सरप्राइज / लिली पोतपरा / आफ़ताब अहमद

Gadya Kosh से
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अपार्टमेंट में कई दिनों से ख़ामोशी है। भाई और बहन दोनों ख़ामोशी से खेलते हैं, और उनकी माँ और डैडी आपस में बात नहीं करते। ख़ामोशी घनी और बोझिल है। कभी-कभी जब दोनों भाई-बहन अपने माँ-बाप के दरमियान आकर कोई सवाल करते हैं, जिनका जवाब दोनों एक साथ देते हैं, तो यह ख़ामोशी एक गूंज बन जाती है।

फिर एक दिन माँ काम से जल्दी घर आती है। भाई इस वक़्त घर में नहीं है, और डैडी काम कर रहे हैं। लड़की अपने खिलौनों के साथ एक खेल खेल रही है, जिसमें वह ख़ुद से बात करती है। वह उनसे सवाल करती है और फिर ख़ुद ही आवाज़ बदलकर जवाब देती है।

“अल्योनका, किचन में आना !”, माँ बुलाती है।

अल्योनका अपने खिलौनों से माफ़ी माँगती है। फिर आवाज़ बदलकर कहती है कि वह अभी आती है।

माँ कहती है, “अल्योनका मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।”

माँ के चेहरे पर वही खिंचाव है जिससे अल्योनका को डर लगता है। उसे नहीं मालूम कि इस खिंचाव का क्या मतलब है, लेकिन लगता है कि जैसे यह किसी ग़लत चेहरे पर खिंच गया है।

“ जानती हो, डैडी ने तुम्हारे लिए बर्थडे सरप्राइज़ लिया है।”

अल्योनका जल्द ही ग्यारह साल की हो जाएगी। वह दिन दूर नहीं जब वह सयानी होगी और एक छोटी प्यारी बच्ची नहीं रह जाएगी।

“ डैडी तुम्हारे लिए साइकिल लाए हैं,” माँ कहती है ,”पोनी साइकिल।”

अल्योनका कुछ नहीं कहती, लेकिन उसको न जाने क्यों अपना दिल भिंचता सा महसूस होता है, और अकारण ग़ुस्सा भी आता है। यह सच है कि वह बहुत दिनों से एक पोनी साइकिल चाहती रही है, ताकि वह सिल्वा और कतेरीना के साथ “अमेरिका” जा सके। अमेरिका एक छोटी सी सड़क है जो उसे अपने घर से काफ़ी दूर लगती है, क्योंकि उसके पास साइकिल नहीं है। जब सिल्वा और कतेरीना उसे बताती हैं कि अमेरिका कैसी सड़क है, और उसकी ढलान कैसी है, और नीचे पहुँचकर कितने ज़ोर से ब्रेक लगानी पड़ती है, तो अल्योनका का दिल चाहता है कि वे कोई और बात करें।

“सुनो अल्योनका,” माँ चेहरे के उसी खिंचाव भरे भाव के साथ कहती हैं, जो लगता है किसी ग़लत चेहरे पर हो। “तुमको ख़ुश दिखना है, क्योंकि डैडी ने इस साइकिल के लिए बहुत मेहनत की है। इसे ख़रीदने के लिए उन्हें क़र्ज़ा भी लेना पड़ा।

“जी माँ,” अल्योनका यह कहकर खिड़की के नीचे रखे अपने खिलौनों के पास चली जाती है। “मुझे एक साइकिल सरप्राइज़ मिली है।” वह उन्हें बताती है और खिलौने उछलने लगते हैं।

फिर उसका जन्मदिन आता है। सुबह अल्योनका के पेट में ऐंठन होती है, लेकिन वह फिर भी स्कूल जाती है। क्लास के दौरान कभी-कभी वह सोचती है कि न जाने साइकिल का रंग कैसा है। लाल ? या नीला ? पोनी साइकिलें नीली या लाल होती हैं। सिर्फ़ सिल्वा की पोनी गुलाबी है क्योंकि उसके डैडी ने उसे गुलाबी रंग में पेण्ट कर दिया है।

लंच के बाद डैडी घर आते हैं। अल्योनका को बड़ा अजीब - अजीब सा महसूस हो रहा है। उसको लग रहा है कि जैसे उसके चेहरे पर भी माँ जैसा खिंचाव पैदा हो गया है। जैसेकि यह उसका असली चेहरा न हो। डैडी उसे नीचे तहख़ाने में जाने को कहते हैं। अल्योनका तहख़ाने में जाती है। वहाँ साइकिल रखी है। हल्की नीली।

अल्योनका साइकिल को देखती है और फिर कनखियों से अपने डैडी को। उसे मालूम है कि उसे ख़ुश होना चाहिए, लेकिन उसके पेट की ऐंठन बढ़ जाती है। वह साइकिल को छूती है, साइकिल तो बिल्कुल ठीक है – लेकिन लोहा बर्फ़ जैसा ठण्डा महसूस होता है।

“ थैंक यू डैडी, ” वह कहती है और जल्दी से ऊपर जाकर अपने खिलौनों को बताना चाहती है कि उसे एक सरप्राइज़ मिला है।

“ बाहर इसे चलाने नहीं जाओगी क्या? ” डैडी पूछते हैं, और अल्योनका की समझ में नहीं आता कि क्या करे। “ जी, जाऊँगी। थोड़ी देर में।”

तहख़ाना तंग है और उसमें रौशनी भी कम है। डैडी बहुत बड़े हैं और अल्योनका छोटी। उसे अपने सिर में “ क़र्ज़ा ” का शब्द सुनाई पड़ता है। लेकिन वह अपनी जगह से हिल नहीं सकती। अपनी नई पोनी के पास और डैडी के पीछे खड़ी, अल्योनका का जी चाहता है कि डैडी वहाँ से चले जाएँ, ताकि वह सिल्वा और कतेरीना के साथ अमेरिका निकल जाए।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : आफ़ताब अहमद