सरकार का स्वर्णिम स्वप्न / प्रमोद यादव
एक सरकार ने ( संत शोभन सरकार ने ) दूसरे सरकार को ( केन्द्रीय मंत्री को) अपना हजार टन सोने का सपना ट्रांसफर कर चैन की नींद सो गया..अपने दिमाग का फितूर दूसरों के दिमाग में डाल दो तो बड़ा ही सुकून मिलता है..सारे न्यूज चैनल में कहीं दिखते ही नहीं. अपना एक पी.ए.(शिष्य) छोड़ गए हैं जो हर आने-जाने वालों को महा खजाने का सपना परोस रहे हैं..नक्शा बता रहे हैं.. इधर-उधर बैठ फोटो खिंचवा रहे हैं.. जी हाँ..हम बातें कर रहें हैं-राजा राव रामबख्श के किले के नीचे दबे हजार टन सोने की..जिसकी खुदाई ए.एस.आई. की टीम ने आज शुरू कर दी ....पूरे देश की आँखें ( विशेषकर महिलाओं की आँखें ) टी.वी. में बार-बार सोने के ढेर देख चौंधिया गई है. वैसे भी हमारे देश की महिलाओं को दो ही चीज तो पति से भी ज्यादा पसंद है- पहला- सोना...और दूसरा भी सोना ( वह भी घोड़े बेचकर )..
अच्छा हुआ कि वहाँ धारा 144 लगा दिया है..अन्यथा बीबीजी की जिद में जाना ही पड़ जाता. कई दिनों से तंग कर रही थी कि चलिए वहीँ चलते हैं..बहुत दिन हो गए,कहीं गए भी नहीं..घूमना भी हो जाएगा..’ तब मैंने उसकी बातों को काटते कहा था- ‘ अरे जाना ही है तो अपने मायके हो आओ ना..चलो मैं अभी छोड़े देता हूँ..’
वो बिदक गई- ‘ वहाँ तो जाना होता रहता है..बाद में जायेंगे तो भी चलेगा..वैसे भी माँ-बाबूजी वहाँ स्वस्थ हैं..कल ही फोन से बात हुई है ..’
‘अच्छा..तो बनारस चलें ?..पिछले दो साल से तुम कह रही हो...’
‘नहीं जी...उधर तो अभी बाढ़ है..ठण्ड के मौसम में वहाँ जायेंगे.. फिलहाल उन्नाव चलो ना...राजा का पुराना किला भी देख आयेंगे..’
‘सीधे-सीधे कहो ना..सोना देखना है...वो भी एक हजार टन...हमारे पहुँचते तक वह क्षेत्र महिलाओं के लिए प्रतिबंधित हो जाएगा...हजार टन के पीछे लाखों महिलायें मर जायेंगी-हार्ट-अटैक से..’
वह गुस्सा हो गई. फिर उलाहना देते बोली- ‘तुमने तो आज तक एक सोने का बिस्कुट तक नहीं दिखाया..अब टनों सोना फ्री में देखने को मिल रहा है तो उसमे भी परेशानी..उफ़..कैसा मंजर होगा...सोने का पहाड होगा न..देखकर मेरी तो आँखें चौंधिया जायेगी...’
“तुम्हारी आँखे तो टी.वी. देख-देख ही चौंधिया गयी है..उल्लू के जैसी हो गयी है तुम्हारी आँखें..कई दिनों से देख रहा हूँ ..न तुम ‘ दिया और बाती ‘ देखती हो ..ना ही ‘ प्यार का दर्द है..मीठा-मीठा..प्यारा-प्यारा ‘...ना ही ‘ तारक मेहता का उल्टा चश्मा ‘ देखती हो ..ना ही ‘ ये रिश्ता क्या कहलाता है ‘ बस ..बदल-बदल कर न्यूज चैनल पर दौडी जा रही हो..तुम्हें क्या लगता है कि कोई चैनल हजार टन सोना टी.वी. से ही परोस देगा...अरे मूरख सभी चैनल वाले अमूमन वही सब दिखाते हैं जो वहाँ हो रहा होता है....गरीब चैनल वाले केवल यही दिखाते हैं कि देखिये..सोना तो बाद में निकलेगा जब ए.एस.आई. की टीम खुदाई करेगा..अभी देखिये- क्या निकल रहा है- गरम-गरम समोसा..जलेबी...बड़े..भजिये...किले के नीचे दबे ठन्डे हजार टन सोने के ऊपर गरमागरम बाजार. सजकर तैयार..आस-पास के स्थानीय लोग सोने से पहले चांदी काट रहे है.. कैमरामैन अजित नागर के साथ प्रभात भटनागर...सोना टी. वी. उन्नाव ..
