सरहदों के पार जाता इंद्रधनुष / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :19 मई 2016
प्रकृति रचित धरती पर कोई भौगोलिक रेखाएं नहीं खिंची हैं। देशों द्वारा आपस में लड़े हुए युद्ध देश की सरहद बनाते हैं। सम्राट अशोक ने अनेक विजय प्राप्त करके, जो राष्ट्र बनाया, उसे ही हिंदुस्तान माना गया। सम्राट अशोक के बाद फिर राज्य आपस में टकराए और राष्ट्र की परिकल्पना खंडित हो गई। कई सदियों बाद मुगल बादशाह अकबर ने भौगोलिक सीमाओं का विस्तार करके फिर सम्राट अशोक वाले भारत की रचना की। मुगल साम्राज्य पर सूर्यास्त हुआ अौर फिर अनेक राज्यों की भिड़ंत हुई। अंग्रेजों ने पुन: उस भौगोलिक भूखंड को एक सूत्र में बांधा, जिसे इंडिया कहते हैं। 1947 में इंडिया ही स्वतंत्र भारत कहलाया परंतु विभाजन ने फिर उसे खंडित किया और दो भागों में बंटा पाकिस्तान बना, जिसकी एक बांह को तोड़कर इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के निर्माण में मदद की। इस तरह सम्राट अशोक से एक भौगोलिक दशा इंदिरा गांधी तक जाती है। अब एक हाथ कटा पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और बांग्लादेश भी पड़ोसी है। तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल मानेक शॉ ने इस व्यूह रचना से बांग्लादेश जीता कि उसे लगभग गांधी का हिंसा मुक्त मार्ग माना जा सकता है।
इन भौगोलिक एवं राजनीतिक घटनाओं से जन्मी कभी सिकुड़ती, कभी फैलती सरहदें इंसान के दिल और उसकी भावनाओं को नहीं जानती परंतु इंसानी दिल भी सरहदों को नहीं मानता। आज भी पाकिस्तान में कुछ बुजुर्ग अपने ग्रामोफोन पर लता के गीत सुनते हैं और भारत में बिछुड़ गए अपने परिजनों को याद करते हैं। हमारे भी कुछ उम्रदराज लोग नूरजहां के गीत सुनते हैं और लाहौर के अनारकली बाजार की गलियों में उनका मन डोलता है। पाकिस्तान के कव्वाल अजीज ने मुंबई दौरे में सलीम खान के साथ एक शाम गुजारी। शराब के दौर के साथ शेर-शायरी हुई और किसी शेर पर दाद देते हुए सलीम खान ने कहा कि जी चाहता है कि आपको कश्मीर दे दूं।
बहरहाल, सलीम खान के घर के कार्यक्रम का टेप जाने कितने हाथों से गुजकर भारत के विदेश विभाग के अफसर के पास पहुंचा और वे सलीम खान के घर पहुंचे जानकारी हासिल करने कि उन्होंने किस अधिकार से कश्मीर पाकिस्तान को देने की बात की थी। सलीम खान ने उन्हें स्पष्टीकरण दिया कि शराब और शायरी के नशे में यह महज प्रशंसा का एक तरीका था और वैसी ही मदहोश करने वाली रात दोबारा आए तो मैं आपको पूरा पाकिस्तान दे दूं और शायद चीन भी दे दूं। इससे याद आते हैं साहिर साहब जो 'फिर सुबह होगी' के लिए लिखते हैं, 'चीनो अरब हमारा, रहने को घर नहीं है, सारा जहां हमारा, जेबें हैं अपनी खाली, क्यों देती वरना गाली, ये संतरी हमारा, पासबां हमारा...' इसी तरह की गुफ्तगू में एक पाकिस्तानी ने कहा कि लता मंगेशकर हमें दे दो और कश्मीर ले लो। ऐसे ही एक लतीफा शीर्ष नेता हो गया है और उसे केरल में सोमालिया नज़र आता है। किसी जमाने में जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत से हजार वर्ष लड़ने की बात की परंतु अभी तक हुई जंग में पाकिस्तान को हार ही देखनी पड़ी। हजार वर्ष जंग का दावा करने वाले भुट्टो को हुकूमते पाकिस्तान ने ही फांसी पर लटकाया। दरअसल, हर जंग में महिलाएं ही हारती हैं, क्योंकि जंग में चली हर गोली अंततोगत्वा किसी मां की छाती ही विदिर्ण करती है- कोई पति खोती है, कोई भाई खोती है, कोई बेटा खोती है। कोई भी जीते या हारे कुरुक्षेत्र हमेशा किसी महिला का हृदय ही होता है। भारत की सरहदें एक और अभिनव ढंग से खिंची हैं और संभवत: वह भारत का पहला भौगोलिक नक्शा है। उत्तर में अमरनाथ हैं, दक्षिण में त्रिवेंद्रम और कन्या कुमारी तथा स्वामी विवेकानंद स्मारक, जो अपने आप में एक द्वीप-सा लगता है। पश्चिम में सोमनाथ और पूर्व में गंगा सागर। पवित्र धाम हैं- केदारनाथ, बद्रीनाथ, द्वारका, काली मंदिर कलकत्ता, गंगा सागर और जगन्नाथ पुरी। मान्यता है कि चार धाम की यात्रा के बाद उज्जैन में महाकाल और ओंकारेश्वर, जिन्हें देश का मध्यभाग भी माना जाता है, के दर्शन के बाद ही चार धाम यात्रा पूरी होती है। इस प्रकार तीर्थ स्थान भी भारत का एक नक्शा बनाते हैं।
भारत अपने सर्वश्रेष्ठ और सच्चे स्वरूप में इंसानी दिल में बसा है और मनुष्य का दिल किसी सरहद को नहीं मानता। निदा फाज़ली की पंक्तियां हैं, 'ये कंकर पत्थर की दुनिया जज्बात की कीमत क्या जाने, दिल मंदिरहै, दिल मस्जिद भी है, ये बात सियासत क्या जाने।' आगे दोनों देशों के अवाम की समान खस्ता आर्थिक हालत देखकर वे लिखते हैं, 'आजाद न तू, आजाद न मैं, जंजीर बदलती रहती है। दीवार वही रहती है, तस्वीर बदलती रहती है।' एक की दीवार पर जिन्ना, दूसरे की दीवार पर गांधी। सर्वेश्रेष्ठ राजनीतिक पत्रकार राजेंद्र माथुर ने लिखा था कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद के अस्थिर वर्षों में भारत को पाकिस्तान होने से बचाया। जिन वर्षों में नेहरू भारत को संभाले रहे, उन वर्षों में पाकिस्तान में दर्जनभर शिखर नेता हुए, जिनमें से कुछ की हत्या भी कर दी गई। वर्तमान में तो नेहरू की छवि को खंडित करने के प्रयास हो रहे हैं। जैसे गुलिवर को बौनों ने रस्सी से बांधने का प्रयास किया हो।
हिंदुस्तानी सिनेमा ने भौगोलिक एवं राजनीतिक सरहदों के परे मनुष्य के प्रेम और करुणा का इंद्रधनुष रचा है, जिसे कोई सरहद रोक नहीं पाती। राज कपूर की परिकल्पना को उनकी मृत्यु के पश्चात उनके ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर ने 'हिना' के नाम से बनाया और हाल ही में कबीर खान ने सलमान खान के साथ 'बजरंगी भाईजान' बनाई। उनके दशकों पू्र्व शांताराम 'डॉक्टर कोटनीस की अमर कहानी' बना चुके थे। चेतन आनंद ने 'हकीकत' बनाई थी, जो एक-दूसरे मायने में नेहरू के आदर्श स्वप्न युग का हकीकत से टकराकर जागना कहा जा सकता है। साहित्य और सिनेमा मानवीय करुणा के वे गीत है, जो सरहदों के बावजूद सरहदों के पार इंद्रधनुष की तरह जाते हैं। वे प्रकृति रचित अविभाजित धरती के गीत हैं।