सरहदों के परे समान सांस्कृतिक विरासत / जयप्रकाश चौकसे

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सरहदों के परे समान सांस्कृतिक विरासत
प्रकाशन तिथि :08 फरवरी 2017


पाकिस्तान में राकेश रोशन की 'काबिल' का सफल प्रदर्शन हो चुका है परंतु 'रईस' के प्रदर्शन में कुछ बाधाएं हैं। पाकिस्तान में दुबई के जरिये हिन्दुस्तानी फिल्मों के डीवीडी खूब देखे जाते हैं। सरहदों की दोनों ओर फिल्मों के लिए जुनून एक-सा है। पाकिस्तान के साधन संपन्न लोग दुबई जाकर हिन्दुस्तानी फिल्में देखते हैं और साधनहीन लोग पायरेटेड डीवीडी पर फिल्में देखते हैं। पाकिस्तान में पढ़े-लिखे लोग प्रारंभ से ही उसके टेलीविजन से जुड़ गए और फिल्म निर्माण अपेक्षाकृत कम गुणवानों के हाथ में गया। पाकिस्तान में अत्यंत कम सिनेमाघर हैं, जिस कारण आय भी सीमित है। वहां का मनोरंजन उद्योग दुबई पर निर्भर है। पाकिस्तान में टेलीविजन के लिए लिखने वाली हसीना मोइन को राज कपूर ने 'हिना' के संवाद लिखने के लिए आमंत्रित किया था और वे सीमित समय के लिए भारत आई भी थीं।

पाकिस्तान के कलाकारों के भारत में काम करने पर प्रतिबंध लगाना लोकप्रिय राजनीति का हिस्सा था। पाकिस्तान ने इस तरह का प्रतिबंध हटा लिया है। 'काबिल' ने वहां प्रारंभिक दिनों में ही 78 लाख का व्यवसाय किया है। 'रईस' की नायिका मायरा पाकिस्तान टेलीविजन की लोकप्रिय सितारा हैं, अत: 'रईस' का प्रदर्शन भारी अाय अर्जित कर सकता है। प्रदर्शन क्षेत्र की सीमा के कारण पाकिस्तानी फिल्मों का व्यवसाय बहुत ही कम हो पाता है। उनकी फिल्मों का बजट इतना कम है कि उतना धन तो हमारे कैमरामैन ही ले लेते हैं।

वोट की राजनीति और हुल्लड़बाजों के कारण पाकिस्तान में बने टीवी सीरियल पर हमने प्रतिबंध लगा दिया और तुर्की के सीरियल ने वह रिक्त स्थान ले लिया। सौभाग्यवश यह तबका इससे भी अनजान है कि तुर्की में इस्लाम धर्म के मानने वाले रहते हैं और उन सीरियल के सारे पात्र भी इस्लाम के अनुयायी हैं तो पाकिस्तान में बने सीरियल बंद करने का क्या औचित्य रह गया? यह तो गुड़ खाकर गुलगुले से परहेज करने जैसी बात है। तुर्की वह देश है जहां पूर्व और पश्चिम की संस्कृतियां मिलती हैं। तुर्की के शासक अतातुर्क ने आदेश जारी किया था कि तुर्की टोपी पहनने वाले को गोली मार दी जाएगी। उनके करीबी व्यक्ति ने पूछा कि क्या लाखों लोगों को मार देंगे। शासक का जवाब था कि संभवत: उस पहले व्यक्ति को ही मारना होगा, जो तुर्की टोपी पहनकर घर से बाहर निकलेगा अौर उसके बाद किसी का साहस ही नहीं होगा कि वह टोपी पहने। इस तरह वहां आधुनिकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। अतातुर्क का एतराज इसलिए था कि उस टोपी को सिर पर पहने रखने की जद्‌दोजहद में व्यक्ति की चाल सुस्त हो जाती है। याद आता है कि 'हिना' के लिए रवींद्र जैन ने गीत लिखा था, 'अनारदाना अनारदाना असा रूमी टोपी वाले नाल जाना।' फिल्म की नायिका ज़ेबा बख्तियार भी पाकिस्तान की रहने वाली थीं और उनकी दूसरी फिल्म 'नरगिस' पूंजी निवेशक और फिल्मकार खालिद के आपसी विवाद में अटक गई थी। हाल ही में न्यायालय का फैसला खालिद समी के पक्ष में आया है और अब संभवत: फिल्म प्रदर्शित होगी।

स्मरण अाता है कि ज़ेबा बख्तियार फिल्म के निर्माण के समय कुछ महीने मुंबई में रहीं। वे प्राय: आटोरिक्शा में बैठकर मुंबई के बाजार में जाती थीं। उनका कहना था कि मुंबई से अधिक प्रकाशित शहर उन्होंने नहीं देखा। हर छोटी से छोटी गली में रात में यथेष्ठ रोशनी होती है। उनका कहना था कि पाकिस्तान में किसी अकेली लड़की का रात में इस तरह निकलना सुरक्षित नहीं है। उन दिनों भारत में बोफोर्स कांड सुर्खियों में था। ज़ेबा बख्तियार का कहना था कि मात्र 64 करोड़ का घपला भी क्या घपला है। इतने का तो भारत में प्रतिदिन नमक खाया जाता होगा। उनका संकेत था कि पाकिस्तान में भी खूब घोटाले होते हैं। दोनों देश एक ही मांस के दो लोथड़े हैं और कीड़े दोनों में समान रूप से लगते हैं। दोनों देशों का अवाम एक जैसा है, उनका इतिहास और सांस्कृतिक विरासत एक ही है। टेलीविजन सीरियलों में देखें तो शादी की रस्में भी समान ही हैं।

आजकल हुक्मरानों ने इस्लाम मानने वालों में तलाक के मुद्‌दे को फिर गरमा दिया है। कई मुद्‌दे चुनावी मौसम में उठाए जाते हैं। एक जानकार का कहना है कि इस्लाम में व्यक्ति पहली बार तलाक बोलकर रुक जाता है और एक महीने तक दोबारा ठीक से विचार कर फिर तलाक बोलता है। इस तरह तलाक ्रक्रिया में दोबारा विचार के लिए अवसर है। एक ही बार मंे तीन बात तलाक बोलना कुछ फिल्मों के कारण लोकप्रिय हो गया है परंतु यह सच नहीं है। हर धर्म के साथ इस तरह की असत्य बातें जोड़ दी गई हैं। सभी धर्म मानव कल्याण के लिए बने हैं परंतु उनके स्वयंभू ठेकेदारों ने मनचाही व्याख्या कर ली है।

धर्म को अगर आप एक ऐसा भवन मान लें, जिसमें तलघर भी बना है तो रात के समय तलघर में मौजूद अंधविश्वास और कुरीतियां भवन में प्रवेश कर जाती है। जिसने इस भवन को सूर्य के प्रकाश में देखा है, उसने इसे उजियारा पाया और रात में देखने वाले को अंधविश्वास कुरीतियों की उलटे लटके चमगादड़ उसमें दिखते हैं। 'जागते रहो' के लिए शैलेन्द्र की पंक्तियां हैं, 'किरण परी गगरी छलकाए, ज्योत का प्यासा प्यास बुझाए, मत रहना अंखियों के भरोसे, जागो मोहन प्यारे।'