मझोले श्रेणी के चैनल वाले अंदर तक नहीं पहुँच पाते तो स्वप्न-शिरोमणि के एक शिष्य को पकड़ घंटो दर्शकों को केवल उनके गुरु और उनके चमत्कारों कि कहानी सुना रहे हैं उनके हर सपनों को हकीकत में बदलने की बात बता रहें हैं..और तो और अभी हजार टन सोना से एक माशा भी बाहर नहीं आया है और वे एक नए सपने का ऐड्रेस बता रहे हैं..कह रहे हैं कि फतेहपुर के मंदिर के नीचे पच्चीस हजार टन सोना दबा है..
उनकी बातें सुन कुछ खाली-पीली चैनल वाले जो किले की भीड़-भाड़ और सरकारी सुरक्षा घेरे से तंग आ चुके हैं, सीधे वहीँ का रुख कर लिए हैं और मंदिर के गरीब पुजारी को पकड़ एक नई कहानी सुना रहे हैं...तुमने देखा कि नहीं ? “
‘हाँ ..थोडा सा देखी हूँ..’ उसने धीरे से कहा- ‘ पर वहाँ अभी कोई भीड़-भाड़ नहीं है.. क्यों न हम वहीँ चले ? वहाँ सोना भी ज्यादा है ..उस राजा के किले से डबल...’
‘तुम तो ऐसा कह रही हो जैसे मंदिर के मुहाने में सोना रखा है और हमें बस जाकर उसे लाना है ..तुमने सुना नहीं कि पुजारी क्या बता रहा था..’
‘क्या ? ‘ पत्नी धीरे से पूछी.
‘अरे वो बता रहा था कि जब वह चार साल का था तो वहाँ दबे सोने के चक्कर में उसके बाप को कुछ स्थानीय लोगों ने गोली मार दी थी...’
‘यू.पी. में तो गोली चलना आम बात है जी..लोग शादी-ब्याह में भी बन्दूक दागते हैं..’
‘गुड..तुम्हारा जी.के. बढ़िया है..तो चलें- गोली खाने..’
पत्नीजी सकपका गयी. थोडा रूककर बोली- ‘ एक बात बताओजी..10x10 के एरिया को खोदने में महीनों क्यों लगेंगे ? हमारे यहाँ तो दो मजदूर दो घंटे में इतना निबटा देते है..पुरातत्व विभाग वाले कामचोर होते हैं क्या ? दस-दस आदमी होकर भी इतना धीमा काम..ऐसे लोगों को ए.एस.आई. में भर्ती ही क्यों करते हैं? ‘
‘अरे देवीजी...इसे तुम नहीं समझोगी...उनका स्टाईल अलग है..कानून-कायदा अलग है..तुम जानती हो न ..हार्ट का आपरेशन कितना नाजुक होता है.. उसमे में भी घंटों लगते हैं..बस वैसा ही समझ लो...’
‘हार्ट का आपरेशन तो अक्सर नाकामयाब ही होता है जी.. इसका तो यही मतलब हुआ कि चांसेज नहीं है..सोना मिलने के...’ वह एकदम उदास हो गई जैसे हजार टन सोना उसके अंटी से निकल गया हो.
‘ऐसा नहीं है...एकाध-दो आपरेशन कामयाब भी हो जाते हैं..मैं अपनी कहूँ तो यही कहूँगा कि संत का सपना जरुर साकार होता..पर..चूँकि इसमे सरकार और सरकारी तंत्र बड़ी मात्रा में घुस गए हैं इसलिए सफलता के आसार नहीं दिख रहे..सभी जानते हैं- जहाँ सरकार वहीँ घोटाला....मिलेगा भी तो पूरा पचा देंगे..इनका पाचन तंत्र बड़ा तगड़ा है..देखना...दस ग्राम भी किले के ऊपर नहीं आएगा..’
‘तो क्या करें जी.. दिवाली करीब है ..मैं सोच रही थी कि सोना खरीद नहीं सकते तो कम से कम देख ही आते..लेकिन आप कहते हैं- दस ग्राम भी नहीं दिखेगा..’
‘हाँ..ठीक कहता हूँ..वहाँ जाने की सोचना भी मत..जाने-आने में जितना खर्च होगा ,उतने में तो दस ग्राम सोना ही आ जाएगा..बेहतर होगा...तुम कल सहेली ज्वेलर्स जाकर एक चैन ले लो..और चैन की नींद सोओ..मुझे भी सोने दो..अब न्यूज चैनल देखना छोड़ दो और दिया -बाती देखो..दिवाली करीब है...’
मेरी पत्नी बड़ी सीधी है. मान गयी और ‘ दिया और बाती ‘ देखने बैठ गई.