सलमान खान के नाम एक खुला पत्र / नवल किशोर व्यास
अभी खुले पत्र ट्रेंड कर रहे है तो सोचा टाइगर जिंदा है का प्रोमो देखने के बाद मन में उमड़े-घुमड़े विचारो को खुले पत्र में लिख देता हूँ। खुले पत्र में जरा सी एक्स्ट्रा लिबर्टी मिल जाती है और जैसा कि पहले कहा कि ट्रेंड में होने से एक्स्ट्रा ध्यानाकर्षण भी मिलने की पूरी उम्मीद रहती हैं। प्रोमो बहुत अच्छा है और चिर परिचित बॉलीवुडिया सलमान साफ साफ नजर आ रहा है। ये तुम्हारी ताकत है। तुम्हारा होम ग्राउंड। यहां सेंचुरी लगने की उम्मीद हमेशा रहती है। मियां सलमान, इसमें कोई इफ-बट, किन्तु-परन्तु, अगर-मगर, तो-यदि नही है कि आप मसाला सिनेमा के सबसे बड़े स्टार हो और आपके नाम से ही हॉल में एक उन्माद रहता है।
आप विशुद्ध मजेदार, मसालेदार और खालिस मनोरंजन हो। पूरी ईमानदारी और होशो हवास में कह रहा हूँ कि आपकी फिल्म के पूरे तीन घण्टे सिनेमा हॉल खचाखच भरे रहते है और दर्शकों की सीटियों, तालियों और पास हो रहे कमेंट्स पुराने सिंगल स्क्रीन के दिनों की याद दिलाते है। सलमान, तुम्हारी हर एंट्री पर भीड़ का पागलपन और जूनुन इस देश में तुम्हारे होने, तुम्हारे तय किये हुए सिनेमा और उसके हिरोइज्म के मायने बता रहा था। उस सलमान खान के भी, जिस पर चल रहे तमाम केस और फिल्म रिलीज के ऐन पहले एक बयान का सामाजिक पोस्टमार्टम होने के बावजूद फिल्म के बिजनेस पर कोई फर्क नही पड़ता। फिल्म को जैसे चलना होता है, वैसे ही चलती है। वही कुछ के सितारे इतने गर्दिश में होते है कि कुछ न करने भी जान से मारने के फतवे जारी हो जाते है। ये देश और हम लोग सचमुच में अजब-गजब है।
सलमान, तुम्हारी फिल्मो की एक जमी जमाई मसालेदार रेसिपी होती है। इस रेसिपी का लुफ्त उठाने वाले लोगो में जो दीवानगी होती है, वो रिलीज के पहले तीन दिन हॉल की सीटियों और तालियों में महसूस की जा सकती है। सलमान के हर निर्देशक पर अब ये अतिरिक्त जिम्मेदारी होती है कि सलमान नाम की इस मसालेदार रेसेपी का जायका उसके चाहने वालो तक वैसे ही पहुचाये जैसा कि वे चाहते है। इसमें बड़ी छेड़छाड़ का जोखिम ना तो अब खुद सलमान उठाना चाहते है और ना उसके निर्माता-निर्देशक। अपने चहेते दर्शको के जूनून के प्रति ऐसी जिम्मेदारी बनती भी है और फिर सलमान को वैचारिक कलाकार होने का कोई मुगालता भी तो नही है। देशी रजनीकांत के अवतार मे सलमान का पिछले कुछ सालो का सर्वाधिक कमर्शियल दोहन हो रहा है। सलमान अपने उतराव से पहले का चरम रच रहे है। ट्यूबलाइट के अलावा उसकी पिछली सभी फिल्में सलमान के पाले में आई हुई बॉल थी, जिसे सलमान ने पूरी ताकत से घुमा के मैदान से बाहर पटका। सलमान मेथर्ड थियोरी के एक्टर नही है, इंफैक्ट असली बात तो ये है कि वो स्टार है, एक्टर है ही नही। सलमान की स्टार इमेज को स्क्रिप्ट ने जब जब सहयोग दिया, सलमान और दर्शक झूमते नजर आए। जहां सलमान किरदार की गंभीरता में घुसे, दर्शक छूटते नजर आए।
सलमान, तुम्हारे हिस्से में हिट फिल्में और डायलॉग है पर अभिनेता के तौर पर गिनाने लायक सीन बहुत कम। अच्छा ये है कि पिछली कुछ फिल्मों में अभिनेता के तौर पर उसके खाते में कुछ अच्छे दृश्य आये। इससे पहले भंसाली की हम दिल दे चुके सनम में सलमान जब हेलन को पांच मिनिट के बिना कट के सीन में अपनी प्रेम-कहानी बताते है, उससे ज्यादा उम्दा अभिनेता सलमान कभी नही दिखे, हाँ स्टार सलमान तो हर ईद पर देख ही रहे है।
और अंत में उपसंहार जैसी बात। सिनेमाहॉल में सांड सलमान, तुम्हारी हर भिड़ंत पर बेटे गूनु का ताली बजा-बजा कर उछलना और हर गाने पर उसकी मम्मी का मुस्कुराना, शायद इसे ही सलमान रसायन कहते है जो और किसी हीरो को नसीब नही है। तुम बेहद लकी है और ताउम्र अपने फिल्मी करियर में रहोंगे। लोग चाहे कितना भी जल-भून लें।
इरफान, नवाज और मनोज, आप अभिनेता के तौर पर चमत्कार हो पर बड़किस्मती(खुशनसीबी भी) है कि आप सलमान खान नही हो।