साक्षात्कार / मनोज चौहान
दफ्तर के बाहर आज बड़ी भारी भीड थी। आज यंहा एक क्लर्क के पद हेतू साक्षात्कार होना था। कई उम्मीदवार आज सुबह से ही दफ्तर के बाहर तांता लगाए खडे थे। साक्षात्कार के तय समय से दो घण्टे देर से बडे. साहब आए और आते ही चपरासी रामदीन को चाय लाने का आदेश दिया।
चाय बगैरह की आवाभगत से निवृत होकर बडे. साहब ने आधा घण्टा आराम किया और फिर साक्षात्कार प्रारम्भ किया। "मे आई कम इन सर" के एक विनम्र सम्बोधन के साथ एक उम्मीदवार अंदर आया और बडे. साहब ने उसे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।
बडे. साहबः आपका नाम?
उम्मीदवार: जी, राजबीर... राजबीर सिंह।
बडे. साहबः आपकी शैक्षणिक योग्यता?
उम्मीदवार: जी, एम. कॉम. और कम्पयूटर में एक वर्षीय डिप्लोमा।
बडे. साहबः क्या आपको कोई अनुभव है?
उम्मीदवार: जी, अभी तक तो कोई अनुभव नहीं है।
बडे. साहबः किसी मन्त्री से जान-पहचान है?
उम्मीदवार: जी, मन्त्री से तो नहीं, एक विधायक से थोड़ी जान - पहचान है?
हूँ...हूँ...हूँ...बडे. साहब ने कुछ सोचते हुए कहा। ओ. के. मिस्टर राजबीर। आप जा सकते हैं। अगर आपका नाम योग्यता सूची में आता है तो आपको बुला लिया जाएगा। ये सुनकर उम्मीदवार कमरे से बाहर आ गया। बडे. साहब ने घण्टी बजाकर दुसरे उम्मीदवार को अंदर बुलाया और उससे भी वही रटे- रटाये प्रश्न पुछ लिए जो पहले उम्मीदवार से पुछे थे। यही क्रम बारी-बारीसे चलता रहा और एक-एक करके सभी उम्मीदवारों का साक्षात्कार ले लिया गया।
इतने में बडे. साहब को मन्त्री जी का फोन आया। उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार की सिफारिश की, जो किसी बजह से साक्षात्कार में उपस्थित नहीं हो पाया था। बडे. साहब ने कागज पर मन्त्री जी के रिश्तेदार का नाम लिखा और यू डोंट बरी सर...इटस ऑल राइट, कहते हुए फोन रख दिया।
साक्षात्कार खत्म हो चुका था। सभी उम्मीदवार घर वापिस जा रहे थे, इस उम्मीद के साथ कि शायद योग्यता सुची में उनका नाम आ जाए। कुछ दिनों के बाद साक्षात्कार का परिणाम निकला और मन्त्री जी के रिश्तेदार का नाम योग्यता सुची में आ गया और उसे नौकरी मिल गई। बाकी उम्मीदवारों को अभी भी आस है कि शायद योग्यता सुची में उनका नाम आ जाए।