सलमान खान: पुनर्जन्म अवधारणा की 'शुद्धि' / जयप्रकाश चौकसे

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सलमान खान: पुनर्जन्म अवधारणा की 'शुद्धि'
प्रकाशन तिथि : 30 जुलाई 2014


करण जौहर की मल्होत्रा द्वारा निर्देशित होने वाली 'शुद्धि' कलाकारों के चुने जाने के कारण विगत दो वर्षों से रुकी हुई फिल्म है परंतु अब सलमान खान द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद इसकी निर्माण पूर्व हलचल शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि यह पुनर्जन्म आधारित कथा है आैर पात्रों का नया जन्म दो सौ वर्ष पश्चात होता है तथा अपने नए जीवन में नायक भोपाल में पुलिस अफसर है। आश्चर्य की बात यह है कि पश्चिम के देशों में पुनर्जन्म अवधारणा अमान्य की जाती है परंतु वहां भी इस पर अनेक फिल्में बनी हैं। ज्ञातव्य है कि 'रीइंकॉर्नेशन ऑफ पीटर प्राउड' से प्रेरित होकर सुभाष घई ने ऋषिकपूर अभिनीत 'कर्ज' बनाई थी आैर इस श्रेणी में यह एकमात्र फिल्म है जिसमें पात्र की शक्ल विगत जीवन के पात्र से अलग है, पहले जन्म में अमीर घराने के राज किरण को उनकी पत्नी सिमी ग्रेवल मार देती है आैर राज किरण अगले जन्म में ऋषिकपूर के रूप में जन्म लेते हैं। मूल हॉलीवुड फिल्म में नायिका दोनों जन्म में अपने पति को मार देती है परंतु सुभाष घई ने इसे सुखांत बनाया।

पुनर्जन्म अवधारणा पर पहली आैर श्रेष्ठतम फिल्म दिलीप कुमार- वैजयंती माला अभिनीत विमल रॉय की 'मधुमति' है जिसे रितविक घटक ने लिखा था। इसके पूर्व कमाल अमरोही की 'महल' में पुनर्जन्म का लूटने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया गया है। भारत की सारी पुनर्जन्म फिल्में अपने मधुर संगीत के कारण सफल रही हैं। चेतन आनंद की 'कुदरत' में राहुल देव बर्मन ने माधुर्य रचा था। नूतन अभिनीत 'मिलन' आैर 'कर्ज' में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने कर्णप्रिय संगीत रचा था। पुनर्जन्म पर अनेक उपन्यास लिखे गए हैं। सच तो यह है कि अगर आप पुनर्जन्म अवधारणा को अस्वीकार करें तो भारत की माइथोलॉजी आप समझ ही नहीं सकते जिसके केंद्र में अवतारवाद है। द्रौपदी को हर बार सहायता करने कृष्ण आते हैं क्योंकि वह पिछले जन्म में 'छाया सीता' थी। रावण जिसे हर कर ले गया वह 'छाया सीता' थी आैर रावण की मृत्यु के बाद 'छाया सीता' अग्नि में प्रवेश करती है तथा भस्म हाेने के पहले श्रीराम उसे वचन देते हैं कि इस सेवा के कारण द्वापर युग में जब वह द्रौपदी बनकर जन्मेंगी तो वे कृष्ण के रूप में उसकी सहायता करेंगे। अग्नि-परीक्षा के दूसरे छोर से सफल सीता उभरती है जो रावण के हरण करने के समय अदृश्य हो गई थी।

कर्नाटक के भैरप्पा का उपन्यास 'अपनी आस्थाआें के दायरे' पुनर्जन्म पर लिखा श्रेष्ठतम उपन्यास है जिसमें पहली बार यह संकेत आता है कि पुनर्जन्म सत्य होते हुए भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नए जन्म में धारण किए शरीर की अपनी आवश्यकता सीमा होती है जिसका निर्धारण पुनर्जन्म के नियमों से नहीं किया जा सकता। उसमें सत्रह वर्षीय युवा नए जन्म में अपनी चौंतीस वर्षीय स्त्री से अधिक रुचि अपनी हमउम्र युवा कन्या में लेता है। हॉलीवुड की 'बोर्न अगेन' नाम फिल्म में नए जन्म में पति मात्र आठ वर्ष का है आैर विगत जन्म की उसकी पत्नी अब 24 वर्ष की है, वह कैसे उससे विवाह कर सकती है? अगर नए जन्म में जानवर की योनि मिले तो उससे कैसे विवाह किया जा सकता है।

अमेरिका के डाॅ. वीज ने पुनर्जन्म अवधारणा को उपचार हेतु प्रयोग में लिया है। व्यक्ति को हिप्नोटाइज़ करके विगत जन्म के स्मृति संसार में ले जाया जाता है आैर स्मृतियों के लौटने पर इस जन्म के रोगों का इलाज किया जा सकता है। चेतन आनंद की 'कुदरत' में पुनर्जन्म की स्मृति से ही हत्या का पता चलता है आैर इस जानकारी के सहारे ही खूनी को इस जन्म में सजा दिलाने का प्रयास किया जाता है। अदालतें पुनर्जन्म के साक्ष्य को अमान्य करती हैं परंतु इन्हीं अदालतों में गीता की कसम भी दिलाई जाती है जो पुनर्जन्म अवधारणा को सत्य मानती हैं। बहरहाल नीरद चौधरी ने अपनी पुस्तक 'हिंदुइज्म' में लिखा है कि भारतीय लोगों को धरती से प्यार है, भोजन से प्यार है, सारांश यह कि भोग से इतना अधिक प्यार है कि वे बार-बार जन्म लेकर भोग करना चाहते हैं। बहरहाल यह विषय फिल्म के लिए एक फॉर्मूला बन चुका है जिसे राकेश रोशन ने 'करण अर्जुन' में भुनाया। 'शुद्धि' रोचक सिद्ध हो सकती है परंतु विमल रॉय की 'मधुमति' इस श्रेणी में महानतम रचना बनी रहेगी।