साई / रामस्वरूप किसान
पतराम अेवड़ रो पाळी। अैन सीधो-सादो। कुदरत सूं मेळ खांवतो। रोही री पून भखणियो जीव। लाम्बो डील अर लाम्बै हाथां में लाम्बी लाठी। दिनूग्यै अेवड़ उछेरै अर सोपै घरां बाÓवडै़। उन्हाळै में तो रात नै ई रोही में डेरो लागै।
ऊंचै धोरां सोनै बरणी आग बळती दीखै। दूर सूं देखणियै रो मन मोवै आ आग। अंधारी रोही नै सैंचनण करै। इणी आग रै च्यारूंमेर घणै उजास मेें फोरासारी करतो भोत फूटरो लागै पतराम।
इणी च्यानणै बिचाळै उण रै पाळीपणै रो मन मोवणो चितराम बणै। बो आग नै सजोरी कर गधै रो कान पकड़ च्यानणै में ल्यावै। उण री पीठ सूं बोरो उतारै। बोरो, जको उण रो चालतो-फिरतो घर। जकै री अेक खंूज में आटै री कोथळी तो दूजी में पाणी री लोट। अर इणी बोरै में बरतण-भांडो अर तोवो-तमलो। कैवण रो मतलब कै डेरै रो आखो समान इणी बोरै मांय। अर ओ समान रातोड़ी आग रै च्यारूंमेर उतरÓर हरचंदपुरी लगावै। हां, इणी कामणगारै च्यानणै सूं बंध्यो है आखो अेवड़। अेवड़ च्यानणै नै खूंटो मानै। अर इणी च्यानणै, दूध में रोटी चूर सबड़तो पतराम, जुगाळी काढतै अेवड़ नै काणै कोइयै देखै। अर हरख सूं फाटै।
पतराम रै अेवड़ में छोटा-मोटा पचास खाजरू। अेक सूं अेक सवाया। सगळा जिनावर सांतरा। बकर्यां रै डील सूं माखी तिसळै तो भेडां रै डील सूं रेसम जिसी बिलांत-बिलांत लाम्बी ऊन पळका मारै। क्यूंकै उण री सार-तार आखै पाळियां सूं न्यारी। भेडां री लांठी अंगधात रै कारण ई लारलै साल उण नै भेड पालण मैकमै कानी सूं अेक इनाम ई मिल्यो। पतराम रो पाळीपो आखै गवांड में बाजींतो। अेवड़ ई उण री पैÓली रुजगार। जकै सूं घर री गाडी गुड़कै। जद-जद ओड़ी पड़ै भेड बेचÓर गळी काढल्यै। भेड नै बो कान री मुरकी मानै। चावै जद अर चावै जठै बेचल्यै।
बींयां तो दसेक बीघा जमीन ई है उण रै नांव। पण के साÓरौ पड़ै। अैन उतारू। लूणकलरिया भौम। अर ऊपर सूं बिरानी न्यारी। छांट पडै़ तो मण बीघै रा होज्यै, नीं तो खेलो अकाटूसी। ईं सारू उण री गुवाड़ी तो अेवड़ रै पाण ई चालै। अेवड़ रै सिर ई, इमली रै पत्तै पर खेलै उण रो परिवार।
पण बाÓरा म्हीनां सूं पतराम रै बेटै मनीराम री बीनणी कान खावै- अेवड़ बेचद्यो। उण रो मानणो है कै अेवड़ चराणो हीणो काम। अेवड़ आळै रो घर बांसै। डील बांसै। ईं रै अलावा ओ धंधो ओखो अर बेआदरो ई घणो। रात-दिन पारकै खेतां खुरड़ा घींसणा। सांपां रा सिर चींथणा। ऊपर सूं खाणी गाळ। टकै रो मिनख स्यान री तूड़ी कर द्यै। अर भळै, कुण पीदै अेवड़ आळै नै। टट्टी बैठती लुगाई ई खड़ी नीं हुवै। फेर, अेवड़ आळा ई जीवै के? दूजो धंधो कोनी दुनियां में? उण पक्की धारली- अेवड़ तो बेचणो ई है। भावूं कीं करणो पड़ै।
अेक दिन बा आप री सासू सूं बोली- 'बाबोसा नै कैवो अेवड़ बेचद्यै। बूढैबारै लरड़ां लारै फिरता भूंडा लागै बै। अर साथै अेवड़ में बांस न्यारी आवै।Ó
