सारा का जन्मदिन / अमृता प्रीतम
Gadya Kosh से
सारा ने मुझे एक खत में लिखा था-- "मैं ३१ अक्टूबर,१९५४ में, बरोज़ मंगल,गुजरांवाला में पैदा हुई थी."--
तो मेरे ज़िहन में कितनी ही चिड़ियां चहचहाने लगी...
जब उससे मुलाक़ात हुई थी,१९८० के शुरू में,जन्मदिन की बात चली तो कहने लगी--"चिड़ियों का चहचहाना ही मेरा जन्मदिन है."
और आज सारा की याद में मेरे घर के आंगन की एक दीवार पर इमरोज़ ने सफ़ेद लकड़ी के कितने ही छोटे-छोटे घोंसले बनाए हुए हैं, जहाँ रोज़ सुबह बोगनबेलिया की हरी टहनियों से खेलती सफ़ेद लकड़ी के घोंसले में तिनके इकट्ठे करती कितनी ही चिडियां चहचहाती हैं...
और मैं रोज़ सुबह कहती हूँ-- देखो इमरोज़ ! आज सारा का जन्मदिन है...