सरहदों के ऊपर मानवीय संवेदना का इंद्रधनुष / जयप्रकाश चौकसे

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सरहदों के ऊपर मानवीय संवेदना का इंद्रधनुष
प्रकाशन तिथि :22 जून 2015


सलमान खान करीना कपूर अभिनीत 'बजरंगी भाईजान' 17 जुलाई को प्रदर्शित होने जा रही है। कबीर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म को स्वयं सलमान खान ने निर्मित किया है। निर्माण क्षेत्र में यह उनका पहला कदम है। तमिल भाषा में बनी फिल्म के बनाने वालों से सलमान खान ने बात की और मुंहमांगा धन कहानी के लिए देने को तैयार हो गए परंतु तमिल का निर्माता सहनिर्माण का अधिकार भी मांग रहा था, जिसे सलमान ने अस्वीकार किया। इसके बाद यह राकेश रोशन के पास पहुंची और उन्हें भी कहानी बहुत पसंद आई परंतु यहां भी जब सहनिर्माण की शर्त अस्वीकृत हुई तो तमिल निर्माता ने सलमान खान की शर्त स्वीकार कर ली।

सलमान स्वयं एक दशक पूर्व एक कथा लिख चुके हैं, जिसमें एक कमजोर बालक हनुमान की आराधना करता है और अपने भोलेपन में शहर से आई नाटक मंडली में बजरंग बली की भूमिका अभिनीत करने वाले व्यक्तिगत जीवन में गैर-जवाबदार और शराबी अभिनेता को बजरंग बली का प्रतीक मानकर पूजने लगता है तो बालक की मासूमियत के प्रभाव में वह शराबी स्वयं को पूरी तरह से बदलकर बच्चे की रक्षा को अपने जीवन का ध्येय बना लेता है। सलमान ने अपनी इस कथा पर अभी तक फिल्म नहीं बनाई है परंतु जाहिर है कि बच्चों की रक्षा उनके दिल के करीब है।

कोई पचास पचपन वर्ष पूर्व मनमोहन देसाई के 'छलिया' के सैट पर राज कपूर ने एक अखबारी खबर पढ़ी कि एक भारतीय नदी में बहकर पाकिस्तान पहुंचा, जहां कबीले वालों ने उसका इलाज किया और कबीले की लड़की ने खिदमत की। ठीक होने पर कबीले वालें पाकिस्तानियों ने उसे सरहद पार कर बाहर भेजा। राज कपूर अवचेतन की धीमी आंच में कहानियों को पकाते थे और 1987 में उन्होंने 'हीना' के गीत रिकार्ड किए और 1988 में उनकी मृत्यु के बाद रणधीर और ऋषि कपूर ने फिल्म बनाकर 1991 में प्रदर्शित की। सलमान खान द्वारा खरीदी यह तमिल कथा राज कपूर की हीना का ही दूसरा रूप है। इस मायने में एक पाकिस्तानी बालिका इत्तफाक से भारत आ जाती है और बजरंगी नामक अलमस्त व्यक्ति मानवीय भावना से प्रेरित सारे कष्ट उठाकर उसके घर छोड़ने जाता है। यह मानवीय संवेदना की घर-वापसी है। यह राजनीतिक खेमाबाजी से परे मानवीय प्रयास है जिन्हें 'हिना' के समय राज कपूर ने कहा था। 'यह सरहदोें के पार और परे मानवीय भावनाओं का इंद्रधनुष है।'

इस तरह की एक पटकथा गुलजार के पास 'जर्रा-जर्री' के नाम से एक दशक से पढ़ी हैं। संभवत: यह कृष्णचंदर की कहानी से प्रेरित है। विदेशों में भी इस तरह की अनेक कहानियां बनी है। एक कथा में सरहद पर दोनों विरोधी देशों की फौजें दो प्रेमियोें का विवाह सरहद पर कराते है और सरहद विवाह मंत्रोच्चार से गूंज उठती है। बाद में दुल्हन और दूल्हा अपने-अपने देश लौट जाते हैं। बर्लिन की दीवार से अनेक प्रेम कथाएं टूटीं और उनकी आह से बर्लिन की दीवार ही टूट गई। दूसरे विश्वयुद्ध के समय कुछ भारतीय डॉक्टर चीन गए थे युद्ध में घायलों की सेवा के लिए। इस सत्य से प्रेरित ख्वाज़ा अहमद अब्बास की पटकथा 'डॉक्टर कोटनीस की अमर कहानी' पर शांताराम ने फिल्म बनाई, जिसके अंतिम दृश्य में डॉ.कोटनीस की चीनी विधवा भारत आती है और पार्श्व में डॉ.कोटनीस की आवाज है कि स्टेशन से तांगा लेना, मेरे घर मेरी मां तुम्हारी आरती उतारेगी। यह विश्व सिनेमा का धरोहर दृश्य है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को पत्र लिखा था कि देश कि आजादी के लिए देशप्रेम की अलख जगाना आवश्यक है परंतु आजादी के बाद देशप्रेम का प्रखर स्वरूप मानवीय समाज को इस मायने में हानि पहुंचा सकता है कि भारतीय सिद्धांत 'पूरा विश्व ही मानवीय कुटुम्ब' को जिंगोइज्म का नशा नुकसान पहुंचा सकता है यह आज हो रहा है, जबकि कड़वा यथार्थ यह है कि पृथ्वी के साधनों की लूट हुई हैै, पर्वत वृक्षहीन हो रहे हैं और सारे मानवीय प्रयास पृथ्वी की रक्षा के लिए होने चाहिए।