'हैंऽऽ! अेवड़ बेच द्यां?Ó बूढळी रो सांस चढग्यो।
'हां, बेचस्यां अेवड़। चिमको किंयां हो?Ó
बीनणी नेÓचै सूं बोली।
'भळै कांई करस्यो?Ó सासू रा होठ गोळ हुग्या।
'घणा ई धंधा है झ्यान में। सगळा अेवड़ ई चरावै के? दुकान कर लेस्यां।Ó
'तो आ बात है। थूं ई कैवैÓक थारै में कोई और ई बोलै?Ó
'हां, बोलै। थारो बेटो बोलै। बै ई चावै कै कोई दूजो धंधो करस्यां।Ó
'आ तो ठीक है बीनणी, पण थारो सुसरो कांई करसी? थनै ठा है, बेÓलो रैवणियो जीव कोनी बो। अर फेर, चालती रो नांव ई गाडी हुवै। पड़्यो पत्थर भारी हुज्यै बीनणी!Ó
'पड़्या क्यूं रैसी। ऊपर-चोटै रा सौ धंधा है। म्हे सगळो बींत बिठा राख्यो है। थे ईं री चिन्ता छोडो।Ó
सांझ पड़्यै अेवड़ लेयÓर पतराम घरां बावड़्यो तो बूढळी उणनै सारी राम-कहाणी बता दी।
पतराम आखी रात सो नीं सक्यो। पसवाड़ा फोरतो-फोरतो आखतो हुग्यो। पण जी नीं टिकै। अर जी टिकाई बिना नींन कठै। धड़कतो काळजो अर बाजतो सांस ओपरी हरकत-सी लागै।
बो सोचै- साठ साल री ऊमर मांय ई बूढो हुग्यो म्हैं? मत मारीजी है बीनणी री। कैवै अेवड़ बेचद्यो। भूंडा लागो चरांवता। बडो भूंडो लागण लाग्यो काम करणियो थानै। अेवड़ रोही रो रूप, जकै नै चरांवतो भूंडो लागै आदमी। सुणल्यो नुंवैं चांद री। अर बांस न्यारी आवै आं गायड़मलां नै अेवड़ में। लच्छण देखल्यो नुंवीं पीढी रा। बसण आळा खोज ई कोनी....।
जकै रीजक सूं आं नै पाळ्या-पोस्या उण में ई बांस आवै आं नै। जकी में जीमै बीं में ई छेद करै। सरम रो ई तोड़ो। कैवै अेवड़ बेच द्यो। क्यूं बेच द्यूं अेवड़? भूख मरणो है?
अजे पाणी नै 'बूÓ कैवै बीनणी। ताती-ठंडी देखसी जणा ठा लागसी। अजे आगै बैठ्यो हूं म्हैं। ठा कोनी गैÓली नै कै अै 'बीकाणै रा बासÓ जठै तीन-तीन साथै पड़ै। तळसीर सूखज्यै। आंख सूं भावूं काढल्यो पाणी।
बाकळी चबा देसी आ भौम। कैवै दुकान कर लेस्यां। बाप रो पग कर लेस्यो दुकान। जाणूं कोनी के थानै पंसारियां नै? सोÓरी है के दुकान चलावणी। उण पेमलाळै ई करी ही नीं। छटै म्हीनै पग पाड़ दिया। सगळो समान घरां बरतणो पड़्यो। आज दुकान आळी जगां नीरो पड़्यो है।
... उजड़णो चावै स्साळा। कैवै अेवड़ बेचद्यां। गादडै़ री मौत आवै जद गांव कानी भाजै। हीयै में कांगसी को फैरैै नीं कै ईं अेवडिय़ै रै कारण ई तो आपां घूरी-सिर पड़्या हां। नीं तो ईं भौम रै भरोसै पंजाब में किणी रै अडाणै नीं लाधताï?
बीनणी कैवै... बात आवै बीनणी नै। ...सोचतै-सोचतै पतराम री आंख लागगी।
दिनुग्यै उठ्यो तो उण रा तिराण फाटग्या। बो मांची पर बैठ्यो तो हुग्यो पण खड़्यो नीं हो सक्यो। उण रा गोडा टूटग्या। सत निकळग्यो। उण देख्यो कै उण रो बेटो मनीराम दो बोपारियां सूं आखै अेवड़ री साई पकड़्यां खड़्यो है।