साज से ज्यादा प्रणय का गीत- ये नयन डरे डरे / नवल किशोर व्यास

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साज से ज्यादा प्रणय का गीत- ये नयन डरे डरे


जगजीत सिंह ने अपने अंतिम दिनो से पहले एक एलबल निकाला था, क्लोज टू माई हार्ट। इस एलबम में उन्होने अपनी गाई गजलों को नही बल्कि हिन्दी सिनेमा के कुछ बेहतरीन गीतो को शामिल किया था। ये गीत थे- एक प्यार का नगमा है, कोई हमदम ना रहा, वक्त ने किया क्या हसीं सितम, याद किया दिल ने कहा हो तुम, बचपन की मोहब्बत को, कही दूर जब दिन ढल जाये और ये नयन डरे डरे। सभी गानो को जगजीत सिंह ने अपनी पूरी रूहानियत के साथ डूबकर गाया है पर ये नयन डरे डरे में जगजीत हेमंत कुमार की बेचैनियों को अपने एकांत के साथ भीतर उतार मधुर कंठो से एक अलग ही स्तर पर ले जाने में सफल रहे। आनंद बक्शी साहब ने कभी इश्क़ को गुड से मीठा बताया था, मैं गुस्ताखी के साथ इस गीत को इश्क़ से ज्यादा मीठा बता रहा हूं। हेमंत कुमार की जादुई स्वर से सजा कोहरे में उजास सा चमकता ये गीत। ये उन कुछ यादगार हिन्दी गीतों में से एक है जिसमें एकांत के स्वर हैं। ऐसे लम्हे हैं जिसमें दुनिया सिमट कर दो जोडी आंखों और दो जुड़वा होंठो के बीच आ गई है। इसके आर पार और परे दूसरा कोई जहाँ है ही नही। दुनिया भर का कोलाहल यहाँ थम गया है। यहाँ अब ना गुजरे वक्त के थपेडे हैं और ना आने वाले कल की आहट। जो तनाव है वो उस दो जनो के बीच का है। इसमें किसी तीसरें की जगह नहीं । इतनी फैली हुई दुनिया और उसमें जकडी और जमी दुनियादारी के बीच भी प्रेम का प्रस्फूटित होना क्या चमत्कार से कम नही है? प्यार का होना दुनिया का सुंदर अहसास है और भरे दिल से एकांत में प्रणय का निवेदन इससे भी सुंदर। प्रेमियों का एकांत क्या होता है, ये भी एक विषय है। क्या प्रेमियों का एकांत किसी स्थान से होता है या दो लोगो के बीच के सम्मोहन के ठहरी दुनिया का सन्नाटा। कोहरा एक संस्पेंस फिल्म थी और इससे पहले भी इसके निर्देशक वीरेन नाग बीस साल बाद नाम की संस्पैंस फिल्म बना चुके थे। गीत में अभिनय करते विश्वजीत जितने आराम में है वही वहीदा रहमान उतनी ही रहस्य की मूर्ति और वैसे भी हर औरत का मन दुनिया का सबसे गूढ़ रहस्य ही होता है। आंखो में आंसू और सौम्य चेहरे पर मुस्कान का मायाजाल। मन में प्यार के साथ संशय भी। हिन्दुस्तानी ब्लैक एण्ड व्हाईट सिनेमा का जादू यहां अपने उफान पर है। विश्वजीत सफेद शर्ट,टाई, महीन मूंछ और बालों की लहराती लट में जितने संभ्रात दिख रहे है वैसा कोई और नही हो सकता। उनके होंठ हिलते है और बगैर किसी जरूरी ओपनिंग म्यूजिक के गीत शुरू होता है। 


ये नयन डरे डरे/ये जाम भरे भरे मुझे पीने दो/  कल की किसे खबर/इक रात होके निडर मुझे जीने दो ये नयन डरे डरे 

कैफी आजमी के लिखे बोलों पर हेमंत कुमार का मंदस्वर। शायद तलत महमूद साहब के बाद सबसे ज्यादा मंद। ये वोकल का गीत है। साज से ज्यादा फुसफुसाहटों का गीत। ये गीत वो लम्हे है जो समय की छाती पर ऐसे गढे होते हैं जिन्हें एक निश्चित दायरें में नहीं  बांधा जा सकता। गुजरते वक्त के साथ ये हमारे लिये और ज्यादा हरे-सुनहरे होते रहते हैं ये वो सम्मोहक वार है जिससे कोई बच नही सकता। हेमंत कुमार ने किशोर, रफी और मुकेश के मुकाबले बहुत ही कम गाने गाये पर जितने भी गाये उन सब में एक आकर्षण है। इन सभी गीतो में दुनिया से बारह खींच कर अपनी मिठास में डुबो देने की ताकत है। किशोर कुमार की उड्लई जितनी हेमंत कुमार की गीत के बीच में आने वाली हमिंग ज्यादा लोकप्रिय न हुई पर ये हमिंग हर गीत में अपनी खास छाप लिये मौजूद रहती है। दुनिया के पास भूलने को जितनी ज्यादा चीजे हैं,  याद रखने को उतनी ही ज्यादा बहुत सी धरोहरें। जैसे के हेमंत कुमार। जैसे कि ये नयन डरे डरे।