साहित्य रचने वाले प्रशिक्षित डॉक्टर्स / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 15 अप्रैल 2020
डॉक्टर ऑर्थर कानन डायल का काल्पनिक जासूस पात्र शेरलॉक होम्स 221 बी बेकर स्ट्रीट में रहता है। उपन्यासों की लोकप्रियता इतनी बढ़ी, उपरोक्त पते पर सैकड़ों पत्र आने लगे। लंबे समय तक जासूसी कथाएं लिखने के बाद लेखक ने एक कथा में शरलॉक होम्स की मृत्यु का विवरण लिख दिया। जासूस और अपराधी पहाड़ी पर लड़ते हुए खाई में गिर गए। पाठकों ने विरोध अभिव्यक्त किया, शेरलॉक होम्स कैसे मर सकते हैं? इतना दबाव बना कि लेखक ने नई कथा में लिखा, पहाड़ी से गिरे जासूस खजूर के वृक्ष की डालियों में जा गिरे थे। अस्पताल में उनकी चिकित्सा जारी है। विरोध करने वाले सभी लोग जानते थे, पात्र काल्पनिक है, फिर भी वे उसे अजर-अमर रखना चाहते थे। पाठकों ने तर्क को स्थगित कर दिया और शेरलॉक होम्स की वापसी हुई। जब ऑर्थर कानन डायल छात्र थे, तब उनके प्रोफेसर नेति-नेति कहकर सत्य तक पहुंचते थे। यह भारतीय विचार था, यह सत्य नहीं और यह भी सत्य नहीं। इस तरह नेति-नेति विधि से सत्य को खोज लेते थे। अंग्रेजी भाषा में इस तरीके को डिडक्शन थ्योरी कहा गया। कॉनन डायल के उपन्यासों से प्रेरित फिल्में बनी हैं और कॉमिक्स भी रचे गए हैं। ऑर्थर कानन डायल ने अपने शिक्षक से डिडक्शन थ्योरी सीखी थी।
पूना में प्रैक्टिस करने वाले डॉ. जब्बार पटेल का फार्म हाउस राज कपूर के फार्म हाउस के निकट था। डॉ. जब्बार पटेल ने ‘जैत रे जैत’ फिल्म निर्देशित की थी, जिसका निर्माण लता मंगेशकर ने किया था। डॉ. जब्बार फिल्म विधा सिखाने की संस्था बनाने का प्रयास कर रहे थे। अंग्रेज उपन्यासकार और नाटककार समरसेट मॉम भी शरीर रोग विज्ञान के डॉक्टर थे। उनके आत्मकथात्मक उपन्यास ‘ऑफ यूमन बांडेज’ से प्रेरित फिल्म भी बनी है। एक दौर में लंदन के बीस नाटकघरों में उनके लिखे नाटक मंचित किए गए थे। डॉ. समरसेट के सहपाठी रहे डॉक्टर ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। समरसेट मॉम को आश्चर्य हुआ कि उनके मित्र के पास इतना विशाल बंगला है। उनके पूछने पर मित्र डॉक्टर ने बताया, वे इतना बड़ा बंगला उन माताओं की कृपा से बना सके, जिन्हें हमेशा शिकायत रहती थी कि उनके बच्चे यथेष्ठ भोजन नहीं करते। पं. शिव शर्मा भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू के व्यक्तिगत डॉक्टर रहे और राष्ट्रपति भवन में ही निवास करते थे। कुछ वर्ष बाद उन्होंने मुंबई में परामर्श कक्ष स्थापित किया। खाकसार ने अपने रोग के बारे में बताना चाहा तो उन्होंने रोक दिया। नाड़ी परीक्षण कर बताया, अंतड़ियों में अमीबा ने सिष्ट बना लिया है। तीन चौथाई मोटी सौंफ और एक चौथाई शकर को कूटकर दिन में तीन बार सेवन करने से अंतड़ियों में बने सिष्ट टूट जाएंगे। चार माह तक सेवन से खाकसार उस रोग से मुक्त हो गया। बंगाल के लेखक ताराशंकर बंधोपाध्याय के उपन्यास ‘आरोग्य निकेतन’ में केंद्रीय पात्र एक नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य है। आयुर्वेद, रोग की जड़ पर प्रहार करता है। दुर्भाग्यवश हमने लोभ-लालच में वृक्ष काट दिए। वर्तमान में जड़ी-बूटियां उपलब्ध नहीं हैं। कुछ स्थानों पर जंगल रचे जा रहे हैं। भारत की विशाल आबादी के लिए मात्र चार हजार मनोचिकित्सक हैं। डॉक्टर ए.जे. क्रोनिन के उपन्यास ‘द सिटेडल’ से प्रेरित विजय आनंद की फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ के बारे में इसी कॉलम में कुछ दिन पूर्व लिखा जा चुका है।
बंगाल के गवर्नर रहे डॉ. बी.सी. रॉय ने सत्यजीत रॉय को ‘पाथेर पांचाली’ बनाते समय आर्थिक मदद उपलब्ध कराई थी। रोग, राग और रंग सभी के बीच अदृश्य रिश्ता है। एक दौर में वैद्य को कवि कहा जाता था। संभवत: आशय था वैद्य शरीर में स्थित अलंकार एवं छंद को समझता है। मात्राएं और मीटर काव्य शास्त्र के व्याकरण में पढ़ाए जाते हैं। वैद्य को कवि कहकर पुकारे जाने को समझिए ‘प्रेमरोग’ के गीत से- ‘मैं हूं प्रेम रोगी, किसी वैद्य को बुलाओ..।’ मधुमति के गीत पर गौर करें- ‘चढ़ गया पापी बिछुआ, बिछुआ….’ मनुष्य ही सृष्टि का केंद्र है। इसलिए राग-रंग-रोग इत्यादि सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं।