिल्मों की तरह 'सम्राट' नहीं है, वह एक जासूसी कथा है जिसकी प्रेरणा उन्हें शरलक होम्स और अगाथा क्रिस्टी की कथाओं से मिली है। राजश्री कम्पनी ने अपने ब्रान्ड के बाहर अब तक केवल दो फिल्में बनाई हैं। एक महेन्द्र सन्धू अभिनीत 'एजेंट विनोद' थी जिसका सैफ की 'एजेंट विनोद' से कोई संबंध नहीं और दूसरी नूतन तथा अमिताभ बच्चन अभिनीत 'सौदागर' थी। बहरहाल यह उनकी तीसरी फिल्म है जो पारिवारिकता की चाशनी में डूबी नहीं है। 'रिवाल्वर रानी' तो कंगना रनावत ब्रान्ड की फिल्म है। अब कंगना ने यह हैसियत हासिल कर ली है कि उसकी अभिनीत फिल्म उसकेब्रान्ड की मानी जाए। अत: तीन फिल्मों के प्रदर्शन वाले सप्ताह को ब्रान्ड के भीतर-बाहर वाले सिनेमा का सप्ताह माना जा सकता है।
बडज़ात्या परिवार में कविता नई पीढ़ी की है और वह अपने समय के सिनेमा की विविधता की कायल है अत: उसने अपने निर्देशक की यह पटकथा पसंद की है। उनके प्रचार की पंक्ति भी शरलक होम्स से ली गई है- देखकर आकलन द्वारा परिणाम पर पहुंचना। सर आर्थर कानन डॉयल ने डॉक्टरी की परीक्षा पास की थी परंतु कभी प्रैक्टिस नहीं की और जासूसी साहित्य में क्रांति कर दी। उनका पात्र शरलक होम्स उनके शिक्षक द्वारा प्रेरित था जो केवल निरीक्षण करके तर्क द्वारा नतीजों पर पहुंचता, मसलन उसने कक्षा में देर से आने वाले विद्यार्थी के जूतों पर कीचड़ देखा और रेडियो पर उसने सुबह सुना था कि किस क्षेत्र में वर्षा हुई है, अत: बता दिया कि विद्यार्थी किस क्षेत्र का है और बारिश के कारण विलंब से आया है। अंग्रेजों के साथ ही भारत में जासूसी पर साहित्य आया जबकि हमारे यहां तो देवकीनंदन खत्री के जादुई जासूसी पात्र होते थे जो लखलखा सुंघाकर बेहोश करते थे और मन चाहा रूप लेने में प्रवीण अयार होते थे। बंगाल में जासूसी कहानियां मौलिकता से लिखी गईं और सत्यजीत राय जैसे मानवीय करुणा के कवि ने भी इस क्षेत्र में काम किया। हिंदी में इब्ने सफी की उर्दू में लिखी 'जासूसी दुनिया' का हिंदी संस्करण बहुत लोकप्रिय था और उन किताबों को हाल ही में दोबारा प्रकाशित किया गया है। अंग्रेजी में अगाथा क्रिस्टी ने इस तरह के लेखन को नई साहित्यिक ऊंचाइयां दीं और उनकी नायिका मिस मरपल वृद्ध महिला थी।
सुभाष घई की कांची में मिष्ठी नामक आकर्षक नायिका प्रस्तुत की गई है। सुभाष घई को नायिका प्रस्तुत करने के तरीके में प्रवीणता प्राप्त है। उन्होंने माधुरी दीक्षित, मीनाक्षी शेषाद्रि, मनीषा कोइराला और ऐश्वर्या राय को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। उनकी फिल्मों के संगीत निर्देशक लक्ष्मी-प्यारे हों, नदीम- श्रवण हों या रहमान, उनके संगीत पर उनकी छाप स्पष्ट ध्वनित होती है। सुभाष घई ने अपनी निर्माण संस्था की पहली फिल्म 'कर्ज' के नायक ऋषिकपूर को 'कांची' में चरित्र भूमिका दी है। 'कर्ज' से 'कांची' तक सुभाष घई की यात्रा ऊंचे-नीचे रास्तों से गुजरी है।
रिवाल्वर रानी की नायिका सात वर्ष की वय में अपनी मां का दुष्कर्म होते देखती है तो आक्रोश से भरी वह दुष्कर्मी का कत्ल कर देती है। इस कुरूप सी कन्या को विवाह के बाद बांझ कहकर अपमानित किया जाता है। सारा जीवन समाज की कुरीतियों से लडऩे वाली लड़की डाकू भी रही है और चुनाव भी लड़ती है। फिल्म का एक मार्मिक दृश्य है जिसमें वह निर्णायक अवसर पर गोली नहीं दागती और पूछे जाने पर कहती है कि वह गर्भवती है और गोलियों की आवाज से गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। यह शाइनिंग इंडिया नहीं, प्रचार द्वारा विकसित देश भी नहीं वरन् असल भारत में एक गरीब लड़की के विद्रोह की रोमांचक कथा है। इसकी ब्रान्ड कीमत कंगना रनावत है। क्वीन के रिवाल्वर रानी बनने की कथा अत्यंत मनोरंजक और सार्थक हो सकती है।